राजेन्द्र कुमार तुली | |
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राजेन्द्र कुमार अपने अन्तरंग मित्र स्व. ऍम. ऍच. डगलस १९६३ में फ़िल्म आई मिलन की बेला के सॅट पर | |
जन्म |
20 जुलाई 1927 सियालकोट, पंजाब, ब्रिटिश भारत |
मौत |
12 जुलाई 1999 मुंबई, महाराष्ट्र, भारत | (उम्र 71)
पेशा | अभिनेता, फ़िल्म निर्माता, फ़िल्म निर्देशक |
कार्यकाल | १९५०-१९९८ |
जीवनसाथी | शुक्ला |
बच्चे | २ पुत्रियाँ तथा एक पुत्र कुमार गौरव |
राजेन्द्र कुमार (२० जुलाई 1927 – १२ जुलाई १९९९) ६० तथा ७० के दशकों में बॉलीवुड के सफलतम अभिनेताओं में से एक थे। ८० के दशक में वह कई फ़िल्मों के निर्माता थे जिनमें उनके पुत्र कुमार गौरव ने अभिनय किया है। उनका जन्म ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रान्त के सियालकोट शहर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है।[1]
राजेन्द्र कुमार ने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत 1950 की फ़िल्म जोगन से की जिसमें उनको दिलीप कुमार और नर्गिस के साथ अभिनय करने का अवसर मिला। उनको 1957 में बनी मदर इंडिया से ख्याति प्राप्त हुयी जिसमें उन्होंने नर्गिस के बेटे की भूमिका अदा की। 1959 की फ़िल्म गूँज उठी शहनाई की सफलता के बाद उन्होंने बतौर मुख्य अभिनेता नाम कमाया।
60 के दशक में उन्होंने काफ़ी नाम कमाया और कई दफ़ा ऐसा भी हुआ कि उनकी 6-7 फ़िल्में एक साथ सिल्वर जुबली हफ्ते में होती थीं। इसी कारण से उनका नाम 'जुबली कुमार' पड़ गया।
अपने फ़िल्मी जीवन में राजेन्द्र कुमार ने कई सफल फ़िल्में दीं जैसे धूल का फूल (१९५९), दिल एक मंदिर (१९६३), मेरे महबूब (१९६३), संगम (१९६४), आरज़ू (१९६५), प्यार का सागर, गहरा दाग़, सूरज (१९६६) और तलाश।[2]
उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेता की श्रेणी में फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार के लिए फ़िल्म दिल एक मंदिर, आई मिलन की बेला और आरज़ू के लिए नामांकित किया गया और सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता की श्रेणी में संगम के लिए।[3]
१९७२ से उनको राजेश खन्ना से स्पर्धा का सामना करना पड़ा। इसी दौरान नूतन के साथ उन्होंने फ़िल्म साजन बिना सुहागन (१९७८) में काम किया। ७० के दशक के आख़िर से ८० के दशक तक उन्होंने चरित्र भूमिका की ओर रुख़ किया। उन्होंने कई पंजाबी फ़िल्मों में भी काम किया जैसे तेरी मेरी एक जिन्दड़ी।
१९८१ में उन्होंने अपने पुत्र कुमार गौरव को फ़िल्मों में लव स्टोरी नामक फ़िल्म से प्रवेश करवाया। इस फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक होने के साथ-साथ उन्होंने इस फ़िल्म में कुमार गौरव के पिता की भूमिका भी अदा की। यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस में बहुत सफल सिद्ध हुयी।[4] उन्होंने अपने पुत्र को लेकर कई और फ़िल्में भी निर्मित कीं। १९८६ में उन्होंने अपने पुत्र और संजय दत्त को लेकर नाम फ़िल्म बनाई जो फिर से बॉक्स ऑफ़िस में धमाल करने में कामयाब हुयी। उनका आख़िरी अभिनय Earth फ़िल्म में था।
उनका विवाह शुक्ला नामक महिला के साथ हुआ और दोनों की तीन संतानें हुयीं-एक पुत्र तथा दो पुत्रियाँ। उनके पुत्र कुमार गौरव का विवाह राज कपूर की पुत्री रीमा के साथ तय हुआ था लेकिन किसी कारणवश वह रिश्ता टूट गया।[5] इसके पश्चात् उसका विवाह सुनील दत्त और नर्गिस की पुत्री नम्रता- जो कि संजय दत्त की बहन हैं- के साथ संपन्न हुआ।
निजी जीवन में राजेन्द्र कुमार तथा राज कपूर बहुत घनिष्ठ मित्र थे लेकिन उनकी संतानों के रिश्ते टूट जाने से उनके रिश्ते में भी खटास आ गई।[5]
वह सुनील दत्त के भी काफ़ी क़रीबी मित्र थे और सुनील दत्त के अनुसार जब वह अपने पुत्र संजय दत्त के संकट से जूझ रहे थे तो राजेन्द्र कुमार ने उनकी बहुत मदद की।
अपने ७०वें जन्मदिन से सिर्फ़ ८ दिन पहले १२ जुलाई १९९९ को कैन्सर की बीमारी के चलते उनका देहवसान हो गया।
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
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1970 | गीत | ||
1968 | साथी | रवि | |
1966 | सूरज | ||
1964 | संगम | ||
1961 | ससुराल | ||
1957 | मदर इण्डिया |