मारू-गुर्जर वास्तुशिल्प या राजस्थानी वास्तुशिल्प के विकास का आरम्भ ६ठी शताब्दी में वर्तमान राजस्थान क्षेत्र में गुर्जर प्रतिहार काल में हुआ।