मध्य अफ्रीकी गणराज्य संघर्ष मध्य अफ़्रीकी गणराज्य (सीएआर) में चल रहे गृहयुद्ध हैं जोकि वहाँ की सरकार, सेलेका गठबंधन के विद्रोही और विरोधी-बलाका लड़ाकों के बीच चल रही हैं।[1]
मध्य अफ्रीकी गणराज्य बुश युद्ध, राष्ट्रपति फ़्राँस्वा बोजिजे की सरकार और विद्रोहियों के बीच थी जोकि 2007 में एक शांति समझौते के साथ रुक गई। वर्तमान संघर्ष तब पैदा हुई , जब विविध विद्रोही समूहों के एक नये गठबंधन, जिसे सेलेका[2] के रूप में जाना जाता है, ने सरकार पर शांति समझौतों को पालन करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया।[1] सेलेका 2012 के अंत में देश के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में कई प्रमुख शहरों पर कब्जा कर लिया।
चाड, गैबॉन, कैमरून, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य और कांगो गणराज्य की सरकार ने आर्थिक मध्य अफ्रीकी राज्यों के समुदाय (FOMAC) के तहत अपनी सैनिकों की, बोजिजे सरकार की मदद करने तथा राजधानी, बांगुइ पर संभावित विद्रोही हमलो से बचाव के लिए तैनाती की। हालांकि, राजधानी पर विद्रोहियों का 24 मार्च 2013 कब्ज़ा हो गया,[3] इसी बीच राष्ट्रपति बोजिजे वहाँ से भाग निकलने में सफल रहे। और विद्रोही नेता मिशेल द्जोटोडिया ने खुद को वहाँ का राष्ट्रपति घोषित कर दिया।[4]
14 मई को सीएआर के प्रधानमंत्री निकोलस टीएनगये ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से देश में यूएन शांति सैनिको की तैनाती के लिए गुहार लगाई और 31 मई को पूर्व राष्ट्रपति बोजिजे पर मानवता के खिलाफ अपराधों और नरसंहार की शह देने के लिए दोषी पाया गया। इसके साथ ही सेलेका और बोजिजे समर्थको के बीच हिंसा भड़क गई, और फ़्रांस के राष्ट्रपति फ्रांकोइस होलांदे ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अफ्रीकी संघ को देश में शांति के लिए और प्रयास लगाने को कहा। बहरहाल, संघर्ष और बढ़ गई। अगस्त तक सेलेका समर्थित सरकार में फूट पड़ने लगी[5] और जनवरी 2014 को राष्ट्रपति द्जोटोडिया ने इस्तीफा दे दिया[6][7] और उनकी जगह कैथरीन सांबा-पांजा को नई राष्ट्रपति बनाया गया। हलाकि संघर्ष जारी रहा।[8] 23 जुलाई को कांगो मध्यस्थता के प्रयासों के कारण एक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। [9]
यह तर्क दिया जाता है कि निरस्त्रीकरण के लिए सेलेका पर विशेष रूप से ध्यान देने के कारण बलाका-विरोधी दलो को फायदा पहुँचा जिससे बलाका-विरोधी दलो के द्वारा मुस्लिम नागरिकों को बांगुइ और पश्चिमी सीएआर से मजबूरन विस्थापन को बल मिला। 2014 के अंत तक देश, दक्षिण और पश्चिम में बलाका-विरोधी दलो और उत्तर और पूर्व में पूर्व-सेलेका दलो के रूप में विभाजित हो चूका था।[10] 2015 तक राजधानी, बांगुइ के बाहर देश में सरकार अपना नियंत्रण खो चुकी थी। सेलेका के विघटन के बाद उसके पूर्व सेलेका सेनानियों ने कई नये दलो का गठन कर लिया जोकि अक्सर एक दूसरे से ही लड़ने लगे। उनमे से एक विद्रोही नेता नोरेद्दीन एडम ने 14 दिसंबर, 2015 को लोगोने के स्वायत्त गणराज्य की घोषणा कर दी।[11] तनाव ज्यादातर धार्मिक पहचान को लेकर, मुस्लिम सेलेका लड़ाकों और ईसाई बलाका-विरोधी दलो के बीच थी। 50 लाख की आबादी वाले इस देश में अब तक लगभग 10 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं।[12]