रामगुप्त

यह प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश का राजा था। इनकी राजधानी पाटलीपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। यह एक विलासी , दुर्बल , कायर शासक था। उसके छोटे भाई ने रामगुप्त की हत्या कर दी और सिंहासन पर बैठ गया। रामगुप्त की जानकारी उदयगिरी से प्राप्त उसके द्वारा जारी किए गए तांबे के सिक्के से भी मिलती है।

साहित्य में रामगुप्त की जानकारी

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हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध नाटककार विशाखदत्त द्वारा लिखे गए लोकप्रिय नाटक देवीचंद्रगुप्तम में वर्णित है की रामगुप्त एक अज्ञात शक शासक से पराजित हो जाता है और यह अपनी स्त्रि ध्रुवदेवी को शक राजा को भेंट स्वरूप देकर अपमानजनक संधि कर लेने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लेता है। परंतु उसका भाई देवगुप्त जो की चंद्रगुप्त द्वितीय था इस बात से सहमत नही था। वह स्त्री वेश में संधि होने वाले स्थान पर जाता है और आपके भाई रामगुप्त को मार कर उस अज्ञात शक शासक की भी हत्या कर देता है और बाद में रामगुप्त की विधवा पत्नी ध्रुवदेवी से विवाह कर लेता है।

बाहरी कड़ियाँ

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