वजीहुद्दीन गुजराती

शाह वजीहुद्दीन अल्वी गुजराती, जिन्हें हैदर अली सानी के नाम से भी जाना जाता है, एक इस्लामी विद्वान और शत्तारी परंपरा में सूफी थे।

उनका जन्म १५वीं शताब्दी के अंतिम दशक में गुजरात के चंपानेर में हुआ था। बाद में वे अहमदाबाद चले गए जहाँ उन्होंने इस्लामी अध्ययन की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने पैंसठ साल तक कुरान की पढ़ाई, इस्लामी कानून, गणित और तर्क पढ़ाया। वह शुरू में कादिरी सूफी परंपरा के अनुयायी थे, लेकिन मोहम्मद गौस ग्वालियरी से मिलने के बाद वे शत्तारी सूफी परंपरा में शामिल हो गए। उनके नेतृत्व में, अहमदाबाद इस्लामी अध्ययन का एक प्रमुख केंद्र बन गया, जिसने पूरे भारत के छात्रों को आकर्षित किया। उनके कई शिष्य प्रमुख शख्सियत बन गए, जिनमें सैयद सिबगताल्लाह अल-बरवाजी, जो मदीना चले गए और सऊदी अरब में शत्तारी परंपरा की स्थापना की, शेख अब्दुल कादिर, जो उज्जैन में बस गए, और शेख अबू तुराब, जो लाहौर चले गए हजरत वजीहुद्दीन ने विभिन्न विषयों पर 200 से अधिक पुस्तकें लिखीं।

कुछ सूत्रों के अनुसार सैय्यदना हाशिम पीर दस्तगीर उनके भतीजे और खलीफा थे।[1]

साहित्यिक कार्य

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बताया जाता है कि वजीहुद्दीन अल्वी ने गुजराती भाषा में किताबें लिखी हैं।[2]

विसाल और दफन

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१५८० ई. में उनका विसाल हो गया था।[3] उन्हें अहमदाबाद के खानपुर में एक मकबरे में दफनाया गया है, जिसे उनके शिष्य सैयद मुर्तुजा खान बुखारी, जहांगीर के शासनकाल के दौरान अहमदाबाद के ग्यारहवें (1606-1609) गवर्नर ने बनवाया था।[4]

बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. "Shattari silsila".
  2. Hasan, Saiyid Nurul (2005). Religion, State, and Society in Medieval India: Collected Works of S. Nurul Hasan (अंग्रेज़ी में). Oxford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-566765-3.
  3. Hāshimī, Nūrulḥasan (1986). Wali (अंग्रेज़ी में). Sahitya Akademi.
  4. Yagnik, Achyut (2011-02-02). Ahmedabad: From Royal city to Megacity (अंग्रेज़ी में). Penguin UK. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8475-473-5.