वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे | |
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कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे | |
मार्ग की जानकारी | |
अनुरक्षण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण | |
लंबाई: | 135.6 कि॰मी॰ (84.3 मील) |
प्रमुख जंक्शन | |
उत्तर अन्त: | कुंडली |
दक्षिण अन्त: | पलवल |
स्थान | |
राज्य: | हरियाणा |
मुख्य नगर: | सोनीपत, बहादुरगढ़, नूँह, हथीन, सोहना, मानेसर, पलवल[1] |
वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे (अंग्रेजी: Delhi Western Peripheral Expressway) या कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे, भारत के हरियाणा राज्य में 135.6 किमी (84.3 मील) -लोंग एक्सप्रेसवे है।[2] ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के साथ, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से 50,000 से अधिक भारी वाहनों को दिल्ली से दूर करने की उम्मीद है,[3] जो दिल्ली में अच्छी वायु गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करेगा। ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के साथ वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे दिल्ली के चारों ओर सबसे बड़ी रिंग रोड पूरा करता है।[4][5] 53 किलोमीटर मानेसर से पलवल खंड का उद्घाटन अप्रैल 2016 में नितिन गडकरी ने किया था। केएमपी एक्सप्रेसवे के मानेसर सेक्शन में शेष 83 किलोमीटर लंबी कुंडली का उद्घाटन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 नवंबर 2018 को किया गया।[6] टोल प्लाजा दिसंबर 2018 में केएमपी एक्सप्रेसवे पर चालू हो गए।[7]
यह एक्सप्रेसवे हरियाणा राज्य के सोनीपत में कुंडली से शुरू होकर दिल्ली की परिधि में चक्कर लगते हुए खारखौदा, बहादुरगढ़, पटौदी, मानेसर और सोहना इत्यादि नगरों से होता हुआ पलवल में समाप्त हो जायेगा।[8]
पश्चिमी परिधीय द्रुतगामी मार्ग का पहला प्रस्ताव २००३ में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के साथ-साथ किया गया था। तब कुंडली, सोनीपत के पास राष्ट्रीय राजमार्ग १ से १३५.६ किमी के नियंत्रित चार लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण बिल्ड ऑपरेट ट्रांसफर (बीओटी) प्रोजेक्ट के रूप में फरीदाबाद के पास पलवल में राष्ट्रीय राजमार्ग २ तक होना प्रस्तावित था।[9] चूंकि दिल्ली को इसके बन जाने से सबसे अधिक लाभ था, इसलिए दिल्ली सरकार ने एक्सप्रेसवे की भूमि अधिग्रहण लागत का ५०% देने पर सहमति जताई थी।[10]
जून २००९ में केएमपी एक्सप्रेसवेज लिमिटेड ने इस परियोजना पर काम करना शुरू कर दिया। जून २०१२ में, परियोजना की समय सीमा बढ़ा कर मई २०१३ तय की गई थी।[11] बार-बार हो रहे विलंब के कारण हरियाणा सरकार ने केएमपी एक्सप्रेसवे का अनुबंध समाप्त कर दिया और फिर उधारदाताओं को १,३०० करोड़ रुपए की राशि का भुगतान भी किया।[12][13] जनवरी २०१५ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद, परियोजना को पुनर्जीवित किया गया और नये सिरे से बोलियां आमंत्रित की गईं।[14] इस बार इसे छह लेन चौड़ा करने का निर्णय लिया गया।[15]
दिल्ली की परिधि में चक्कर काटते इस द्रुतमार्ग को निर्माण कार्यों के लिये ४५-४५ किलोमीटर के तीन खंडों में विभाजित किया गया। निर्माण कार्य के अंतर्गत पांच फ्लाईओवर उन जगहों पर बनाए जा रहे हैं जहां यह द्रुतमार्ग राष्ट्रीय राजमार्गों को काटता है; अर्थात्, पहला फ्लाईओवर कुंडली (सोनीपत) में राष्ट्रीय राजमार्ग ४४ के चौराहे पर, दूसरा बहादुरगढ़ के उत्तर पश्चिम में राष्ट्रीय राजमार्ग १० पर, तीसरा मानेसर के दक्षिण में राष्ट्रीय राजमार्ग ८ पर, चौथा राष्ट्रीय राजमार्ग २४८ए पर सोहना के दक्षिण पश्चिम में और पांचवां पलवल के दक्षिण में राष्ट्रीय राजमार्ग २ पर। इसके अतिरिक्त कुल १५ फ्लाईओवर और ७५ छोटे पुल मानेसर-पलवल खंड पर बनाए जाएंगे और कुंडली-मानेसर खंड पर ३० फ्लाइओवर और चार रेलवे ओवरब्रिज बनाए जाएंगे।[16]
५ अप्रैल २०१६ को मानेसर और पलवल के बीच ५३ किमी खंड आम जनता के लिए खोल दिया गया।[17][18] तब इस एक्सप्रेसवे के नवंबर २०१७ तक पूरा हो जाने की उम्मीद थी,[19] लेकिन तब तक केवल ६५ प्रतिशत निर्माण कार्य ही पूर्ण हो पाया।[20] अक्टूबर २०१७ में इसकी उद्घाटन तिथि को आगे बढाकर मार्च २०१८,[21] और फिर मार्च २०१८ में दोबारा आगे बढाकर जून २०१८ कर दिया गया।[22]