विवेकानंद सेतु বিবেকানন্দ সেতু Vivekanand Setu | |
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निर्देशांक | 22°39′11″N 88°21′12″E / 22.65319°N 88.35326°Eनिर्देशांक: 22°39′11″N 88°21′12″E / 22.65319°N 88.35326°E |
आयुध सर्वेक्षण राष्ट्रीय ग्रिड | [2] |
वहन | रेल एवं सड़क |
पार | हुगली नदी |
स्थान | बाली-दक्षिणेश्वर |
लक्षण | |
सामग्री | पत्तथर और इस्पात |
कुल लम्बाई | 880 मीटर (2,890 फीट; 0.55 मील) |
इतिहास | |
खुला | १९३२ |
विवेकानन्द सेतु(बांग्ला: বিবেকানন্দ সেতু) (पुराना नाम: विलिंग्डन ब्रिज, अंग्रेज़ी: Willingdon Bridge;अन्य लोकप्रिय नाम: बाली पुल व बाली ब्रिज) पश्चिम बंगाल राज्य में हुगली नदी पर बनाया गया एक पुल है। यह पश्चिम बंगाल की राजधानी, महानगर कोलकाता को हुगली के दूसरे तट पर स्थित हावड़ा नगर से जोड़ती है। इस सेतु का निर्माण सन् १९३२ में, कोलकाता बंदरगाह को उसके पृष्ठ क्षेत्रों(बंदरगाह से सटे वह आंतराक इलाके जिनके आयात-निर्यात की आवश्यकता कोलकाता बंदरगाह पूरा करता है) को रेलमार्ग व सड़क मार्ग से जोड़ने के लिये, हुआ था। यह पुल 2887 फ़िट(880m ) लम्बा इस्पात और ईंट से बना एक स्तम्भ-युक्त पुल(निर्माण शास्त्र में एक स्तम्भ-युक्त पुल) है। यह हावड़ा के बाली उपनगर को कोलकाता में दक्षिणेश्वर क्षेत्र से जोड़ता है।[1][2]
सन् १९३२ में बाली ब्रिज का नाम विलिंग्डन ब्रिज, भारत के 22वें ब्रिटिष वाइसराॅय 'फ़रीमन फ़रीमन-थाॅमस, विलिंग्डन के प्रथम मार्की' के नाम पर रखा गया था जिन्होंने इसका उदघाटन किया था। आज़ादी के बाद, पश्चिम बंगाल सरकार ने एक विधेयक पारित कर विलिंग्डन ब्रिज का नाम महान् सन्त व युवा संन्यासी स्वामी विवेकानंद के नाम पर रख दिया। आज इस पुल का औपचारिक नाम विवेकानन्द सेतु है। साथ ही स्थानीय तौर पर इसे बाली ब्रिज भी कहा जाता है, क्योंकि यह कोलकाता को बाली से जोड़ता है।[3]
विवेकानंद सेतु मौजूद स्थिति में हल्की गाड़ियों की ट्रैफिक के लिए खुला है, हालाँकि, अब मुख्य राजमार्ग, इसपर से होते हुए नहीं जाती। राजमार्ग को अब निवेदिता सेतु पर मोड़ दिया गया है। विवेकानन्द सेतु पर भारी गाड़ियों की आवाजाही पर रोक है।
वर्तमान में हुगली नदी पर चार पुल हैं जो कोलकाता को हुगली के दूसरे तट से जोड़ते हैं। विवेकानंद सेतू के अलावा अन्य पुल हैं: