लोकताक झील (मणिपुरी: लोकताक पाट) | |
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मणिपुर की लोकताक झील के अलग-अलग नज़ारे | |
स्थान | मणिपुर, भारत |
निर्देशांक | 24°33′N 93°47′E / 24.550°N 93.783°Eनिर्देशांक: 24°33′N 93°47′E / 24.550°N 93.783°E |
प्रकार | मीठा पानी |
मुख्य अन्तर्वाह | मणिपुर नदी और अन्य झरने |
मुख्य बहिर्वाह | जलविद्युत उत्पादन और सिंचाई के लिये बने नाले |
जलसम्भर | 980 कि॰मी2 (380 वर्ग मील) |
द्रोणी देश | भारत |
अधिकतम लम्बाई | 35 कि॰मी॰ (22 मील) |
अधिकतम चौड़ाई | 13 कि॰मी॰ (8 मील) |
सतही क्षेत्रफल | 287 कि॰मी2 (111 वर्ग मील) |
औसत गहराई | 2.7 मी॰ (8.9 फीट) |
अधिकतम गहराई | 4.6 मी॰ (15.1 फीट) |
सतही ऊँचाई | 768.5 मी॰ (2,521 फीट) |
द्वीप | थंगा, इथिंग, सेन्द्रा, और कई फुमदियाँ फुमशोंग व करंग |
बस्तियाँ | इम्फाल & मोइरांग |
लोकताक झील (मणिपुरी: लोकताक पाट) भारत के पूर्वोत्तर भाग में स्थित मणिपुर राज्य की एक झील है। यह अपनी सतह पर तैरते हुए वनस्पति और मिट्टी से बने द्वीपों के लिये प्रसिद्ध है, जिन्हें "कुंदी" कहा जाता है। झील का कुल क्षेत्रफल लगभग २८० वर्ग किमी है। यह झील मणिपुर के बिसेमपूर जिले में स्थित है। यह मणिपुर का सबसे बड़ा जिला है। झील पर सबसे बड़ा तैरता द्वीप "केयबुल लामजाओ" कहलाता है और इसका क्षेत्रफल ४० वर्ग किमी है। यह संगइ हिरण का अंतिम घर है जो एक विलुप्तप्राय जाति है। इस फुमदी को केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान के नाम से भारत सरकार ने एक संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है और यह विश्व का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। लोकताक झील मणिपुर के लिये बहुत आर्थिक व सांस्कृतिक महत्त्व रखती है। इसका जल विद्युत उत्पादन, पीने और सिंचाई के लिये प्रयोग होता है। इसमें मछलियाँ भी पकड़ी जाती हैं।[1][2]
मणिपुरी भाषा में "लोक" का अर्थ "नदी या झरना" और "ताक" का अर्थ "अंत" होता है।[3]
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