मालवन Malwan मालवण | |
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![]() मालवन तट | |
निर्देशांक: 16°04′01″N 73°28′01″E / 16.067°N 73.467°Eनिर्देशांक: 16°04′01″N 73°28′01″E / 16.067°N 73.467°E | |
देश | ![]() |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | सिंधुदुर्ग ज़िला |
ऊँचाई | 5 मी (16 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 18,648 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 416606 |
दूरभाष कोड | 91-2365 |
वाहन पंजीकरण | MH-07 |
मालवन (Malwan) भारत के महाराष्ट्र राज्य के सिंधुदुर्ग ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तालुका का मुख्यालय भी है। मालवन अरब सागर से तटस्थ है और यहाँ एक बालूतट (बीच) है।[1][2]
मालवन शिवाजी द्वारा निर्मित सिंधुदुर्ग और मालवनी भोजन के लिए मशहूर है। यह स्थान आमों की विभिन्न किस्मों जैसे कि अलफांसो और मालवनी हापुस के लिए भी प्रसिद्ध है। इसके साथ ही यहाँ बनने वाली मिठाइयां जैसे कि मालवनी खेजा और मालवनी लड्डू पूरे महाराष्ट्र और निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रसिद्ध हैं। पौराणिक कहानियों पर आधारित नाटक, "मालवनी दशावतार", मालवनी संस्कृति का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। प्रसिद्ध नाटककार और टीवी अभिनेता श्री मछीन्द्र कांबली मालवन से आते हैं।
मालवन के नाम की उत्पत्ति से संबंधित कई मनगढ़ंत और कुछ विश्वास योग्य कहानियां प्रचलित हैं। एक प्रचलित कहानी के अनुसार मालवन क्षेत्र में बड़ी मात्रा में नमक का उत्पादन किया जाता था। नमक उत्पादक इस क्षेत्र को नमक की अधिकता के चलते "महालवण" कह कर संबोधित करते थे। दूसरी एक संभावना के अनुसार मालवन शब्द मालवनी बोली के दो शब्दों "मद" यानि नारियल और "बन" यानि कि बाग के ध्वन्यात्मक मेल से मिल कर बना है और जिसका अर्थ है वो बाग जहाँ नारियल के पेड़ बहुतायत में मिलते हैं।
भारत की 2011 जनगणना के अनुसार मालवन की जनसंख्या 18,648 थी, जिसमें पुरुष 9,663 और महिलाएँ 8,985 थीं। मालवन की साक्षरता दर 93% था, जिसमें 94.76% पुरुष और 91.11% महिलायें साक्षर थीं। मालवन की 7.31% जनसंख्या 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की थी।