मोहनलाल पंड्या भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी तथा समाजसुधारक थे। वे उन लोगों में से थे जो सबसे पहले गांधीजी के अनुयायी बने।
1909 में पंड्या ने अहमदाबाद में वायसराय मिंटो और उनकी पत्नी पर बम फेंका परन्तु मिंटोस बाल-बाल बच गए।[1]
पांड्या भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल दोनों के करीबी सहयोगी थे।
मोहनलाल पंड्या को गांधी द्वारा "प्याज चोर" ("डुंगली चोर") उपनाम दिया गया था क्योंकि उन्होंने उस भूमि से प्याज काटा था जिसे ब्रिटिश सरकार ने छीन लिया था।[2]