राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (एनआईआई),नई दिल्ली के पास आधारभूत एवं अनुप्रयुक्त प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में अतिमहत्वपूर्ण अनुसंधान शुरू करने, उसे सहायता देने, प्रोत्साहन देने, मार्गदर्शन देने और समन्वित करने का अधिदेश है। संस्थान एक वैज्ञानिक आधार तैयार करने और मौलिक अनुसंधान एवं व्यावहारिक उद्यम-साझेदारी के साथ जनसाधारण की वास्तविक उपयोगिता के लिए व्युत्पन्न समाधानों की खोज में अपनी गतिविधियों को केन्द्रित करने का कार्य जारी रखा हुआ है और इसके लिए वैज्ञानिक आधार सृजित किया है।
संस्थान ने अपनी शुरूआती वर्षों के दौरान शुष्क जलवायु के प्रासंगिक प्रतिरक्षा नैदानिक कीटों के विकास के लिए यू एन डी पी अनुदान प्राप्त किया था। इससे गर्भावस्था, टाइफाइड, हेपाटाइटिस-बी तथा एमीबायसिस के लिए नैदानिक कीटों का विकास हो सका था। संस्थान ने अभी तक निम्न नैदानिक कीटों का विकास, मान्यकरण तथा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण किया है: गर्भावस्था की जाँच के लिए 2 किटें, टाइफाइड, हैपाटाइटिस-बी, एमीबिक लीवर एबसेस और इंटेस्टायनल एमीवायसिस के लिए एक-एक किट। उत्पाद स्थिरीकरण, गुणवत्ता आश्वासन और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना भी की है। संस्थान ने माइकोबैक्टीरियम पर आधारित कुष्ठ रोग टीके के लिए बीज-संवर्धन संबंधी प्रौद्योगिकी तैयार की है। पॉलिमेरेस चेन रिएक्शन (पीसीआर) आधारित डीएनए अन्वेषियों को टयूबरकुलोसिस तथा ट्रांसपऊयूजन जौंडिस के कारण होने वाले हेपाटाइटिस-बी वायरस के लिए डिजाइन किया है।
संस्थान ने सीरम में स्थानीय प्रभेदों की विशिष्टता सहित एचआईवी-1 तथा एचआईवी-2 प्रतिरक्षियों की उपस्थिति की पता लगाने के लिए एलिसा परीक्षण का विकास किया है। इस परीक्षण को एड्स निगरानी केन्द्रों और ब्लड बैंकों द्वारा प्रयोग के लिए डिजाइन किया गया है और यह संशोधित कीटों का एक उपयुक्त एवजी होगा। संस्थान के पास जन्म नियंत्रण बी-एचसीजी आधारित गर्भ निरोधक टीकों, सर्वव्यापी प्रभावकारी एपीटोप आधारित टीकों जैसे प्रतिरक्षा जैविक गर्भ निरोधकों के विकास और वैक्सीन डिजाइन, उत्पादन, संरूपण और वितरण को इष्टतमीकृत करने के एक ही प्रक्रियाओं और माइकोबैक्टीरियम के प्रयोग से इम्यूनोजैन तथा कुष्ठ रोग टीकों के उत्पादन के लिए पुनर्संयोजी निष्पीड़न प्रणालियों के इष्टतमीकरण, कृषि के क्षेत्र में लाभ प्राप्त करने की दृष्टि से पशुओं में गर्भावस्था का पता लगाना और भ्रूण लिंगधारण इत्यादि जैसे प्रजनन जीवविज्ञान में अनुप्रयोग, इनविट्रो निषेचन, भ्रूण संरक्षण, उत्प्रेरित प्रजनन तथा संबध्द क्षेत्रों के लिए तकनीकों के विकास संबंधी बड़ी-बड़ी परियोजनाएं हैं।
यह संस्थान प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में आधारभूत अनुसंधान भी चलाता है। एनआईआई ने कई भारतीय तथा विदेशी पेटेंट फाइल किए हैं। इनके पास 8 अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट है। एनआईआई ने उच्च गुणवत्तायुक्त प्रतिरक्षा जैविक रीएजेंटों, रिस्ट्रीक्शन एंजाइम और प्लाजमीडों के आधानों के विकास में सफलता प्राप्त की है। यह संस्थान भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी के माध्यम से गाय-बैल नस्लों में सुधार संबंधी राष्ट्रीय मिशन परियोजना केन्द्र के साथ सहयोग कर रहा है। संस्थान ने पराजीनी पशुओं के प्रजनन के लिए प्रौद्योगिकी के विकास हेतु एक परियोजना शुरू की है।