माननीय एक सम्मान सूचक शब्द है, जिसे सम्मान स्वरुप संबोधन के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय कूटनीति तथा महत्वपूर्ण राजनैतिक पदों को संबोधित करने हेतु, लिखित एवं मौखिक संबोधन में किया जाता है।
भारत में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों, अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय दोनों के न्यायाधीशों को "माननीय न्यायमूर्ति" कहा जाता है।[1] ऊपरी और निचले दोनों सदनों के सांसदों को माननीय सदस्य के रूप में संदर्भित किया जाता है। कार्यपालिका के सदस्य जो विधानमंडल के सदस्य भी हैं, जैसे कि प्रधानमंत्री को भी माननीय सदस्य/मंत्री के रूप में संबोधित किया जाता है। राज्यों में विधानसभा और परिषदों के सदस्यों को भी माननीय के रूप में संबोधित किया जाता है, साथ ही अध्यक्ष और संघ और लोक सेवा आयोगों के सदस्यों को पद पर रहते हुए "माननीय" कहकर संबोधित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक संबंधों में, विदेशी राज्यों के प्रतिनिधियों को अक्सर "माननीय" के रूप में संबोधित किया जाता है। मिशन के उप प्रमुखों, उपराजदूतों, कॉन्सल-जनरल और अन्य वाणिज्यदूतों को हमेशा इसी लहजे से संबोधित किया जाता है। सभी कांसुलर पदों के प्रमुख, चाहे वे मानद हों या स्थायी पदाधिकारी हों, उन्हें यह उपाधि दी जाती है।[2] बहरहाल, राजदूतों और उच्चायुक्तों को यह शैली कभी नहीं दी जाती, उन्हें "महामहिम" के रूप में संबोधित किया जाता है। साथ ही विदेशी राज्यों के राष्ट्रप्रमुखों को भी "महामहिम" कहकर संबोधित किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय उपयोग में अंग्रेज़ी में माननीय के जगह "Honourable"(ऑनरेबल), फ्रेंच में "L'honorable"(ल्'उनोराब्ल्'), अरबी में अल-मोहतरम (المحترم) का उपयोग किया जाता है।