रेल विद्युतीकरण प्रणाली एक प्रदूषण मुक्त और ऊर्जा संरक्षित माध्यम है। 1925 में भारतीय रेलवे में 1500 वॉल्ट डी.सी के साथ विद्युतीकरण की शुरुआत हुई थी। इसके बाद इसे बढ़ाकर 3000 वोल्ट डी.सी कर दिया गया।[1]