रॉबर्ट श्लागिंटवाईट (Robert Schlagintweit, जन्म: २४ अक्टूबर १८३३, देहांत: ६ जून १८८५) एक जर्मन खोजयात्री था जिसने १९वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के लिए मध्य एशिया में कई यात्राएँ करीं और अपने संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरों के बारे में भी लिखा।
रॉबर्ट श्लागिंटवाईट जर्मनी के म्यूनिख़ शहर के श्लागिंटवाईट परिवार के पाँच भाइयों में से चौथा भाई था। उसने छोटी उम्र में ही अपने दो बड़े भाइयों - हर्मन (Hermann) और एडोल्फ़ (Adolf) के साथ ऐल्प्स पहाड़ों का भ्रमण करना और उसपर लिखना शुरू कर दिया। इन तीनों ने मिलकर १८५४ में अपनी छानबीन का ब्यौरा 'ऐल्प्स के भौतिक भूगोल और भूविज्ञान पर नए अध्ययन' (Neue Untersuchungen über die physikalische Geographie und Geologie der Alpen) नामक कृति में प्रकाशित किया।[1]
१८५४ में अलेक्जेण्डर वॉन हम्बोल्ट की सिफ़ारिश पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने हर्मन, एडोल्फ़ और रॉबर्ट को भारतीय उपमहाद्वीप में अपने क़ब्ज़े वाले क्षेत्रों पर विज्ञानिक अनुसन्धान करने के लिए नौकरी पर रख लिया और विशेषकर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र पर छानबीन करने का ज़िम्मा दिया। उन्होंने अगले तीन सालों में दक्षिण भारत के दक्खन पठार और फिर हिमालय, काराकोरम और कुनलुन पर्वतों का दौरा किया। हर्मन और रॉबर्ट कुनलुन शृंखला पार करने वाले पहले यूरोपीय लोग थे।
इसके बाद रॉबर्ट यूरोप वापस चला गया और १८६३ में जर्मनी के गीसन विश्वविद्यालय (Gießen University) में भूगोल का प्रोफ़ेसर बन गया। १८६७ से १८७० तक उसने संयुक्त राज्य अमेरिका के कई दौरे किये। पहले उसने बोस्टन के लॉवेल संसथान (Lowell Institute) में 'पर्वतीय एशिया की पहाड़ियाँ और भौतिक भूगोल' पर १२ भाषण दिए और फिर पूरे देश का भ्रमण किया, जिसमें प्रशांत महासागर के तटवर्ती क्षेत्रों का दौरा भी सम्मिलित था।[2] बाद में उसने जर्मन भाषा में अमेरिका पर कई किताबें लिखी जिनमें 'अमेरिका के प्रशांत रेलमार्ग', 'कैलिफ़ोर्निया', 'मोरमोन' और 'पश्चिमी अमेरिका की प्रेरी' शामिल हैं।