मालपुरा Malpura | |
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ब्रह्मा तालाब | |
निर्देशांक: 26°17′24″N 75°22′30″E / 26.290°N 75.375°Eनिर्देशांक: 26°17′24″N 75°22′30″E / 26.290°N 75.375°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | मालपुरा ज़िला |
ऊँचाई | 332 मी (1,089 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 36,028 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, ढूंढाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 304502 |
मालपुरा (Malpura) भारत के राजस्थान राज्य के मालपुरा ज़िले में स्थित एक नगर है। जिसको राजा मालदेव ने बसाया था। यहां इसी नाम का उप खंड व तहसील का मुख्यालय भी है। मालपुरा अपने आप में बहुत मायने रखता है यहाँ पर अंग्रेजों के समय से ही रैल चलती थी, तथा यहां पर कपास का व्यापार पुराने समय में बहुतायत में होता था जिस कारण यहां से रैलगाड़ी के माध्यम से यहां की कपास सांगानेर, जयपुर व बड़े-बड़े शहरों में खूब प्रसिद्ध हुआ करती थी। मालपुरा में पूर्व के समय में ओधोगिक क्षेत्र में हवाई जहाज के लिए भी जगह प्रस्तावित हो रखी है। जिसके आसपास में वर्तमान में ओधोगिक ईकाई बनी हुई हैं। मालपुरा में धार्मिक दृष्टि से सबसे बड़ा पास ही डिग्गी कस्बे में डिग्गी कल्याण जी का मंदिर स्थित है जहाँ पर प्रदेशभर व आसपास के अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं। [1][2]
मालपुरा जिले में टोडारायसिंह (बरवास उपतहसील सहित) पीपलू तहसील तथा अजमेर जिले से अराई भी सम्मिलित की जा सकती हैं।.... पूर्व में मालपुरा टोंक जिले का हिस्सा था..
मालपुरा जिला 1956 तक स्वयं जिला मुख्यालय था जो जयपुर ढूंढाड़ के अंतर्गत आता था जिसे बाद में टोंक जिले में स्थानांतरित कर दिया गया जिससे यह क्षेत्र अपेक्षाओं का शिकार होता गया । यहां से टोडारायसिंह जयपुर रेल मार्ग वाया फागी डिग्गी रेनवाल हुआ करता था जिसे भी 1991 में बंद कर दिया गया जिससे यह क्षेत्र काफी पिछड़ा रह गया....
यहां की सबसे बड़ी जल सिंचाई बांधों में टोरडी सागर,चांदसेन बांध, आदिप्रमुखहैं
धार्मिक एवं पर्यटन नगरी में मालपुरा में श्री डिगी पत्ति कल्याण धनी जी का मंदिर जैन श्वेतांबर पंत की दादाबाड़ी बहुतप्रसिद्धहैं.l
मां सिन्दोलिया जी का मंदिर, ऊन की माताजी टोरडी, खोड़ियाजी, घाटीबालाजी आदि मन्दिर प्रसिद्ध हैं।
*टोडारायसिंह*:-
टोडारायसिंह तहसील में प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां जल देवी का स्थान ग्राम बावड़ी माताजी में स्थित है जहां पर प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं का मेला हर नवरात्रि में लगता है तथा वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है प्रसिद्ध मां जल देवी लकवा ग्रस्त नेत्र दोष से संबंधित आदि बीमारियों का निराकरण करती है।
टोडारायसिंह शहर सोलंकी राजवंशों की राजधानी रहा है तथा यहां का गौरवशाली इतिहास राजस्थान की संस्कृति में चार चांद लगाता है ।
सज्जो बाई सोलंकिनी जिनका विवाह मेवाड़ महाराणा उदयसिंह जी के साथ हुआ था इस कारण महाराणा प्रताप की छोटी मां का पीहर होने के कारण इसे महाराणा प्रताप का ननिहाल होने का गौरव प्राप्त है। यहां की घटटी ,पट्टी ,बावड़ी , डाबड़ी बहुत प्रसिद्ध है।
मेवाड़ महाराणा रायमल के पुत्र उड़ना राजकुमार के नाम से प्रसिद्ध पृथ्वीराज सिसोदिया के साथ टोडा के राव सुरताण की पुत्री राजकुमारी ताराबाई का विवाह हुआ था इस कारण इनके नाम पर अजमेर के प्रसिद्ध दुर्ग का नाम तारागढ़ दुर्ग रखा गया है।
ताराबाई की वीरता के किस्से बहुत वीरता तथा साहसी हैं जो यहां की नारीशक्ति का एहसाह कराती हैं।
यहां पर 365 बावड़िया हैं जिसमें से हाड़ी रानी कुंड विश्व प्रसिद्ध है जिस पर"पहेली" नामक मूवी बन चुकी हैं।।
यहां पर तक्षक गिरी नामक लंबी पहाड़ी श्रृंखला अवस्थित है जो देवली , जहाजपुर तक जा रही है. ।
पास ही बीसलदेव जी का मंदिर , बराई माताजी , किलेश्वर मन्दिर, बिसलपुर बांध, प्रसिद्ध कल्याणराय जी का मन्दिर, के बालाजी भासू में स्थित चारभुजा नाथ जी का मंदिर, लाडपुरा बालाजी काकरा बालाजी, बरवास की प्रसिद्ध ब्राह्मणी माताजी आदि मंदिर प्रसिद्ध हैं।
एवं पुरानी इमारतें महल छतरियां विश्व प्रसिद् हैं जिनमें एक खंबे की छतरी, रूठी रानी महल, झांसी की रानी महल, नो हाथ के छाजे तथा संत पीपाजी की गुफा आदि प्रसिद्ध हैं।
यहां बुद्धसागर , आनासागर ( आमला) नामक झीलें प्रसिद्ध हैं।
यहां बारिश के समय भेरूं धाम झरना अति सुंदर दृश्य प्रकृति में चार चांद लगाता हैं।
लांबाहरिसिंह :-
यह ग्राम अब कस्बे का रूप ले चुका हैं जो कुछ सालों में तहसील व नगरपालिका बन सकता हैं। यहां हरिसिंह जी के महल , हरिसिंह कुंड , भोपालावजी , सिंधोलिया माताजी अति प्रसिद्ध हैं।
पचेवर :- यहां का गढ़ पैलेसअब हॉटल का रूप ले चुका हैं यहां का तालाब अति प्रसिद्ध हैं।
✍️ चौधरी निखिलेश मेवाड़ा ग्राम बावड़ी माताजी तहसील टोडारायसिंह जिला टोंक राजस्थान