लोहाना प्राचीन क्षत्रिय है। हिंगुलाद्रि खण्ड स्कन्द पुराण के अनुसार लोहाना सूर्यवंशी क्षत्रिय ठाकुर है। लोह के गढ़ में बसने और लोहे के अस्त्र शस्त्र बनाने के कारण क्षत्रियो को लोहाना कहा गया है।[1] पृथ्वीराज रासो के अनुसार लोहानाओं ने पृथ्वीराज चौहान की तरफ से युद्ध लड़ा था। जिनमे दो लोहाना वीर सेनापतियों ने वीरगति प्रपट की थी। जिनमें एक वीर संयुक्ता हरण के वक्त वीरगति को प्राप्त हुआ और दूसरा घोरी के सामने लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।[2] लोहाना शब्द लोह-राना या लोहर-राना का संक्षिप्त रूप है।[3]
लोहनाओं का मूल वतन सिंध है जहां उनके राज्य थे। चचनामा नामक ग्रंथ में लोहानाओं के राज्यो की बहुत सारी जानकारी मिलती है। लोहाना प्राचीन राजवंश है इसकी जानकारी 7 वी सदी में अलोर का ब्राह्मण राजा चच जब लोहाना राजा अघम को पत्र लिखता है, उस पत्र में ही चच लोहाना प्राचीन राजवंश होने की पुष्टि करता है। सिंध के आखरी हिन्दू राजा दहिर के पिता चच से लोहाना राजा अघम का युद्ध हुआ था। युद्ध में अघम की वीरगति प्राप्त हो जाने पर अघम के बेटे सरहन्द लोहाना से चच ने संधि की। चच ने अपनी भतीजी का विवाह सरहन्द लोहाना से करवाया और खुद चच ने अघम लोहाना की विधवा से विवाह किया। बहुत सारे लोहाना सिंधी समाज बंटवारे के बाद भारत के गुजरात में ओर पुरे भारत में अलग अलग शहरों में है जो लाडी लोहाना सिंधी समाज के नाम से जाना जाता है भगवान झूलेलाल जी भी सुर्यवंशी लोहाना परिवार से हैं उनके दो भाईयों सोमराय ओर भेदूराय मे से सोमराय जी का परिवार भी भारत के अन्य शहरों के साथ बालाघाट मध्यप्रदेश में भी कुछ परीवार है -सूर्यवंशी बाबा प्रेमचंद खटवानी परिवार सूर्यवंशी महेश ज्ञानचंद खटवानी जी सूर्यवंशी नेभनदास पमनानी सूर्यवंशी महेश राजकुमार पमनानी बालाघाट ओर अन्य सूर्यवंशी नरसिंहलाल जी जिंदवानी सतना सूर्यवंशी सांई नंदलाल ठाकुर साहेब कल्याण सूर्यवंशी शंकर लाल जी ठाकुर नागपुर सूर्यवंशी कवी बाबू लाल जी ठाकुर नागपुर श्री घनश्याम दास जी ठाकुर कोयंबटूर श्री लेखराज जी ठाकुर पुष्कर श्री झुलेलाल मंदिर वाले श्री संजय ठाकुर रायपुर छत्तीसगढ़ श्री झुलेलाल मंदिर वाले उमेश ठक्कर गोंडल गुजरात श्री गिरीश प्रकाश ठाकुर उल्लास नगर