वैज्ञानिक साक्ष्य वह सबूत कहलाते है जो कथित घटना को विज्ञानं के साथ जोड़ते हैं। और न्यायालयिक विज्ञान में न्याल्यिक वैज्ञानिको को तथ्यों के बारे में आधारभूत जानकारी रहती है। और न्यायालयिक वैज्ञानिक अपने वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर हमेशा निश्च्यात्क राय देते है।[1] वैज्ञानिक सबूत का आरम्भ हमेशा परिकल्पना से होता है परंतु प्रयोगात्मक परिक्षणों द्वारा यह स्वीकार किए जाते हैं। ऐसे भुत से वैज्ञानिकसाक्ष्य है जिन्हें प्रारम्भ में अविश्वसनीय मन जाता था किन्तु अब वह प्रमाणिक हो चुके है। वैज्ञानिक साक्ष्यों को प्रारम्भ में कमजोर एवम द्वितयिक साक्ष्यों के रूप में लिया जाता था, जिसका कारण उनकी विश्वसनीयता में कमी होने की वजह से था।[2] परन्तु अब विशेषज्ञ न्यायालय एवम सामान्य लोगो को यह समझाने में न्यायालयिक विज्ञान ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को सटीक साक्ष्य साबित किया है। न्यायालयिक विज्ञान में हर परिक्षण का परिणाम वैज्ञानिक साक्ष के रूप में दिया जाता है, जो की शतप्रतिशत न्यायालय में माना जाता है।[3]