यह मार्ग दक्षिण-मध्य दिल्ली का एक प्रमुख मार्ग है। इस मार्ग पर दिल्ली के भूतपूर्व शासक खिलजी वँश के कई मकबरे हैं, जिन्हेँ बागोँ की शकल दे दी गई है, व अब लोधी बाग या लोधी गार्डन के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन्हीँ के कारण इस मार्ग का यह नाम पङा। यह मार्ग सफदरजंग का मकबरा से लेकर निजामुद्दीन की दरगाह तक जाता है।
यह मार्ग चौदहवीं शताब्दी के एक मार्ग का नया रूप है, जो कि घियातपुर (वर्तमान) निजामुद्दीन गाँव को बाग-ए-जूङ (वर्तमान में जूङ बाग या जोर बाग) से जोङता था, जो कि दिल्ली सल्तनत के आँकङों में एक बङा बाग था। यह मार्ग फिर बङे मार्गों, जो कि रिवाङी व गुङगाँवसे आते थे, उनसे जुङता था। बाहर से आने वाली सेनाओं ने, विशेषकर तैमूर लंग की सेनाओं से यहाँ सन १३९८ में पङाव डाले थे। यह मार्ग सदा ही एक विभाजन रेखा की तरह प्रयुक्त हुआ है।
सन १९८० में नवम एशियाई खेल के पहले यह मार्ग काफी चौङा कर दिया गया।
वर्तमान में यह दिल्ली का एक व्यस्ततम मार्ग है। यहाँ कई बङी इमारतें हैं, कार्यालय हैं।
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