लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल एक लोकप्रिय भारतीय संगीतकार की जोड़ी है, लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर (१९३७-१९९८) और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म १९४०) से मिलकर बनी थी। उन्होंने १९६३ से १९९८ तक ६३५ हिंदी फिल्मों के लिए संगीत रचना की और इस समय के लगभग सभी उल्लेखनीय फिल्म निर्माताओं के लिए काम किया जिसमे सम्मिलित थे राज कपूर, देव आनंद, बी.आर. चोपड़ा, शक्ति सामंत, मनमोहन देसाई, यश चोपड़ा, सुभाष घई और मनोज कुमार।
लक्ष्मीकांत | |
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जन्म नाम | लष्मीकांत शांताराम कुदलकर |
जन्म | ३ नवम्बर १९३७ बॉम्बे, बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश इंडिया (now मुम्बई, महाराष्ट्र, इंडिया) |
निधन | 25 मई १९९८ | (उम्र 60 वर्ष)
सक्रियता वर्ष | १९६३–१९९८ |
लक्ष्मीकांत शांताराम कुदलकर का जनम ३ नवंबर १९३७ को लक्ष्मी पूजन के दिन हुआ था, अपने जन्म के दिन की वजह से, उनका नाम लक्ष्मी रखा गया, जो देवी लक्ष्मी के नाम पर था। उन्होंने अपने बचपन के दिन मुंबई के विले पार्ले (पूर्व) की मलिन बस्तियों में अत्यंत गरीबी के बीच बिताया। [1] [प्रशस्ति पत्र की जरूरत] उनके पिता की मृत्यु उस समय हो थी जब वे बच्चे ही थे। अपने परिवार की खराब वित्तीय हालत के कारण वे अपने शैक्षणिक शिक्षा भी पूरी नहीं कर सके। [प्रशस्ति पत्र की जरूरत]। लक्ष्मीकांत के पिता के दोस्त, जो खुद एक संगीतकार थे उन्होंने लक्ष्मीकांत उनके बड़े भाई को संगीत सीखने की सलाह दी तदनुसार, लक्ष्मीकांत ने सारंगी बजाना सीखा और उनके बड़े भाई ने तबला बजाना सीखा। उन्होंने जाने-माने सारंगी खिलाड़ी हुसैन अली की सोहबत में दो साल बिताए।
लक्ष्मीकांत ने अपनी फिल्म कैरियर की शुरुआत एक बाल अभिनेता के रूप में हिंदी फिल्म भक्त पुंडलिक (1949) और आंखें (1950) फिल्म से की। उन्होंन कुछ गुजराती फिल्मों में काम किया। [2]
प्यारेलाल | |
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जन्म नाम | प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा |
जन्म | 3 सितम्बर 1940 वाडिया हॉस्पिटल, परेल, मुम्बई |
सक्रियता वर्ष | १९६३–प्रेजेंट |
प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा (जन्म सितंबर ३, १९४०) प्रसिद्ध बिगुल वादक पंडित रामप्रसाद शर्मा (जो बाबाजी के नाम से लोकप्रिय थे) के पुत्र थे, उन्होंने ने ही प्यारेलाल को संगीत की मूल बातें सिखाई थी। [3] प्यारेलाल जी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था। उन्होंने ८ साल की उम्र से ही वायलिन सीखने शुरू कर दिया था और प्रतिदिन ८ से १२ घंटे का अभ्यास किया करते थे। उन्होंने एंथनी गोंजाल्विस नाम के एक गोअन संगीतकार से वायलिन बजाना सीखा। फिल्म अमर अकबर एंथनी (फिल्म में संगीत लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल का था)।१२ वर्ष की उम्र उनके परिवार की वित्तीय स्थिति काफी खराब हो गयी एवं उन्हें इस उम्र में स्टूडियो में काम करना पड़ा। प्यारेलाल को परिवार के लिए पैसे कमाने के लिए रंजीत स्टूडियो एवं अन्य स्टूडियो में वायलिन बजाना पड़ता था।
जब लक्ष्मीकांत १० साल के थे तब उन्होंने लता मंगेशकर के कंसर्ट में जो रेडियो क्लब, कोलाबा हुआ था उसमे सारंगी बजाने का काम किया। लता जी उनसे इतना प्रभावित हुई की संगीत कार्यक्रम के बाद उन्होंने लक्ष्मीकांत से बात की थी। [4]
वर्ष | फिल्म | गीत | गायक (s) |
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१९६४ | दोस्ती | "राही मनवा दुःख की चिंता" | मोहम्मद रफी |
१९६७ | मिलन | "सावन का महीना" | मुकेश, लता मंगेशकर |
१९६८ | शागिर्द | "दिल विल प्यार व्यार" | लता मंगेशकर |
१९६९ | इन्तेकाम | "कैसे राहु चुप" | लता मंगेशकर |
१९६९ | दो रास्ते | "बिंदिया चमकेगी" | लता मंगेशकर |
१९७३ | मनचली | "हे मनचली कहा चली" | किशोर कुमार |
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार इन्होंने निम्नतालिका में दिए गए फिल्मों में संगीत दिया है।
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