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आरडी350 यामाहा द्वारा निर्मित एक मोटरसाइकिल थी। यह पिस्टन पोर्ट (प्री-रीड वाल्व इन्टेक ट्रैक्ट), अगले पहिये में ड्रम ब्रेक तथा 5 स्पीड वाली यामाहा 350 सीसी "आर5" को विकसित करके बनायी गयी थी।[1]
इसमें एक विश्वसनीय हवा से ठंडा होने वाला, 6 स्पीड (कुछ बाज़ारों, जैसे ब्रिटेन, में शुरुआती बिक्री वाले मॉडल 5 स्पीड वाले थे), रीड वाल्व से सुसज्जित दो-स्ट्रोक वाला इंजन था। यह गहरे हरे या ब्रांडी लाल रंगों में उपलब्ध थी तथा इसके फलक सफ़ेद व काले थे तथा प्रतीक चिह्न "यामाहा" धातु से बना था, आरडी350 (1973), आरडी350ए (1974), साधारण बैंगनी टैंक पर "यामाहा" चिह्नित तथा सफ़ेद के साथ नारंगी आरडी350बी (1975) में आये. बी मॉडल में (कम से कम ब्रिटेन में) रुपहले और काले रंग का प्रयोग भी किया गया था।
सभी मॉडल स्वचालित आयल इंजेक्शन प्रणाली "ऑटोल्यूब" से सुसज्जित थे जिसके कारण प्रयोगकर्ताओं को पेट्रोल में दो-स्ट्रोक वाला तेल नहीं मिलाना होता था।[2]
रिम आकार आगे 18" डब्ल्यूएम2 (1.85) तथा पीछे 18" डब्ल्यूएम3 (2.15") थे, दोनों पहियों में इस्पात से बनी क्रोमयुक्त तार की तीलियां लगी थीं। ब्रिटेन में, रिम के आकार सामने वाले पहिये के 1.60 और पिछले के 1.85 होते थे।
ब्रेक: अगले पहिये में एकल डिस्क ब्रेक तथा पिछले पहिये में ड्रम ब्रेक थे, इस संयोजन को साइकिल मैगजीन द्वारा अपनी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ कहा गया था।
सामान्य स्ट्रीट 350 के फ्रेम के परिमाप प्रसिद्ध यामाहा टीजेड250 व टीजेड350 श्रेणी की प्रतिस्पर्धा बाइकों जैसे ही थे, अंतर सिर्फ इनके वज़न व अगले चिमटे की बनावट का था, आरडी में यह लगभग 27 अंश था जबकि टीजेड में लगभग 25 अंश था। ये दोनों फ्रेम एक जैसे ही दिखते थे हालांकि स्ट्रीट संस्करण के फ्रेम में सड़क के अनुसार उपयुक्त उपकरणों को लगाने के लिए कई ब्रैकेट दिए गए थे। हालांकि इनके वजन में पर्याप्त अंतर था, सड़क पर चलने के उपयुक्त आरडी के फ्रेम का वज़न लगभग दौड़ (रोडरेस) के लिए बनी "टीजेड" के फ्रेम का दोगुना था।
यह मोटरसाइकिल 7500 घूर्णन प्रति मिनट पर पिछले पहिये पर लगभग 32 से 35 वास्तविक अश्वशक्ति उत्पन्न करती थी जो उस समय के लिहाज़ से बहुत तेज़ माना गया। आरडी की समकालीन कावासाकी एच2 750सीसी ट्रिपल, जिसके बारे में कहा गया कि वह 72 से 75 अश्वशक्ति उत्पन्न करती थी (साइकिल मैगज़ीन द्वारा जांचे जाने पर यह 55 बीएचपी निकला).
350 से विकसित अधिक परिष्कृत व साफ़ चलने वाली आरडी400सी 1976 में आई, "डी" व "ई" क्रमशः 77 व 78 में, तथा अंतिम मॉडल सफ़ेद रंग की आरडी400एफ़ 1979 में आई.
XS = 4 स्ट्रोक टूरर
XV = 4 स्ट्रोक वी
DT = 2 स्ट्रोक ट्रेल
RD = 2 स्ट्रोक रोड
1983-1990 के बीच भारत में आरडी350बी को एस्कोर्ट्स समूह द्वारा राजदूत 350 के नाम से बनाया गया। यह दुनिया भर में प्राप्त आरडी350बी की सफलता को भारतीय बाजार में नहीं दोहरा पायी. इसकी बिक्री के फीके आंकड़ों के लिए उच्च खरीद मूल्य और ईंधन की अधिक खपत को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। फिर भी इसने भारत में यामाहा को उच्च प्रदर्शन क्षमता वाली बाइकों के निर्माता के रूप में स्थापित किया। राजदूत 350 के दो मॉडल थे - उच्च टोर्क (High Torque) व निम्न टोर्क (Low Torque). जहां यामाहा आरडी350बी के क्रैंकशैफ्ट पर 39 बीएचपी शक्ति प्राप्त होती थी वहीं भारतीय बाज़ार के लिए बना उच्च टोर्क 30.5 ब्रेक अश्वशक्ति (22.7 कि॰वाट) प्राप्त कर पाता था तो निम्न टोर्क सिर्फ 27 ब्रेक अश्वशक्ति (20 कि॰वाट) ही प्राप्त करता था और यह सब बेहतर ईंधन खपत क्षमता के लिए किया गया। 1990 के अंत में जब इसका उत्पादन बंद हुआ, यह बाइक लगभग पूरी तरह स्वदेशी थी, बहुत ही कम जापानी पुर्जे लगे थे।
लगभग सभी बड़े शहरों में इसके ओनर क्लब तथा आयोजित दौड़ें होती है। पुर्जों की कमी के कारण बड़ी संख्या में ये बाइकें या तो कबाड़ बन गयीं, या अब प्रयोग में नहीं हैं। हालांकि, विशेषज्ञ डीलरों के द्वारा सभी प्रमुख पुर्जे या तो स्थानीय रूप से बनवाए जा रहे हैं या फिर अमरीका तथा सिंगापुर से मंगवा कर इनकी आपूर्ति की जा रही है। इसके अलावा, यामाहा इंडिया ने अब से आरडी350 के पुर्जों को उपलब्ध कराने का वादा किया है।
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