राज़ : दि मिस्ट्री कन्टिन्युज | |
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निर्देशक | मोहित सूरी |
लेखक |
शगुफ्ता रफीक़ (पटकथा एवं संवाद) |
कहानी | मोहित सूरी |
निर्माता |
महेश भट्ट (प्रायोजक) मुकेश भट्ट |
अभिनेता |
इमरान हाशमी कंगना रनौत अध्ययन सुमन |
छायाकार | रवि वालिया |
संपादक | देवेन मुरुदेशवर |
संगीतकार |
Songs: राजू सिंह तोषी-शारिब गौरव दासगुप्ता, प्रणय एम. रिजिया पार्श्व-संगीत: राजू सिंह |
निर्माण कंपनी |
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वितरक | सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट इनकाॅरपोरेट |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
151 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹150 मिलियन (US$2.19 मिलियन) |
कुल कारोबार | ₹345.0 मिलियन (US$5.04 मिलियन)[1] |
राज़ : द मिस्ट्री कन्टिन्युज, (अंग्रेजी; Raaz - The Mystery Continues) वर्ष २००९ की भारतीय हाॅर्रर फ़िल्म है जो परालौकिक विषय पर आधारित है, जिसका निर्देशन मोहित सूरी ने किया है तथा इसके मुख्य अदाकारों में इमरान हाशमी तथा कंगना रनौत शामिल है। यह राज़ श्रंखला की दूसरी किस्त है, मगर कहानी भिन्न है, ना कि वर्ष २००२ की फ़िल्म राज़ की अगली कड़ी।[2][3][4] फ़िल्म "अंदरूनी शैतान" जैसे मुद्दे पर प्रकाश है कि कैसे इंसानी सनक पर वह प्रकट होता है। यह समकालीन भारतीय समाज में व्याप्त मिथकों एवं अंधविश्वासों पर आधारित है। वहीं यह फ़िल्म का प्रयास है परालौकिक घटनाओं पर विश्वास एवं अविश्वास की चुनौती पर। इमरान हाशमी फ़िल्म में पृथ्वी नामक एक रहस्यमयी पेंटिंग कलाकार की भूमिका में हैं, जिनमें एक असाधारण नेमत या उपहार प्राप्त है, कि वह आने वाले भविष्य की तस्वीरें पेंट कर सकते हैं। वह पेंटिंग नंदिता (कंगना) के भविष्य को लेकर है।[5]
फ़िल्म का थिएटरों में पर्दार्पण 23 जनवरी 2009 को हुआ था। जिसे सामान्यतः मिश्रित प्रतिक्रिया मिली और बाॅक्स ऑफिस पर "औसत हिट" साबित हुई।
राज़ सीरीज की तीसरी किस्त वर्ष 2013 में आई जहाँ इमरान हाशमी मुख्य भूमिका में थे। इस फ़िल्म के कुछेक दृश्य को हाॅलीवुड फ़िल्म द रिंग 2 और गोथिका के समान ही तुलना की गई। यह उस वर्ष के बाद से पहली किस्तें थी जहाँ भट्ट बैनर के तले लगभग दूसरे फ़िल्मों की अगली सिक्विलों को प्रदर्शित किया जिनमें मर्डर 2, जन्नत 2, जिस्म 2, राज़ 3D और 1920: इविल रिटर्न्स के नाम प्रमुख है, जिनका किसी भी पिछली फ़िल्म की कहानी का क्रमशः अगला भाग नहीं है, मगर किसी ना तरह उनकी पिछली फ़िल्म की शैली तथा वस्तुस्थिति को दोहराता है।
कहानी की शुरुआत एक अमेरिकी के देर रात कालिंदी मंदिर पहुँचने से होती है। वहां वह पाता है कि मंदिर के पुजारी की दशा काफी भयंकर हो गई थी – वह अपने ही शरीर को हँसिए के औजार से काट डालता है और अपने बदन पर 'ॐ' शब्द लिखता है। वह शख्स, यह सब देखकर दहशत में पड़ जाता है और भाग निकलता है। फिर यह कहानी मुड़ती है नई उभरती माॅडल 20 वर्षीय, नंदिता (कंगना राणावत) की तरफ जो यश, (अध्ययन सुमन) से प्यार करती है जो एक वास्तविक धारावाहिक "अंधविश्वास" का बतौर निर्देशक एवं मेजबान है जो विभिन्न मनगढंत भूत-प्रेतों एवं तांत्रिक वुडू जैसे अंधश्रद्धाओं पर वृत-फ़िल्में बनाता है। इस बार यश जन्मदिन के मौके पर नंदिता को बतौर तोहफ़ा एक अपार्टमेंट देता है, वे नई जिंदगी की शुरुआत करते है और दोनों प्रेम में लिप्त होते हैं, कुछ वक्त बाद नंदिता गर्भवती होती है।
एक शाम, नंदिता का सामना पृथ्वी (इमरान हाशमी) नाम के, एक बेहद आकांक्षी आर्टिस्ट से होता है जो अपनी मास्टरपीस की खोज में उस तक पहुँचता है। पृथ्वी उसे बताता है कि 4 माह पहले उसने एक लड़की की स्केचिंग बनाई थी, जो असल में नंदिता की थी। वह उस पेंटिंग को भी दिखाता है जिसमें उसकी कलाई कटने पर लेटी पड़ी है। वह नंदिता से किसी भी खतरे के प्रति चौकस रहने को आगाह करता है। मगर पृथ्वी की बात को अनसुनी कर चुकी, नंदिता को बाथरूम में अचानक ही कोई प्रेत उसकी कलाई काट देता है। पृथ्वी उसे बचाता है और अस्पताल में भरती कराता है। यश अस्पताल पहुँचता है और उसके गर्भ को जानने की कोशिश करता है और बताती है कि अत्यधिक रक्तस्राव से अब उसका गर्भपात मुश्किल है। वह यश से पृथ्वी के बारे में शिकायत करती है, और यश उसे गिरफ्तार करता है,मगर जल्द ही वह वहां से छुट जाता है।
इसी दरम्यान, कालिंदी पर, वह अमेरिकी, डेविड कूपर (जे. ब्रैन्डन हिल), जो कालिंदी के रासायनिक कारखाने का मालिक है, वह भी खुद को फंदे से लटकर मरने से पूर्व अपने कमरे की दीवार पर अपने ही खून से लिख देता है कि, "तुम अशुद्ध हो, अंदर से सड़ चुके हो"। वहीं इस आत्महत्या की तहकीक़ात कर रहा इंस्पेक्टर भी इसके बुरी प्रभाव की चपेट में आता है। उधर वापिस अपने घर में, पृथ्वी एक और तस्वीर बनाता है जिसमें नंदिता पर भीड़ हमला करती है। वह उस फैशन शो में जाता है जहाँ नंदिता अपना प्रदर्शन करती है, और उसपर जैसे भूत सवार होता है और शो में उपस्थित एक आध्यात्मिक गुरु पर हमला कर बैठती है। तब वह उन्हीं पंक्तियों को दोहराती हुई उसे कहती है कि, " तु अशुद्ध है, अंदर से सड़ चुका है"। पृथ्वी उसे बचाने को दौड़ता है, मगर वहां मौजूद गार्ड द्वारा रोक लिया जाता है। नंदिता को उस गुरू जी और दर्शकों से दूर हटाया जाता है। कुछ वक्त बाद टीवी पर गुरु जी का साक्षात्कार दिखाया जाता है, जो नंदिता पर किसी प्रेत के हावी होने की बात कहते हैं। वहीं सबकुछ जानने पर, यश सार्वजनिक तौर पर सबसे माफी मांगता है, और बताता है असल में वह मानसिक समस्याओं से परेशान है।
उधर गार्ड्स के हाथों पृथ्वी के छूटने बाद, नंदिता को फिर से बाथरूम में वह प्रेत दिखाई पड़ता है, जो दुबारा वही पंक्तियाँ शीशे में लिख दी जाती है। वह पृथ्वी से मदद माँगने जाती है, मगर वही उससे इंकार करता है, यह तस्वीर दिखाते हुए जिसमें वह खुद को फाँसी लगा चुकी है और उसके नजदीक ही वही समान पंक्तियाँ लिखी हुई है। फिर वह उस समाचार की क्लिपिंग भी दिखाता है जिसमें उस पुजारी और डेविड कूपर की मौत हुई है,और उन्हीं पीछे वही समान पंक्तियाँ लिखी गई थी। नंदिता उसे शुक्रिया कहती है और यश की बुलाई पार्टी में शिरकत करने पहुँचती है। पर वहां पहुँच कर भी भूत उसपे हावी होता है और, खुद को ही घायल करती है और खून बहने लगता है। इसी बीच, पृथ्वी उसकी मदद की खातिर तैयार होता है नंदिता की उस मनहूस भविष्य की तस्वीर को जलाकर, इस बात का धोतक कि वह उसकी जान बचाकर रहे। वह नंदिता को पार्टी से भागते देख लेता है, खून से तर, और फिर वह उसके पीछे पड़ जाता है। आखिर में वह उसे एक झुग्गी इलाके में खोज निकालता है, जहाँ वह उन्हीं पंक्तियों को दुहरातेहुए लिख रही थी। पृथ्वी उसे रोकने की कोशिश करता है मगर वह जान जाता है कि नंदिता पर प्रेत हावी है। नंदिता खुदखूशी की भरसक कोशिश करती है मगर ऐसा करने से पृथ्वी उसे रोक लेता है। यश तभी भागता हुआ पहुँचता है और नंदिता को पृथ्वी की बाँहों में पाता है।
यश तब नंदिता की मदद करने को राजी होता पर इस शर्त पर कि वह पृथ्वी का साथ छोड़ दे, मगर वह उसकी मदद लेने से मना कर देती है और पृथ्वी के साथ चलने का निश्चय करती है ताकि कालिंदी जाकर इस सच को ढूँढ सके। उस शाम पृथ्वी और नंदिता गेस्ट हाउस में रात गुजारते हैं और अगली सुबह रवाना होते हैं। पुरे दिन के सफर के बाद वह लोग कालिंदी पहुँचते हैं और उस पुजारी की बीवी से मिलते है (जो खुद अब वेश्या बनकर गुजर-बसर को मजबूर है) जो बताती है कि उसका पति ने खुद ऐसे कुकर्म में शामिल रहा था और उसे इसकी मौत पर हैरानी तक नहीं, उसके शायद मरने की यही वजह होगी कि उसने धर्म के नाम पर कई मासूम लोगों के साथ खिलवाड़ करने का अपराध किया होगा। फिर तो वह लोग उस पुलिस इंस्पेक्टर के घर जाने का फैसला लेते है,(उसी के घर जो डेविड कूपर के आत्महत्या के मामले की छानबीन कर रहा है), जहाँ वह लोग पाते हैं कि पुरी तरह पागल हो चूका है और ना ही इस लायक कि उसे खुदखूशी करने से रोका जाए।
आशातीत सबूत नहीं मिलने पर नंदिता व पृथ्वी उसी शाम वापिस लौटते हैं। रास्ते में नंदिता आने वाले अंजामों को और सह नहीं पाने के कारण वह पृथ्वी से आत्महत्या करने की दर्खास्त करती है। पृथ्वी उसे आश्वस्त करता है कि वे लोग मिलकर सच्चाई ढूँढ निकालेंगे। तभी उनकी कार को कई सारे मवेशी भैंसों का झुंड रोकता है और एक बिफराया सांड उनकी कार को टक्कर जड़ते हुए पलट देता है। नंदिता कार से निकल पड़ती है, पृथ्वी निकलने की पुरजोर कोशिश करता है। फिर वही प्रेत उसे जंगल की ओर ले जाता है जहाँ उसपर दुबारा आसमान्य ढंग से हमला है। फिर उसे कई लोग पेड़ों पर लटके दिखाई पड़ते हैं। इसके बाद वह एक कुएँ के यहां पाती है और देखती है वहाँ कोई नजदीक खड़ा है, वह उसकी ओर बढ़ती है। इसी में वह कुएँ में कूद जाती है, पृथ्वी भी उसके पीछे छलाँग लगाता है और पकड़ लेता है। यह जानते हुए कि कुएँ की दीवार एक सीधी खड़ी चट्टान की तरह है। वहीं कुएँ के भीतर, नंदिता जान जाती है कि यह पृथ्वी के पिता, वीर प्रताप सिंह (जैकी श्राॅफ), ही है जो उसपर हावी होते रहे हैं। यह सब तब शुरू हुआ जब उन्हें कालिंदी के रासायनिक कारखाने से निकले जहरीले कचरे को नदी में बहाए जाने की बात मालूम हुई और जहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इस पवित्र अनुष्ठान में सरोवर में स्नान करने पहुँचते हैं। वे डेविड कूपर के खिलाफ शिकायत दायर करने थाने भी जाते हैं मगर वही पुलिसकर्मी और मंदिर पुजारी किसी भी कार्रवाई ना करने की धमकी देते है,अन्यथा पवित्र अनुष्ठान में व्यवधान डालकर वह अपनी जिंदगी खुद खतरे में डाल देगा। इसके प्रत्युत्तर में वह उनको कहता है, "तुम अशुद्ध हो, अंदर से सड़ चुके हो"। वीर प्रताप यह सारी सच्चाई सबके सामने खुलासा करने की कोशिश करते हैं, मगर जल्द ही पुजारी के मंगाए लठैत उसे पीट-पीटकर अधमरा कर देते हैं, पर किसी तरह जान बचाने के चक्कर में वह कुएँ में गिर पड़ते है। मरने के बाद वह रुह बनकर अपना बदला लेते हैं। इस तरह वह डेविड कूपर, और उसका साथ देने वाले पुलिसकर्मी व पुजारी की भी उसी तरह जाने ले लेते हैं। पृथ्वी आखिर में यह सच्चाई जान तो लेता हो, मगर वह समझ नहीं पाता इस मामले में नंदिता इसमें क्यूँ उलझ रही है। यहां सुबह होते ही यश अपने लाव-लश्कर के साथ नंदिता को लेने पहुँच जाता है।
उसी शाम पृथ्वी को नंदिता का एक और डरावना सपना दिखाई देता है, वह फौरन फर्श पर उसकी तस्वीर बनाता है जहाँ इस बात की सूचना थी कि आज उसकी हत्या होनी है। वहीं यह सच्चाई मालूम पड़ जाती है कि यश के यहां वीर प्रताप सिंह की मौत सभी प्रमाण हैं, मगर उसने वह सबूत अपने शो का प्रयोजन धन के लिए डेविड को ही दे दिए। नंदिता उस सबूत को ढूंढने के लिए भागने की कोशिश करती है मगर इससे पहले यश उसपर गोली चला ही देता, पृथ्वी वहां पहुँच कर नंदिता को बचा लेता है। मगर पासा पलट जाता है, यश चालाकी से पृथ्वी को जख्मी कर मार डालता। अंत में, वीर प्रताप की आत्मा प्रकट होकर यश को उसके किए का दंड मिलता है और मारा जाता है। इसके साथ ही, वीर प्रताप के गुजरते ही पृथ्वी के घाव ठीक होते हैं। वहीं तमाम हत्याओं के सबूतों तथा कालिंदी के सरोवर की विषैली होने की प्रमाणिकता पर अनुष्ठान संबंधी पर्व के साथ उस रासायनिक कारखाने को भी बंद कर दिया जाता है। पृथ्वी और नंदिता नए सिरे से जिंदगी शुरू करते है।
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का गलत प्रयोग; gross
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।