Blathy wattmeter
विद्युत के संबन्ध में प्राचीन काल से ही कुछ काम हुए थे किन्तु इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास उन्नीसवीं शदी में ही आरम्भ हुआ।
सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में विलियम गिलबर्ट ने वर्सोरियम (versorium) का आविष्कार किया जिसकी सहायता से स्थैतिक विद्युत की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता था।
१७७५ वोल्टा ने एलेक्त्रोफोरस (electrophorus) बनाया जो स्थतिक विद्युत आवेश पैदा करने के काम आती थी।
१७८५ - कूलॉम्ब (Charles Augustus Coulomb) (1736-1806) ने 'ऐठन तुला' (torsion balance) का विकास किया।
अट्ठारहवीं शताब्दि के अन्त के पूर्व ही वोल्टा ने 'पाइल' (Pile) बनाया जिसे आज की बैटरियों का 'पूर्वज' कह सकते हैं।
१८२७ - जॉर्ज ओम ने विद्युत धारा और विभवान्तर के बीच संबन्ध प्रतिपादित किया।
१८८२ - एडिसन ने विश्व का प्रथम वृहद-स्तरीय विद्युत-सप्लाई का आरम्भ किया।
१९०४ - सर जॉन एम्ब्रोज फ्लेमिंग (Sir John Ambrose Fleming) ने तापायनिक वॉल्व (डायोड ) का विकास किया।
१९५४ टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स और रिजेंसी एलेक्त्रॉनिक्स द्वारा जनता के बीच ट्रांजिस्टर रेडियो पेश
१९६९ डायनेमिक रैण्डम ऐक्सेस मेमोरी (DRAM) का विकास