रसम पगड़ी या रसम दस्तार (पंजाबी: ਰਸਮ ਪਗੜੀ, उर्दू: رسم پگڑی) उत्तर भारत और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों की एक सामाजिक रीति है जिसका पालन हिन्दू, सिख और मुस्लिम सभी धार्मिक समुदाय करते हैं।[1][2] इस रिवाज में किसी परिवार के सब से अधिक उम्र वाले पुरुष की मृत्यु होने पर अगले सब से अधिक आयु वाले जीवित पुरुष के सर पर रस्मी तरीक़े से पगड़ी (जिसे दस्तार भी कहते हैं) बाँधी जाती है। क्योंकि पगड़ी इस क्षेत्र के समाज में इज़्ज़त का प्रतीक है इसलिए इस रस्म से दर्शाया जाता है के परिवार के मान-सम्मान और कल्याण की ज़िम्मेदारी अब इस पुरुष के कन्धों पर है।[1] रसम पगड़ी का संस्कार या तो अंतिम संस्कार के चौथे दिन या फिर तेहरवीं को आयोजित किया जाता है।
... rasam pagri is the passing of the deceased male's turban to ... 'When people have the funeral gathering, a turban (pagri) is put on the elder son to show he is now responsible for the family ...