रबीअह (अरबी: ربيعة, अंग्रेज़ी: Rabi'ah) एक अदनानी (उत्तरी अरब) क़बीला था। इस क़बीले की कई शाखाएँ हैं जो मध्य पूर्व में फैली हुई हैं। सारे अदनानी अरबों की तरह इनकी मूल मातृभूमि भी हिजाज़ क्षेत्र माना जाता है।
रबीअह क़बीले की मुख्य शाखाएँ इस प्रकार हैं:
- अब्दुल क़ैस (عبد القيس, Abdul Qays) - यह क़बीला बहरीन और उसके आसपास के इलाकों में जा बसा था।
- अनिज़्ज़ाह (عنزة, 'Anizzah) - यह खाड़ी देशों, उत्तर अफ़्रीका, इराक़, लेबनान, सीरिया और फ़िलिस्तीन में विस्तृत हैं।
- बक्र बिन वाइल (بكر بن وائل, Bakr ibn Wa'il) - यह ऐतिहासिक रूप से अल-जज़ीरा क्षेत्र में आ बसे थे और तुर्की के दियारबकिर शहर का नाम इन्ही पर पड़ा है (दियारबकिर = बक्र का दियार/डेरा)। इस क़बीले की आगे अपनी उपशाखाएँ थी:
- बनू हनीफ़ा
- बनू शेबान
- बनू क़ैस बिन थ़लाबाह
- बनू यश्कूर
- तग़लिब बिन वाइल (تغلب بن وائل, Taghlib ibn Wa'il) - इन्हें 'बनू तग़लिब' भी कहते हैं। इस्लाम से पहले यह क़बीला कभी भारी मात्रा में ईसाई था और अरबों का सबसे शक्तिशाली क़बीला था। यह इराक़, सीरिया और अल-जज़ीरा क्षेत्र में जाकर बस गया था।
- अन्ज़ बिन वाइल (عنز بن وائل, 'Anz ibn Wa'il) - कहा जाता है कि १३वीं सदी में प्लेग फैलने से यह क़बीला लगभग ख़त्म हो गया था हालांकि दक्षिणी सउदी अरब के असीर इलाक़े में एक 'रबीअह' नामक क़बीला इसका वंशज कहा जाता है।
- अल-नम्मिर बिन क़सित (النمر بن قاسط, al-Nammir ibn Qasit) - यह क़बीला भी इस्लाम के आने से पहले अधिकतर ईसाई था।
अरबी क़बीले दो भागों में बांटे जाते हैं: अदनानी क़बीले (उत्तरी अरब) और क़हतानी क़बीले (दक्षिणी अरब)। अदनानी क़बीलों की दो बड़ी शाखाएँ हैं - एक तो मुदर (अरबी: مضر, अंग्रेज़ी: Mudhar) है और दूसरी रबीअह है। अदनानी क़बीले अपने-आप को अब्राहम के बेटे इस्माइल के वंशज मानते हैं।[1]