उन्होंने आयुर्वेद और वैदिक संस्कृति पर विशेष कार्य किया है।
वे पश्चिम के कुछ उन चुने हुए वेदाचार्यों में हैं जिनकी वेदों के महापंडित के रूप में मान्यता एवं प्रतिष्ठा है। उनके ज्ञान की विस्तृत परिधि में आयुर्वेद, वैदिक-ज्योतिष, तंत्र, योग तथा वैदिक दर्शन समाहित है। उनके अध्ययन का मुख्य आधार वेद हैं और उसमें अधुनातन पुरातात्विक अन्वेषणों के आलोक में भारत के प्राचीन इतिहास एवं वेदों का आलोचनात्मक अध्ययन भी जुड़ा हुआ है। पिछले पंद्रह वर्षों में उन्होंने दस से भी अधिक ग्रंथों का लेखन किया है। भारत एवं अमरीका की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में विभिन्न विषयों पर उनके लेख प्रकाशित हुए हैं। भारत में वेदों पर उनके भाष्य एवं अनुवादों की आध्यात्मिक और विद्वत् समुदाय में यथोचित मान्यता हुई है। आजकल वे सांटा फे, न्यू मेक्सिको 87504-8356 (यूएसए) में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ वैदिक स्टडीज के निदेशक हैं।
डेविड फ्राली भारतीय आध्यात्म, संस्कृति और हिंदू-धर्म के एक अद्यतन उत्कृष्ट चिंतक हैं। विभिन्न धर्मों और आध्यात्मिक मूल्यों का जितना मार्मिक और निर्भीक तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, उससे आपके गहन अध्ययन और गंभीर चिंतन पर प्रकाश डालता है। अभारतीय होते हुए भी हिंदू धर्म के उदात्त तत्वों को महत्ता प्रदान करने की जो आकुलता इनमें दिखाई देती है, वह किसी बिरले भारतीय में ही विद्यमान हो सकती है।[1]