विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत) | |
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स्थापित | 1956 |
अध्यक्ष: | एम जगदीश कुमार (February 2022)[1] |
अवस्थिति: | नयी दिल्ली, भारत |
उपनाम: | UGC |
जालपृष्ठ: | www.ugc.ac.in |
भारत का विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (अंग्रेज़ी:University Grants Commission, लघु:UGC) केन्द्रीय सरकार का एक आयोग है जो विश्वविद्यालयों को मान्यता देता है। यही आयोग सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों को अनुदान भी प्रदान करता है। इसका मुख्यालय नयी दिल्ली में है और इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलुरु में हैं।[2][3]
यह राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा (National Eligibility Test / NET) का भी आयोजन करता है जिसे उत्तीर्ण करने के आधार पर विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति होती है। ये नेट योग्यता परीक्षा शिक्षा में स्नातक स्तर पर एम.फिल उत्तीर्ण लोगों के लिये व स्नातकोत्तर स्तर पर पीएच.डी उत्तीर्ण लोगों के लिये जून २००६ से छूट है।
भारत में उच्च शिक्षा का इतिहास काफी पुराना है। इसके मूल में १९वीं शताब्दी है, जब वाइसरॉय लॉर्ड मैकाले ने अपनी सिफारिशें रखी थीं। उसके बाद बीसवीं शताब्दी में सन् १९२५ में इंटर यूनिवर्सिटी बोर्ड की स्थापना की गई थी जिसका बाद में नाम भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज) पड़ा। इस संस्था के अंतर्गत सभी विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षिक, सांस्कृतिक और संबंधित क्षेत्रों के बारे में सूचना का आदान-प्रदान किया जाने लगा था। भारतीय स्वतंत्रता उपरांत १९४८ में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की अध्यक्षता में यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन की नींव रखी गई।[3] इसके अंतर्गत देश में शिक्षा की आवश्यकताओं और उनमें सुधार पर काम किए जाने पर विचार किया जाता था। इस आयोग ने सलाह दी कि आजादी पूर्व के यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिटी को फिर से गठित किया जाए। उसका एक अध्यक्ष हो और उसके साथ ही देश के बड़े शिक्षाविदों को भी इस समिति के साथ जोड़ा जाए।
1.विश्वविद्यालयों की वित्तीय स्थिति का आकलन अच्छे से किया गया है
2.हर 5 साल में कॉलेज का मूल्यांकन
3.विश्वविद्यालयों को जोड़कर राष्ट्रीय ज्ञान केंद्र में सफलता पाई है
4.परीक्षा प्रणाली में नए-नए प्रयोग कर उसे अद्यतन बनाए रखने का प्रयास किया गया है
5.दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा
6.सेवानिवृत्त शिक्षकों का सलाह लिया है
7.Covid के दौर में शिक्षा को प्रभावी बनाए रखने का प्रयास किया है।
1.विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को अनुदान प्रदान करता है।
2.यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय में शोध अनुसंधान नवाचार में प्रयास को बढ़ावा देता है।
3.यह भारत में शिक्षा व्यवस्था को नियंत्रण करता है।
4.यह भारत के समस्त विश्वविद्यालयों की संचालन के नियम बनाता है।
5.भारत के विश्वविद्यालय में शिक्षा और परीक्षा का मानक तैयार करता है।
6.यहां यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं से प्रार्थी डिग्री डिप्लोमा को मान्यता प्रदान करता है।
7.यह देश भर में बिना मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय महाविद्यालय की जांच करता है एवं जांच यूजीसी के अनुरूप मानकों के अनुसार ना पाने पर विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों पर कार्यवाही भी का करता है।
8. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए एकीकृत संकाय भर्ती पोर्टल सीयू-चयन लॉन्च किया[4]।
1.गवर्नमेंट वर्क कल्चर का शिकार होकर नीती पक्षाघात हो गया है।
2.स्टेट यूनिवर्सिटीज का यह मानना है कि वह सेंट्रल यूनिवर्सिटी को पक्षपात करता है।
3.यूजीसी के शीर्ष पदों पर विचारधारा विशेष के प्रभुत्व को बैठा कर शिक्षा के दिशा को मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
4.उच्च शिक्षा में फंड की कमी के कारण अनुदान प्रभावित हो रहा है।
5.नवीन शिक्षा नीति के अंतर्गत उच्च शिक्षा में जो बदलाव लाए गए हैं यह सारे यूजीसी की सत्ता को प्रभावित करते हैं।
6.यूजीसी ने हाल ही में यूनिवर्सिटी में बढ़ती अराजकता हिंसा पर ध्यान नहीं दे रहे read more Archived 2023-07-24 at the वेबैक मशीन
सन् १९५२ में सरकार ने निर्णल लिया कि केंद्रीय और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को दी जाने वाले वित्तीय सहयोग के मामलों को यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के अधीन लाया जाएगा। इस तरह २८ दिसंबर १९५३ को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी थी। इसके बाद हालांकि १९५६ में जाकर ही यूजीसी को संसद में पारित एक विशेष विधेयक के बाद सरकार के अधीन लाया गया[3] और तभी औपचारिक तौर पर इसे स्थापित माना गया। भारत भर में क्षेत्रीय स्तर पर अपने कार्यो को सुचारू रूप से आरंभ करने के लिए यूजीसी ने कई स्थानों पर अपने कार्यालय खोले। विकेंद्रीकरण की इस प्रक्रिया में यूजीसी ने देश में छह स्थानों पर अपने कार्यालय खोले।
उच्च शिक्षा हेतु शिक्षा प्रत्यायन कार्य विश्वविद्यालय अनुदाय आयोग के निम्न १५ संस्थानों द्वारा किया जाता है।[5][6].