व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | 1 नवम्बर 1979 कैथल, हरियाणा, भारत |
पेशा | |
शिक्षण शुरू | हैंडबॉल खिलाड़ी |
उल्लेखनीय आरोही | माउंट एवरेस्ट 2010 में एल्ब्रुस पर्वत 2012 में |
ममता सौदा, एक भारतीय खिलाड़ी हैं, जिन्हें माउंट एवरेस्ट को 2010 में फतह करने के सफल प्रयास के लिए जाना जाता हैं।[1] पर्वतारोहण खेल के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए 2014 में उन्हें भारत सरकार द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।[2]
ममता सौदा का जन्म 1 नवंबर 1979[3] को भारतीय राज्य हरियाणा के कैथल में, गरीब आर्थिक संसाधनों वाले एक दलित परिवार में, तीन लड़कियों और दो लड़कों में सबसे बड़े के रूप में हुआ था।[4][5][6] 2004 में उनके पिता, लक्ष्मण दास सौदा जो हरियाणा खाद्य और आपूर्ति विभाग में एक निरीक्षक के रूप में कार्यरत थे का निधन हो गया,[4][5] और उनकी माँ, मेवा देवी[5] को अपने भाइयों की मदद से परिवार का पालन करना पड़ा।[6]
ममता ने अपनी स्कूली शिक्षा कैथल के एक स्थानीय स्कूल से और कॉलेज की पढ़ाई की आरकेएसडी कॉलेज, कैथल से की, जहाँ से उन्होंने स्नातक की उपाधि उच्च श्रेणी से प्राप्त की।[6] इसके बाद, उन्होंने 2005 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शारीरिक शिक्षा (एमफिल) में मास्टर डिग्री प्राप्त की,[3][4] और उसी विश्वविद्यालय के शहीद बाबा दीप सिंह कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, हरियाणा में एक व्याख्याता के रूप में कार्यरत हो गई।[7][5]
एवरेस्ट की सफल चढ़ाई के बाद, हरियाणा सरकार ने उन्हें हरियाणा पुलिस बल में शामिल कर लिया। ममता सौदा 11 अगस्त 2010 से हरियाणा पुलिस में जिला पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।[3]
ममता को पर्वरारोहण का शौक था,[4][6] उनके पिता ने इसके लिये उन्हें काफी प्रोत्साहित भी किया। जल्द ही, ममता ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का मन बना लिया, जिसके लिए वह उत्तराखंड राज्य के नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग में शामिल हो गई।[5] इस चढ़ाई परियोजना को शुरू करने से पहले, उन्होंने कुछ अन्य चोटियों को फतह किया। वे आईएमएफ गोल्डन जुबली अभियान टीम की एक सदस्य थी, जिन्होंने जुलाई 2008 में फवारंग चोटी पर चढ़ाई की थी।[3][8] दो महीने बाद, अक्टूबर में, वह मैक्लॉडगंज में एक अभियान के दौरान, दूसरी टीम के साथ मुन चोटी पर चढ़ाई की। अगस्त 2009 में, उन्होंने एक अखिल महिला टीम के साथ श्री कंठ चोटी का रोहण किया।[3][8]
उन्होंने कई मौकों पर मोरनी पीक, खुइटेन पीक, इंदरहारा पास और आइलैंड पीक जैसी विभिन्न ऊंचाइयों की अन्य चोटियों पर भी रोहण किया है।[4] उन्होंने माउंट एवरेस्ट अभियान से ठीक पहले, अप्रैल 2010 में इडलैंड (इमजा-त्से) चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई किया था।[3]
एवरेस्ट परियोजना के लिए कुल वित्तीय परिव्यय लगभग 18 लाख था।[6] जिसके लिये ममता ने कई एजेंसियों और योगदानकर्ताओं के योगदान के माध्यम से धन एकत्र किया, इनमें हरियाणा राज्य सरकार (300,000), पीडब्ल्यूडी मंत्री, रणदीप सिंह सुरजेवाला (51,000), कुरुक्षेत्र संसद सदस्य, नवीन जिंदल (500,000), जिला पुलिस आयुक्त अमनीत पी कुमार (250,000) और विभिन्न अन्य लोग सामिल थे।[4][6] परियोजना अप्रैल 2010 में, पिछले एवरेस्ट समिटर्स, बछेंद्री पाल और संतोष यादव के प्रोत्साहन के साथ शुरू हुई।[7] अभियान दल में 13 सदस्य शामिल थे, जिनमें से नौ पर्वतारोही संयुक्त राज्य अमेरिका, डेनमार्क स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के थे, और शेष चार भारत के थे, जिनमें 16 वर्षीय अर्जुन वाजपेई भी शामिल था।[9] टीम का नेतृत्व दिग्गज आप्पा शेर्पा ने किया,[10] जिन्होंने माउंट एवरेस्ट में 19 बार सफल पर्वतारोहण का विश्व रिकॉर्ड बनाया हुआ है। टीम ने खंबु ग्लेशियर में 40 दिन बिताए। जहाँ टीम ने अपने बेस कैंप की स्थापना की थी, जो कि नियमितीकरण के लिए था। यह मार्ग नेपाल में पारंपरिक दक्षिण कोल मार्ग था। टीम, मार्ग में समय-समय पर तीन या चार कैंपों लगा कर रूकी थी। अंत में 20 मई 2010 के आसपास टीम शीर्ष पर पहुंची। 22 मई, 2010 को सुबह 10.24 बजे, ममता सौदा ने माउंट एवरेस्ट का रोहण किया।[3][9]
एवरेस्ट विजय के बाद, ममता ने यूरोप (रूस) के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एल्ब्रस का 2012 में रोहण किया।[11][12]
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का गलत प्रयोग; Haryana teacher Mamta scales Mt Everest
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।