मानव प्रतिरूपण किसी जीवित अथवा पूर्व में जीवित मानव की जेनेटिक रूप से समान प्रतिलिपि का निर्माण करना को कहा जाता है। सामान्यतः इस शब्द का उल्लेख कृत्रिम मानव प्रतिरूपण के रूप में किया जाता है। समरूप जुड़वां (Identical Twins) के रूप में मानव प्रतिरूपण सामान्य रूप से पाए जाते हैं, जिनमें प्रतिरूपण प्रजनन की प्राकृतिक प्रक्रिया के दौरान होता है। परंतू यहाँ, "प्रतिरूपण" शब्दावली का उपयोग प्राकृतिक प्रतिरूपण के लिये नहीं किया जा रहा है। यह मूलतः कृत्रिम तौर पर मानव प्रतिरूप या मानव कोशिकाओं के प्रतिरूपण को कहा जाता बै। कृत्रिम मानव तैयार करने की यह संकल्पना व संभावना, एक विवादास्पक मुद्दा है एवं धार्मिक एवं नैतिक मूल्यों के आधार पर "कृत्रिम मानव" के निर्माण को अस्पष्ट भी ठहराया जाता रहा है। इन्हीं कारणवष कई देशों में मानव प्रतिरूपण से संबंधित नियमों एवं कानूनों को पारित किया गया है, एवं परस्पर हर देश में, कृत्रिम तौर पर मानव निर्माण गौरकानूकी है एवं मानव प्रतिरूपण केवल उपचारात्मक प्रतिरूपण ही कानूनन मान्य है।
मानव प्रतिरूपण के दो प्रकारों की अक्सर चर्चा की जाती है: उपचारात्मक प्रतिरूपण और प्रजननीय प्रतिरूपण। उपचारात्मक प्रतिरूपण में चिकित्सा में इस्तेमाल के लिए वयस्क कोशिकाओं का प्रतिरूपण करना शामिल है और यह अनुसंधान का एक सक्रिय क्षेत्र है। प्रजनन प्रतिरूपण में प्रतिरूपित मानवों का निर्माण शामिल होगा। एक तीसरे प्रकार का प्रतिरूपण, जिसे प्रतिस्थापन प्रतिरूपण (Replacement Cloning) कहते हैं, एक सैद्धांतिक संभावना है और यह उपचारात्मक व प्रजननीय प्रतिरूपण का एक संयोजन होगा। प्रतिस्थापन प्रतिरूपण में प्रतिरूपण के द्वारा किसी अत्यधिक क्षतिग्रस्त, विफल या कमजोर शरीर का प्रतिस्थापन शामिल होगा, जिसके बाद पूर्ण या आंशिक मस्तिष्क प्रत्यारोपण किया जाएगा।
पहला मानव संकरित मानव प्रतिरूपण अमेरिकन सेल टेक्नोलॉजीज द्वारा नवम्बर 1998 में बनाया गया।[1]। यह एक पुरुष के पैर की कोशिका और एक गाय के अंडे से बनाया गया था, जिसका डीएनए हटा दिया गया था। इसे 12 दिनों बाद नष्ट कर दिया गया। चूंकि एक सामान्य भ्रूण 14 दिनों पर प्रत्यारोपित होता है, ACT के ऊतक इंजीनियरिंग के निदेशक डॉ रॉबर्ट लैंज़ा (Dr Robert Lanza) ने डेली मेल समाचार-पात्र को बताया कि 14 दिनों से पूर्व भ्रूण को एक व्यक्ति के रूप में नहीं देखा जा सकता। ACT के अनुसार ऐसे भ्रूण का विकास करते समय, जो आवश्यक अवधि तक बढ़ने की अनुमति दिए जाने पर, एक सम्पूर्ण मानव के रूप में विकसित हो सकता था: "[ACT का] लक्ष्य 'उपचारात्मक प्रतिरूपण' था, 'प्रजननीय प्रतिरूपण' नहीं।"
जनवरी 2008 में, कैलिफोर्निया में स्टेमाजेन (Stemagen) के मुख्य वैज्ञानिक अधिकारियों, वुड और एंड्रयू ने घोषणा की कि भ्रूणीय मूल कोशिकाओं का एक जीवनक्षम स्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से उन्होंने वयस्क त्वचा कोशिका से प्राप्त डीएनए का प्रयोग करके सफलतापूर्वक पहले 5 परिपक्व मानव भ्रूण विकसित कर लिए हैं। डॉ॰ सैम्युअल वुड और उनके एक सहयोगी ने त्वचा कोशिकाएं दान कीं और उन कोशिकाओं से प्राप्त डीएनए को मानव अण्डों में स्थानांतरित किया गया। यह स्पष्ट नहीं है कि क्या उत्पादित भ्रूण आगे विकास कर पाने में सक्षम हो सकता था, लेकिन डॉ॰ वुड ने कहा कि यदि यह संभव हुआ होता, तो प्रजनानीय प्रतिरूपण के लिए इस पौद्योगिकी का प्रयोग अनैतिक और अवैध, दोनों रहा होता। ला जोला (La Jolla) में, स्टेमाजेन कॉर्पोरेशन लैब (Stemagen Corporation Lab) में निर्मित 5 प्रतिरूपित भ्रूण नष्ट कर दिए गए।[2]
मानव प्रतिरूपण के विभिन्न रूप विवादास्पद हैं।[3] मानव प्रतिरूपण के क्षेत्र में जारी सारी प्रगति को रोक देने की मांग अनेक बार उठती रही है। अधिकांश वैज्ञानिक, शासकीय व धार्मिक संगठन प्रजननीय प्रतिरूपण का विरोध करते हैं। अमेरिकन एसोसियेशन फॉर दी एडवांसमेंट ऑफ साइंस (AAAS) और अन्य वैज्ञानिक संगठनों ने सार्वजनिक वक्तव्यों के द्वारा सुझाव दिया है कि प्रजननीय प्रतिरूपणों को तब तक प्रतिबंधित कर देना चाहिए, जब तक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे न सुलझा लिए जाएं.[4] प्रतिरूपणों से अंगों के उत्पादन की भावी संभावना को लेकर गंभीर नैतिक चिंताएं उपस्थित की जाती रही हैं।[5] कुछ लोगों ने अंगों को मानव जीव से पृथक रखकर विकसित करने का विचार दिया है-ऐसा करने पर उन्हें मानवों से उत्पादित करने से जुड़ी नैतिक समस्याओं के बिना एक नई अंग आपूर्ति स्थापित की जा सकेगी. मनुष्य शरीर द्वारा स्वीकरणीय अंगों को अन्य जीवों, जैसे सूअर या गाय के शरीर में विकसित करने और फिर उन्हें मनुष्यों में प्रत्यारोपित करने के विचार पर भी अनुसंधान किया जा रहा है, जो कि अपर-प्रत्यारोपण (Xenotransplantation) का एक रूप है।
म्नव प्रतिरूपण के विरुद्ध कई प्रकार के धार्मिक एवं धर्मनिर्पेक्ष प्रश्न व पक्ष हैं, जो मानव प्रतिरूपण को पूर्णतः गलत ठहराते हैं। मौजूदा तौर पर, मानव औप्चारिक व प्रजननीय प्रतिरूपण का व्यापारिक उपयोग नहीं किया जाता है, केवल पषुओं का प्रतिरूपण, इस संदर्भ में, मवेषी उत्पादन के लिये किया जाता है। मानव प्रतिरूपण के पक्षधर, इस प्रकृया द्वारा कोषिकाओं व संपूर्ण अंगों के कृत्रिम निर्माण की संभावना का तर्क देतें हैं, जिस से उन रोगियों को लाभ होगा जिन्हें अंग प्रत्यारोपण के लिये प्राकृतिक दाता नहीं मिलते हैं, एवं इम्मयूनोसप्पेस्सिव ड्रगों(Immunosuppressive Drugs) की आवश्यक्ता भी नहीं पड़ेगी।[6][7][8][9][10] मानव प्रतिरूपण के विरोधी यह तर्क देते हैं की विज्ञान अभी इतना विकसित नहीं हुआ है की एसी चीज़ की अभी अनुमती दी जा सके। साथ ही इस बात पर भी चिंता जताई जाती है की यदी कृत्रिम मानव निर्माण की अनु मती दी जाती है, तो इस प्रकृया से जन्मे प्रतिरूपित मानवों का अंग उत्पादन जैसे कार्यों के लिये अपशिष्ट शोषण किया जाएगा, जो मानवीय मूल्यों के सख़्त ख़िलाफ़ है। इस के अलावा कृत्रिम मानव की सामाजिक स्वीकृती एवं आम समाज में शामिली पर भी चिंता जताई जाती है।2014 के अनुसार [update],[11][12][13][14][15] इसके पक्ष में धार्मिक दर्शण विभाजित है। कुछ लोग इस अप्राकृतिक प्रकृया को अपशिष्ट मानते हैं, वहीं कुछ धार्मिक गुठें उप्चारिक प्रतिरूपण का समर्थन करते हैं।[16][17]
2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार 70 देशों में मानव प्रतिरूपण पर रोक है।[18]
प्रतिरूपण, आधूनिक प्रचलित संस्कृती में, कई कल्पित-वैज्ञानिक कहानियों, फ़िल्में और आन्य साहित्यों में अक़सर दर्षाया जाता है। ऐसी कुछ हाल के उदाहरण में स्टार वाॅर्स III:द क्लोन वाॅर्स हैं।
|url=
(मदद); |access-date=
दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए
(मदद)