रोमी संगीत उन रोमी जन का संगीत है, जिनका मूल उत्तरी भारत में है किंतु आज अधिकतर यूरोप में रहते हैं। रोमी संगीत शब्द प्रायः जिप्सी संगीत के रूप में भी संदर्भित किया जाता है, जिसे कभी-कभी अपमानजनक शब्द भी माना जाता है।[1][2][3][4][5][6]
ऐतिहासिक रूप से रोमी जन ने लंबे समय तक मनोरंजन और व्यापारियों के रूप में काम किया है। कई जगहों पर ये जन संगीतकारों के रूप में जाने जाते हैं। तय की गई विस्तृत दूरियों ने इस संगीत पर पड़ने वाले कई प्रभावों का परिचय दिया है; बीजान्टिन, यूनानी, अरबी, भारतीय, फ़ारसी, तुर्की, स्लाव, रोमानियाई, जर्मन, डच, फ़्रांसीसी, स्पेनी तथा यहूदी आदि।
एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में मधुर, सुरीली, लयबद्ध और औपचारिक संरचनाओं में अंतर के कारण एकीकृत रोमी संगीत शैली के मापदंडों को परिभाषित करना जटिल है। प्रायः रोमी गीतों को उस भाषा की एक या अधिक बोलियों में गाया जाता है तथा नृत्य प्रायः रोमी संगीत अभिनय के साथ होता है।[7]
स्पेनी फ्लेमेंको(स्पेनी संगीत शैली) सर्वोत्कृष्ट रूप से काफी हद तक एंदलूसिया के रोमी जन का संगीत या संस्कृति है।
पूर्वी यूरोप में स्थानीय उपयोग के लिए रोमी संगीत के अतिरिक्त जलसों तथा समारोहों में मनोरंजन के लिए एक अलग रोमी संगीत की उत्पत्ति हुई। इस संगीत ने अपनी विषयवस्तु को हंगेरियाई, रोमानियाई, रूसी तथा अन्य स्रोतों से अर्जित किया। बाद में इसे पश्चिमी यूरोप में लोकप्रियता मिली। जोंगो रेनहार्ड्ट (1910-1953) संभवतः सबसे प्रभावशाली रोमी संगीतकार थे।
वास्तविक रोमी लोकगीत उन देशों से व्युत्पन्न नहीं हैं जहाँ रोमानी रहते हैं। विशेषतः यह लोक संगीत मुख्य रूप से मौखिक है। इसमें मद्धम शोक गीत तथा तीव्र धुन होती हैं जिनके साथ नृत्य किया जा सकता है। इसमें तेज धुनों के साथ जीभ से टिटकारना, हाथ से ताली बजाना, मुख-पर्श, लकड़ी के चम्मचों की टंकार तथा अन्य तकनीकें शामिल हैं।[8]
अधिकांश रोमी संगीत उन देशों के लोक-संगीत पर आधारित है जहाँ से रोमी जन गुज़रे या बसे थे।