मेरुतुंग १४वीं शताब्दी के एक भारतीय लेखक थे। उन्होंने संवत १३६१ में प्रबन्धचिन्तामणि नामक ग्रन्थ की रचना की। यह एक ऐतिहासिक महत्त्व की गद्य रचना है जिसमें इतिहास-प्रसिद्ध विद्वानों, कवियों और आचार्यों से सम्बद्ध घटनाओं का अलंकृत गद्यशैली में वर्णन किया गया है। गुजरात के प्राचीन ऐतिहासिक साहित्यिक साधनों मे यह ग्रन्थ सबसे अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसमें वनराज द्वारा पाटण की स्थापना से लेकर वस्तुपाल द्वारा संघटित यात्राओ का वर्णन है। प्रबन्धचिन्तामणि में अपने समय की प्रचलित लगभग सभी कथाओं का परिचय मिलता है। मेरुतुंग द्वारा रचित अन्य ग्रन्थ 'विचारश्रेणी' है जिसमें सुरिगण की पट्टावली के साथ-साथ चावडा, सोलंकी और बघेल वंश के नृपतियों का तिथिक्रम भी दिया गया है।