रोटी कपड़ा और मकान | |
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रोटी कपड़ा और मकान का पोस्टर | |
निर्देशक | मनोज कुमार |
लेखक | मनोज कुमार |
निर्माता | मनोज कुमार |
अभिनेता |
मनोज कुमार, ज़ीनत अमान, शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, मौसमी चटर्जी |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथि |
18 अक्टूबर 1974 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
रोटी कपड़ा और मकान 1974 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका लेखन, निर्देशन और निर्माण मनोज कुमार ने किया है। इसमें वह स्वयं शशि कपूर, ज़ीनत अमान और मौसमी चटर्जी के साथ मुख्य भूमिका में हैं। अमिताभ बच्चन, प्रेमनाथ, धीरज कुमार और मदन पुरी सहायक भूमिकाओं में हैं। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल संगीत निर्देशक थे। यह 1974 की सबसे अधिक कमाई करने वाली भारतीय फिल्म थी और मनोज कुमार की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर रही।
अपने पिता के सेवानिवृत्त होने के बाद, भारत (मनोज कुमार) पर अपने दिल्ली स्थित परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी आती है। उसके दो छोटे कॉलेज जाने वाले भाई हैं, विजय (अमिताभ बच्चन) और दीपक (धीरज कुमार)। साथ ही विवाह योग्य उम्र की एक बहन, चंपा भी है। यद्यपि भारत कॉलेज से ग्रेजुएट है, लेकिन एकमात्र काम जो उसे मिलता है वह एक गायक का है। इसमें उसकी बहुत कम आमदनी है जिससे उसकी प्रेमिका शीतल (ज़ीनत अमान) हताश रहती है। इस बीच, विजय परिवार के लिए अपराध की दुनिया में चला जाता है, लेकिन भारत के साथ बहस के बाद, वह सेना में शामिल होने के लिए घर छोड़ देता है।
शीतल अमीर व्यवसायी मोहन बाबू (शशि कपूर) के लिए सचिव के रूप में काम करना शुरू कर देती है। मोहन उसे पसंद करने लगता है। वह मोहन के प्रति आकर्षित हो जाती है लेकिन वह उसके धन और विलासिता में अधिक रुचि रखती है। वह भारत से प्यार करती है लेकिन गरीबी में जीवन नहीं गुजार सकती। भारत को आखिरकार एक बिल्डर के रूप में एक नौकरी मिल जाती है लेकिन उसे एहसास होने लगता है कि शीतल धीरे-धीरे उससे दूर जा रही है। जल्द ही वह अपनी नौकरी खो देता है क्योंकि सरकार इमारत की जमीन ले लेती है और उसकी वित्तीय समस्याएँ और बढ़ जाती हैं। जब मोहन शीतल से शादी की पूछता है, तो वह मान जाती है। इससे भारत का दिल टूट जाता है। अपने प्यार को खोने के बाद, भारत अपने पिता को भी खो देता है। इससे वह तबाह हो जाता है। निराश होकर, उसने अपने पिता की चिता पर अपना डिप्लोमा जला दिया।
इस बीच, चंपा को एक विवाह-प्रस्तावक मिल जाता है, लेकिन भारत के पास शादी के लिए पैसे नहीं हैं और यह बात आगे नहीं बढ़ पाती। भारत अपने जीवन की स्थिति से निराश है, लेकिन जल्द ही एक गरीब लड़की, तुलसी (मौसमी चटर्जी) से मिलने के बाद शांति पाता है जो भी गरीबी में रहती है। वह सरदार हरनाम सिंह (प्रेमनाथ) के साथ दोस्ती भी करता है जो तुलसी को बदमाशों के गिरोह से बचाने के लिए उसकी मदद के लिये आता है। फिर उसे नेकीराम (मदन पुरी) नामक एक भ्रष्ट व्यवसायी से एक प्रस्ताव मिलता है जो भारत को अपनी अवैध गतिविधियों के लिए राजी करता है ताकि वह और उसका परिवार गरीबी से बाहर आ जाए और अमीर बन जाए। कथानक इस बात पर केन्द्रित है कि क्या भारत इस बात से सहमत होगा या उसका नैतिक स्वभाव उसे अपराध की ओर मुड़ने से रोकेगा।
सभी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायन | अवधि |
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1. | "मैं ना भूलूँगा" (I) | संतोष आनंद | मुकेश, लता मंगेशकर | 7:18 |
2. | "पंडित जी मेरे मरने के बाद" | वर्मा मलिक | लता मंगेशकर | 6:10 |
3. | "मैं ना भूलूँगा" (II) | संतोष आनंद | मुकेश, लता मंगेशकर | 5:40 |
4. | "हाये हाये ये मजबूरी" | वर्मा मलिक | लता मंगेशकर | 4:16 |
5. | "महँगाई मार गई" | वर्मा मलिक | मुकेश, लता मंगेशकर, नरेन्द्र चंचल, जानी बाबू कव्वाल | 8:50 |
6. | "और नहीं बस और नहीं" | संतोष आनंद | महेन्द्र कपूर | 6:25 |
कुल अवधि: | 38:39 |
प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति | पुरस्कार वितरण समारोह | श्रेणी | परिणाम |
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मनोज कुमार | फिल्मफेयर पुरस्कार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार | नामित |
मनोज कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार | जीत[1] | |
मनोज कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
प्रेमनाथ | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार | नामित | |
मौसमी चटर्जी | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार | नामित | |
संतोष आनंद ("मैं ना भूलूँगा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | जीत | |
संतोष आनंद ("और नहीं बस और नहीं") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | नामित | |
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | नामित | |
महेन्द्र कपूर ("और नहीं बस और नहीं") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | जीत | |
मुकेश ("मैं ना भूलूँगा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित | |
मनोज कुमार | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | नामित |