रजरप्पा जलप्रपात | |
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Rajrappa Falls ᱨᱟᱡᱽᱨᱟᱯᱟᱜ ᱡᱷᱟᱨᱱᱟ | |
अवस्थिति | रामगढ़ ज़िला, झारखण्ड, भारत |
निर्देशांक | 23°37′55″N 85°42′40″E / 23.63194°N 85.71111°Eनिर्देशांक: 23°37′55″N 85°42′40″E / 23.63194°N 85.71111°E |
उन्नयन | 346 मीटर (1,135 फीट) |
कुल ऊँचाई | 9.1 मीटर (30 फीट) |
जलमार्ग | भैरवी नदी |
रजरप्पा (अंग्रेजी:Rajrappa) भारत के झारखण्ड राज्य के रामगढ़ ज़िले के चितरपुर सामुदायिक विकास खंड में स्थित एक जलप्रपात और हिन्दू तीर्थस्थल है। यह दामोदर नदी में भेड़ा नदी (भैरवी नदी) का संगमस्थल है। यहाँ पर स्थित माँ छिन्नमस्तिका मन्दिर बहुत प्रसिद्ध है।[1][2]
रजरप्पा झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जलप्रपात "दामोदर एवं भैरवी नदी" के संगम पर स्थित है। रामगढ़ से रजरप्पा की दूरी 28 किमी की है। यहाँ का झरना एवं माँ छिन्नमास्तिका का मंदिर प्रसिद्ध है। रजरप्पा प्रांत के दो भाग हैं- रजरप्पा परियोजना और रजरप्पा मंदिर। रजरप्पा परियोजना जिसे रजरप्पा प्रोजेक्ट के नाम से जाना जाता है, वहाँ कोल इंडिया लिमिटेट की अनुषांगिक इकाइयों में से एक सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड की परियोजना है। यहाँ कोयले की खानें हैं, जहाँ विवृत खनन होता है।
रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर मां छिन्नमस्तिका का मंदिर स्थित है।इस मंदिर को 'प्रचंडचंडिके' के रूप से भी जाना जाता है।[3] मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर रुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है।पुराणों में रजरप्पा मंदिर का उल्लेख शक्तिपीठ के रूप में मिलता है।[3] मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। कई विशेषज्ञ का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 6000 साल पहले हुआ था और कई इसे महाभारतकालीन का मंदिर बताते हैं।
यहाँ कई मंदिर हैं जिनमें 'अष्टामंत्रिका' और 'दक्षिण काली' प्रमुख हैं। यहां आने से तंत्र साधना का अहसास होता है। यही कारण है कि असम का कामाख्या मंदिर और रजरप्पा के छिन्नमस्तिका मंदिर में समानता दिखाई देती है।मंगलवार और शनिवार को रजरप्पा मंदिर में विशेष पूजा होती है।[3]