भारत सरकार ने एक फ्रेट ऑपरेशन इन्फोर्मेशन सिस्टम (एफओआईएस) स्थापित करने का निर्णय लिया, बाद में 1986 में रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे पर समस्त कंप्यूटर संबंधी गतिविधियों के लिए एक अम्ब्रेला संगठन के रूप में रेलवे सूचना प्रणाली केन्द्र SYSTEMS (क्रिस), चाणक्यपुरी, नई दिल्ली - 21 की स्थापना की। रेल मंत्रालय ने क्रिस के संबद्ध संचार-तंत्र सहित इसे एफओआईएस के डिजाइन, विकास और क्रियान्वयन का कार्य भी सौंपा। प्रबंध निदेशक की देखरेख में क्रिस ने एक स्वायत्त संगठन के रूप में जुलाई, 1987 में कार्य करना आरंभ किया। क्रिस मुख्यत: एक प्रोजेक्ट ओरिएंटेड संगठन है जो रेलवे की प्रमुख कंप्यूटर प्रणालियों के विकास के काम में लगा है। क्रिस ने सूचना प्रोद्यौगिकी में विशेष ज्ञान और महारथ हासिल कर ली है। अपने बहुत अच्छे व्यावहारिक अनुभव, प्रोफेशनल्स की समर्पित टीम और स्वयं के अनुसंधान विकास के प्रयासों से क्रिस इस तेजी से विकसित होते क्षेत्र में नेतृत्व के लिए प्रयासरत है। भारतीय रेल एक नवीन और वृहद सूचना प्रोद्यौगिकी के माहौल में भारत के सर्वाधिक उन्नत मंत्रालयों में से एक है।
भारतीय रेलवे पर कंप्यूटर संबंधी समस्त कार्यकलापों के लिए निम्नलिखित कारणों से एक अलग संगठन बनाए जाना बेहतर समझा गया :
क्रिस द्वारा मुख्यत: चार परियोजनाओं पर कार्य किया जाता है ::
परिचालन के दायरे को देखते हुए भारतीय रेलवे विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रेलवे है। इसमें 6,853 स्टेशन, 6,302 किलोमीटर रेलपथ, 37,840 सवारी डिब्बे और 222,147 माल डिब्बे हैं। रेलवे द्वारा प्रतिवर्ष 4.83 बिलियन यात्रियों और 492 मिलियन टन माल की ढुलाई की जाती है।
8520 गाड़ियों में प्रतिदिन यात्रा करने वाले 11 मिलियन यात्रियों में से लगभग 550,000 यात्री आरक्षित टिकट लेकर यात्रा करते हैं। उनकी यात्रा भारत के किसी भी भाग से आरंभ हो सकती है और किसी भी भाग में समाप्त हो सकती है, जिनका यात्रा समय 48 घंटे तक हो सकता है और यात्रा दूरी कई हजार किलोमीटर हो सकती है। आरक्षण प्रणाली की व्यवस्था एक चुनौती है जो इतने बड़े पैमाने पर परिचालन कार्यों की सहायता करती है - इस तथ्य के बावजूद कि ये किलोमीटरों में मापे जाते हैं, यात्रियों की संख्या, मार्गों की जटिलता अथवा साधारणतया भारत का वृहद क्षेत्रफल एक चुनौती है।
एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यात्री आरक्षण प्रणाली की शुरुआत 1985 में दिल्ली में की गई थी। किसी भी काउंटर से किसी भी गाड़ी में आरक्षित स्थान उपलब्ध कराना, गाड़ियों के चार्ट तैयार करना और एकत्र की गई धनराशि का का लेखा-जोखा रखना इसका मुख्य उद्देश्य था। आरंभ में जब दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया गया तो सॉफ्टवेयर (जिसे यहां वर्जन 1 कहा जाएगा) की अनेक सीमाएं थीं। ये वर्जन 1987 में अगले वर्जन-2 के आने पर समाप्त हो गया। नए स्थान जुड़ने और 1990 में वर्जन-3 में कई नई रिडेफिनेशंस जुड़ने से इम्प्रेस कहे जाने वाले पिछले सॉफ्टवेयर यात्रियों की बढ़ती अपेक्षाओं के लिए कम पड़ गए और एक ऐसे सॉफ्ट वेयर की आवश्यकता महसूस कि गई जिसमें सिकंदराबाद, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई के पांच स्वतंत्र पीआरएस नोड्स की नेटवर्किंग की व्यवस्था करने की क्षमता हो।
18 अप्रैल 1999 को चेन्नई पीआरएस की नेटवर्किंग के साथ सिकंदराबाद, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई स्थित पांच पीआरएस नेटवर्क अंतत: एक साथ जुड़ गए।
अब किसी भी बुकिंग टर्मिनल से किसी भी स्टेशन से किसी भी स्टेशन के लिए आरक्षित टिकट लेना संभव हो गया है। आम जनता को स्थान की उपलब्धता, पीएनआर की स्थिति और यात्रा संबंधी अन्य जानकारी विभिन्न इंटरफेसों जैसे टेलीफोन पर इंटरएक्टिव वॉयस रेस्पॉन्स सिस्टम (IVRS) चुनिंदा स्टेशनों पर टच-स्क्रीन, रैपिड, डिस्पेल, पैसेंजर ऑपरेटिड इन्क्वायरी टर्मिनल और समाचार-पत्रों के माध्यम से दैनिक प्रेस-रिपोर्टों की उपलब्धता की सुविधा दी जा चुकी है।
सॉफिस्टिकेटिड रिजर्वेशन और टिकटिंग एप्लीकेशन क्रिस की एक मुख्य उपलब्धि है जिसे कन्ट्रीवाइड नेटवर्क फॉर एन्हांस्ड रिजर्वेशन एंड टिकटिंग (CONCERT) कहा जाता है।
रिजर्वेशन/टिकटिंग और इन्क्वायरी एप्लीकेशन का अधिकतम विकास सुनिश्चित करके एक बेहतर यात्री सेवा प्रदान करना क्रिस के लिए एक मुख्य चुनौतीपूर्ण कार्य है। रेलवे के लिए आवश्यक है कि वह ऐसे आरक्षण चार्ट तैयार करे जो यात्रियों की सीटों से मिलान रखते हों और इन चार्टों को प्रत्येक कोच के बाहर अवश्य चिपकाया जाए। कंसर्ट सॉफ्टवेयर की मदद से प्रत्येक गाड़ी के अगले तीन यात्रा दिवसों के स्केलेटन चार्ट अग्रिम रूप से बनाना संभव हो सका है।
भारतीय रेल की वर्तमान कंसर्ट एप्लीकेशन उपलब्ध नवीनतम तकनीक के उपयोग से क्रमिक प्रगति को दर्शाती है। 1980 के मध्य में भारतीय रेलवे ने सबसे पहले VMST के उपयोग से VAXT सिस्टम पर टिकटों का कंप्यूटरीकरण करना आरंभ किया। यह कार्य पांच क्षेत्रीय आरक्षण केन्द्रों से किया गया, जिनमें से प्रत्येक एक अलग कार्य करता था और उसका अपना डेटाबेस होता था। 1990 के मध्य से अंत तक के दौरान क्रिस ने कंसर्ट की शुरुआत की, जिससे पांचों यात्री केन्द्रों को जोड़ा गया ताकि भारतीय रेलवे के किसी भी स्टेशन से किसी भी स्टेशन के लिए एक ही खिड़की से आरक्षित टिकट जारी किया जा सके।
संपूर्ण कंसर्ट एप्लीकेशन को इसके आरंभ से ही 5 VAX-VSM कलस्टरों पर हॉस्ट किया गया था जो नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और सिकंदराबाद स्थित यात्री आरक्षण केन्द्रों में स्थित है।
देश में पीआरएस टर्मिनलों की अभूतपूर्व वृद्धि के साथ ही इंटरनेट इन्क्वायरी जैसे विभिन्न इंटरफेस वाले सॉफ्टवेयर सिस्टम का संपूर्ण लोड कई गुना बढ़ गया था।
वर्तमान एप्लीकेशन को VAX-VMS सर्वरों से अल्फा VMS सर्वरों में ले जाने की आवश्यकता महसूस की गई। विद्यमान VAX VMS सर्वरों से अल्फा VMS सर्वर में माइग्रेशन का यह कार्य रिकार्ड समय-सीमा में पूरा किया गया। इस नए प्लेटफार्म से लागत की महत्वपूर्ण बचत के साथ समय की बचत भी हुई जो भारतीय रेलवे के आधुनिकतम सूचना प्रोद्यौगिकी प्लेटफार्म का एक अन्य महत्वपूर्ण लाभ है।
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