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प्रोजेक्ट विधि की मूल अवधारणा जॉन डीवी के द्वारा दी गई है तथा उनके शिष्य किलपैट्रिक ने इस विधि का प्रतिपादन किया।
इस विधि में बालक द्वारा ही किसी समस्या को प्रोजेक्ट द्वारा हल किया जाता है यह उद्देश्य पूर्ण होती हैं। इसमें शिक्षक मार्गदर्शक के रूप में काम करता है। इस विधि के द्वारा प्रत्यक्ष अनुभव होता है। पता करके सीखने पर बल दिया जाता है इस विधि में प्राप्त होने वाला ज्ञान स्थाई एवं स्पष्ट होता है। प्रयोजना विधि से बालकों में तारक चिंतन अन्वेषण शक्ति का विकास होता है। आत्मनिर्भर,सामाजिक गुणों से पूर्ण होते हैं। इस विधि में हाथ से कार्य करने पर बल दिया जाता है। शारीरिक व मानसिक परिश्रम करवाया जाता है। परियोजना विधि अधिक खर्चीली तथा अधिक समय लेने वाली होती है।