सय्यद मुहम्मद | |
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मुहम्मद जौनपुरी का मज़ार | |
जन्म |
मुहम्मद जौनपुरी (سید محمد جونپورى) 14, जमादी उल अव्वल 847 (सितम्बर 9, 1443) जौनपुर, उत्तरप्रदेश, भारत |
मौत |
19 ज़ी क़ादा 910 (अप्रेल 23, 1505 ई०) |
समाधि | फ़राह, अफ़ग़ानिस्तान |
धर्म | इस्लाम |
माता-पिता |
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फ़राह, अफ़ग़ानिस्तान |
सय्यद मुहम्मद जौनपुरी (उर्दू: سید محمد جونپورى) (सितम्बर 9, 1443 – अप्रेल 23, 1505 ई) ने मक्का में हिजरी वर्ष 901 में स्वयं को इमाम महदी घोषित किया। इसके कारण महदविया में उन्हे आदरपूर्वक देखा जाता है। उनका जन्म जौनपुर, उत्तरप्रदेश, भारत हुआ था तथा उन्होंने पूरे भारत, अरबी प्रायद्वीप और प्राचीन ख़ुरासान का भ्रमण किया था, जहाँ 63 वर्ष की आयु में फ़राह, अफ़ग़ानिस्तान में उनका निधन हो गया।
जौनपुरी ने अपने परिवार और अनुयायिओं के एक छोटे दल के साथ जौनपुर छोड़ा। कई स्थानों को बदलने और महदविया के नए साथियों के साथ इस दल ने फ़राह, अफ़ग़ानिस्तान में प्रवेश किया।
53 वर्ष की आयु में जौनपुरी ने हज्ज की यात्रा के लिए मक्का का दौरा किया। यहीँ पर 1496 (901 हिजरी), में काबा का तवाफ़ करने के पश्चात जौनपुरी ने दावा किया कि वही भविष्यवाणी वाले महदी हैं और जो कोई उन्हें मानता है वह मोमिन है।
जौनपुरी की बातों को मक्का के इस्लामी विद्वानों अनदेखा किया। मक्का में लगभग सात या आठ महीने रहने के बाद[1] जौनपुरी भारत लौटे जहाँ उन्होंने स्वयं को अहमदाबाद में महदी घोषित किया। इसके बाद उन्होंने यही दावा बधली में किया जो पाटण, गुजरात के निकट है।