मिलन | |
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मिलन का पोस्टर | |
निर्देशक | अदुर्थी सुब्बा राव |
लेखक | वीरेन्द्र सिन्हा (संवाद) |
पटकथा | अदुर्थी सुब्बा राव |
कहानी | अथ्रिया मुल्लापुडी |
निर्माता | एल॰ वी॰ प्रसाद |
अभिनेता |
सुनील दत्त, नूतन, जमुना, प्राण |
छायाकार | पी॰ एल॰ राय |
संपादक | टी॰ कृष्णा |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
17 मार्च, 1967 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
मिलन 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है जिसका निर्देशन अदुर्थी सुब्बा राव ने किया। यह उनकी हिट तेलुगू फिल्म मोगा मानसुलु (1963) का रीमेक थी और एल॰ वी॰ प्रसाद द्वारा इसे निर्मित किया गया था। फिल्म में सुनील दत्त, नूतन, जमुना (मूल तेलुगू संस्करण से अपनी भूमिका को दोहराते हुए), प्राण और देवेन वर्मा किरदार निभाते हैं। पुरस्कार विजेता और बहुत लोकप्रिय संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था। यह गंगा नदी में नाव चलाने वाले लड़के गोपी के बारे में है जो की रईस लड़की राधा से प्यार करता है।
इस फिल्म की शुरुआत राधा देवी (नूतन) और गोपीनाथ (सुनील दत्त) के शादी से शुरू होती है। वे दोनों नाव में बैठ कर घूमने जाते हैं, और बीच में अचानक भंवर बनने के कारण उन्हें किसी किनारे रुकना पड़ता है। उसके बाद अचानक गोपीनाथ को कुछ चीजें याद आने लगती हैं और वो चलता जाता है। राधा भी उसी के पीछे चलते जाती है। वहाँ उन दोनों की मुलाक़ात एक बूढ़े व्यक्ति से होती है, जो उन्हें बताता है कि बीबीजी और गोपी कई सालों पहले मर चुके हैं। गोपीनाथ फिर गौरी के बारे में पूछता है। उनके बात करते समय ही गौरी आ जाती है और उन दोनों को पहचान जाती है और कहती है कि उनका फिर से जन्म हुआ है, ताकि वे लोग इस जिंदगी एक साथ रह सकें। इसके बाद वो कहानी सुनाना शुरू कर देती है।
गोपी एक बहुत ही गरीब लड़का है, जो अपनी दादी के साथ गाँव में रहता है, वहीं राधा एक जमीनदार की बेटी है, जो शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करते रहती है। वे दोनों काफी अच्छे दोस्त बन जाते हैं। वहीं गौरी को गोपी पसंद आ जाता है और रामबाबू (देवेन वर्मा) को राधा पसंद आ जाती है। एक दिन राधा को वो चिट्ठी लिखकर अपने प्यार का इजहार करता है, पर वो उस पर गुस्सा होती है। राधा की सौतेली माँ को ये चिट्ठी मिल जाती है और वो सोचने लगती है कि राधा को भी रामबाबू पसंद है। वो अपने भाई (प्राण) को इस मामले को निपटने के लिए भेज देती है।
वो रामबाबू के घर जाता है और देखता है कि उसका परिवार बहुत ही अमीर है और वो राधा का रिश्ता तय कर देता है। वहीं राधा को एहसास होता है कि गोपी से प्यार करने लगी है, पर उसके बाद उसे पता चलता है कि उसकी शादी बिना बताए ही रामबाबू के साथ तय कर दिया गया है। वो अपने पिता से इस बारे में बात करती है, पर कोई हल नहीं निकलता है। वो गोपी के पास जाती है और वो उसे बताता है कि हमारे बीच अमीरी-गरीबी का बहुत बड़ा फर्क है, इस कारण उन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं हो सकता है। इसके बाद राधा मजबूरी में रामबाबू से शादी कर लेती है और गाँव छोड़ कर चले जाती है।
राधा दो महीने बाद अपने पिता के घर विधवा के रूप में आती है। हर कोई उसे देख कर हैरान रह जाता है और इस हाल में देख कर दुःखी होता है। उसके पिता पहले से बीमार होते हैं और अपनी बेटी को इस हाल में देख कर उन्हें दिल का दौरा आ जाता है और उनकी आवाज चले जाती है। राधा को गोपी इस दुःख से निकालने की कोशिश करते रहता है। इसी बीच सारे गाँव में अफवाह फैलने लगती है कि राधा और गोपी का चक्कर चल रहा है। जब ये अफवाह उड़ते उड़ते राधा के कानों तक आती है तो वो गोपी से इस मामले में बात करने जाती है। वो देखती है कि गोपी ने उसके झोपड़े को उसके लिए एक मंदिर के रूप में बना दिया है। उसे एहसास हो जाता है कि गोपी उससे कितना प्यार करता है। वो गोपी को साथ में भाग जाने को कहती है। पहले वो मानने से इंकार कर देता है, पर बाद में मान जाता है। वे दोनों नाव से भागने लगते हैं और भंवर के चपेट में आ जाते हैं।
गौरी कहानी सुनाना बंद करती है और कहती है कि अब वो उन्हें एक जोड़े के रूप में देख कर बहुत खुश है। इतना कह कर वो गोपीनाथ के हाथों में दम तोड़ देती है और कहानी समाप्त हो जाती है।
फिल्म के गीत आनंद बख्शी के लिए प्रमुख सफलता थे और इसने उन्हें चोटी के गीतकारों की श्रेणी में जाने में मदद की।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "हम तुम युग युग से" (I) | मुकेश, लता मंगेश्कर | 5:37 |
2. | "तोहे साँवरिया नाही खबरिया" | लता मंगेश्कर | 3:53 |
3. | "बोल गोरी बोल तेरा कौन" | मुकेश, लता मंगेश्कर | 4:34 |
4. | "हम तुम युग युग से" (II) | मुकेश, लता मंगेश्कर | 4:40 |
5. | "आज दिल पर कोई जोर" | लता मंगेश्कर | 4:46 |
6. | "मैं तो दीवाना" | मुकेश | 5:11 |
7. | "राम करे ऐसा हो जाए" | मुकेश | 5:11 |
8. | "सावन का महीना" | मुकेश, लता मंगेश्कर | 5:29 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1968 | नूतन | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार | जीत |
जमुना | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | जीत | |
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | जीत | |
एल॰ वी॰ प्रसाद | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित | |
अदुर्थी सुब्बा राव | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | नामित | |
सुनील दत्त | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
आनंद बख्शी ("सावन का महीना") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
लता मंगेश्कर ("सावन का महीना") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | नामित | |
मुकेश ("सावन का महीना") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित |