'रिसग' (Reversible inhibition of sperm under guidance ,RISUG) एक पुरुष गर्भनिरोधक इंजेक्शन(सूई) है। इसे पहले सिंथेटिक पॉलीमर स्टाइरीन मलेक एनहाइड्राइड ( एसएमए ) के नाम से में जाना जाता था। भारत में आईआईटी खड़गपुर के 'स्कूल ऑफ़ मेडिकल साइंस & टेक्नोलॉजी' में जैवचिकित्सा (बायोमेडिकल) इंजीनियरी के प्रोफेसर डॉ. सुजॉय के. गुहा की टीम द्वारा इसे विकसित किया गया है। सुजॉय के. गुहा ने अनेकों अन्य आविष्कारों को करने के बाद रिसग का विकास किया।
रिसग शुक्रवाहिका(vas deferens) में एक इंजेक्शन(सूई) द्वारा काम करता है। यह पुरुष नसबंदी के समान है जिसमें एक स्थानीय संवेदनाहारी दी जाती है । वृषण (अंडकोश) में चीरा लगाकर शुक्रवाहिका को काटने के स्थान पर एक जेल (gel) की सूई लगाई जाती है।[2]
यह विश्व का पहला प्रतिवर्ती (reversible) गैर हार्मोनल (Non-hormonal), गैर इनवेसिव Non-invasive) इंजेक्टेबल पुरुष गर्भनिरोधक होगा. [3] रिसग इंजेक्शन का लाभ यह है कि गैर-हार्मोनल होने के कारण इनके दुष्प्रभाव कम हैं - हालांकि अभी और परीक्षण किए जाने की आवश्यकता है।[4] एक बार लगा इंजेक्शन दस साल तक प्रभावी होगा। ये इंजेक्शन पूरी तरह से प्रतिवर्ती हैं। एक सरल इंजेक्शन द्वारा शुक्रवाहिका (vas deferens) से जेल (gel) के असर को खत्म कर उसे बाहर निकाला जा सकता है।[5]
रिसग को भारत, चीन, बांग्लादेश और संयुक्त राज्य अमेरिका में पेटेंट कराया गया है। भारत में चल रहे तीसरे चरण के क्लीनिकल (चिकित्सीय) परीक्षण को स्वयंसेवकों की अपर्याप्त संख्या के कारण धीमा कर दिया गया था। अब ये क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण को सफतापूर्वक पूर्ण कर चुका है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के विनियामक अनुमोदन की प्रतीक्षा कर रहा है। [6]