वैमानिक शास्त्र

वैमानिक शास्त्र में निरूपित 'शकुन विमान'
वैमानिक शास्त्र में निरूपित 'रुकमा विमान'
'द विमानिक शास्त्र' नाम से सन् १९७३ में प्रकाशित 'वैमानिक शास्त्र' का अंग्रेजी अनुवाद

वैमानिक शास्त्र, संस्कृत पद्य में रचित एक ग्रन्थ है जिसमें विमानों के बारे में जानकारी दी गयी है। इस ग्रन्थ में बताया गया है कि प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में वर्णित विमान रॉकेट के समान उड़ने वाले प्रगत वायुगतिकीय यान थे।

इस पुस्तक के अस्तित्व की घोषणा सन् 1952 में जी आर जोसयर (G. R. Josyer) द्वारा की गयी। आश्चर्य का विषय है कि 'विमान शास्त्र' नाम से सन १९४३ में एक ग्रन्थ प्रकाशित हुआ है किसके सम्पादक प्रिय रत्न आर्ष हैं। यह भी आठ अध्यायों में महर्षि भरद्वाज के "यन्त्रसर्वस्व" नामक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का बोधानन्दवृत्तिसहित "वेमानिक प्रकरण" के अपूर्ण भाग का हिन्दी अनुवाद है। वैमानिक शास्त्र का एक हिन्दी अनुवाद 1959 में भी प्रकाशित हुआ (सम्पादक/अनुवादक - स्वामी ब्रह्ममुनि परिब्राजक), जबकि संस्कृत पाठ के साथ अंग्रेजी अनुवाद 1973 में प्रकाशित हुआ।

वैमानिक शास्त्र में कुल ९ अध्याय और ३०००० श्लोक हैं। सुब्राय शास्त्री जी के अनुसार इस ग्रंथ के मुख्य जनक रामायणकालीन महर्षि भरद्वाज थे।

भरद्वाज ने 'विमान' की परिभाषा इस प्रकार की है-

वेग-संयत् विमानो अण्डजानाम्
( पक्षियों के समान वेग होने के कारण इसे 'विमान' कहते हैं।)

वैमानिक शास्त्र में कुल ८ अध्याय और ३००० श्लोक हैं।

अध्याय १
  1. मंगलाचरणम्
  2. विमानशब्दार्थाधिकरणम्
  3. यन्तृत्वाधिकरणम्
  4. मार्गाधिकरणम्
  5. आवर्ताकरणम्
  6. अंकाकरणम्
  7. वस्त्राकरणम्
  8. आहाराकरणम्
  9. कर्माधिकाराधिकरणम्
  10. विमानाधिकरणम्
  11. जात्याधिकरणम्
  12. वर्णाधिकरणम्
अध्याय २
  1. संज्ञाधिकरणम्
  2. लोहाधिकरणम्
  3. संस्काराधिकरणम्
  4. दर्पणाधिकरणम्
  5. शक्त्यधिकरणम्
  6. यन्त्राधिकरणम्
  7. तैलाधिकरणम्
  8. ओषध्यधिकरणम्
  9. घाताधिकरणम्
  10. भाराधिकरणम्
अध्याय ३
  1. भ्रामण्यधिकरणम्
  2. कालाधिकरणम्
  3. विकल्पाधिकरणम्
  4. संस्काराधिकरणम्
  5. प्रकाशाधिकरणम्
  6. उष्णाधिकरणम्
  7. शैत्याधिकरणम्
  8. आन्दोलनाधिकरणम्
  9. तिर्यन्धाधिकरणम्
  10. विश्वतोमुखाधिकरणम्
  11. धूमाधिकरणम्
  12. प्राणाधिकरणम्
  13. सन्ध्यधिकरणम्
अध्याय ४
  1. आहाराधिकरणम्
  2. लगाधिकरणम्
  3. वगाधिकरणम्
  4. हगाधिकरणम्
  5. लहगाधिकरणम्
  6. लवगाधिकरणम्
  7. लवहगाधिकरणम्
  8. वान्तर्गमनाधिकरणम्
  9. अन्तर्लक्ष्याधिकरणम्
  10. बहिर्लक्ष्याधिकरणम्
  11. बाह्याभ्यन्तर्लक्ष्याधिकरणम्
अध्याय ५
  1. तन्त्राधिकरणम्
  2. विद्युत्प्रसारणाधिकरणम्
  3. व्याप्त्यधिकरणम्
  4. स्तम्भनाधिकरणम्
  5. मोहनाधिकरणम्
  6. विकाराधिकरणम्
  7. दिंनिदर्शनाधिकरणम्
  8. अदृष्याधिकरणम्
  9. तिर्यंचाधिकरणम्
  10. भारवहनाधिकरणम्
  11. घण्टारवाधिकरणम्
  12. शुक्रभ्रमणाधिकरणम्
  13. चक्रगत्यधिकरणम्
अध्याय ६
  1. वर्गविभाजनाधिकरणम्
  2. वामनिर्णयाधिकरणम्
  3. शक्त्युद्गमाधिकरणम्
  4. सूतवाहाधिकरणम्
  5. धूमयानाधिकरणम्
  6. शिखोद्गमाधिकरणम्
  7. अंशुवाहाधिकरणम्
  8. तारमुखाधिकरणम्
  9. मणिवाहाधिकरणम्
  10. मतुत्सखाधिकरणम्
  11. शक्तिगर्भाधिकरणम्
  12. गारुडाधिकरणम्
अध्याय ७
  1. सिंहिकाधिकरणम्
  2. त्रिपुराधिकरणम्
  3. गूढचाराधिकरणम्
  4. कूर्माधिकरणम्
  5. ज्वालिन्यधिकरणम्
  6. माण्डलिकाधिकरणम्
  7. आन्दोलिकाधिकरणम्
  8. ध्वजांगाधिकरणम्
  9. वृन्दावनाधिकरणम्
  10. वैरिंचिकाधिकरणम्
  11. जलदाधिकरणम्
अध्याय ८
  1. दिंनिर्णयाधिकरणम्
  2. ध्वजाधिकरणम्
  3. कालाधिकरणम्
  4. विस्तृतक्रियाधिकरणम्
  5. अंगोपसहाराधिकरणम्
  6. तमप्रसारणाधिकरणम्
  7. प्राणकुण्डल्यधिकरणम्
  8. रूपाकर्षणाधिकरणम्
  9. प्रतिबिम्बाकर्षणाधिकरणम्
  10. गमागमाधिकरणम्
  11. आवासस्थानाधिकरणम्
  12. शोधनाधिकरणम्
  13. परिच्छेदाधिकरणम्
  14. रक्षणाधिकरणम्

विमान के ३२ रहस्य

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इस ग्रन्थ में विमानचालक (पाइलॉट) के लिये ३२ रहस्यों (systems) की जानकारी आवश्यक बतायी गयी है। इन रहस्यों को जान लेने के बाद ही पाइलॉट विमान चलाने का अधिकारी हो सकता है। ये रहस्य निम्नलिखित हैं-

मांत्रिक, तान्त्रिक, कृतक, अन्तराल, गूढ, दृश्य, अदृश्य, परोक्ष, संकोच, विस्तृति, विरूप परण, रूपान्तर, सुरूप, ज्योतिर्भाव, तमोनय, प्रलय, विमुख, तारा, महाशब्द विमोहन, लांघन, सर्पगमन, चपल, सर्वतोमुख, परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियाग्रहण, दिक्प्रदर्शन, आकाशाकार, जलद रूप, स्तब्धक, कर्षण।

प्राचीन विज्ञान-ग्रन्थ सूची

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'विमान शास्त्र' नामक पुस्तक के सम्पादक एवं हिन्दी अनुवादक प्रियरत्न आर्ष ने पुस्तक के आरम्भ में निम्नलिखित सूची दी हुई है। उनका कहना है कि यह सूची हस्तलिखित "वैमानिक प्रकरणम्" पुस्तक में दी हुई है।[1]

क्रम संख्या ग्रन्थ का नाम रचयिता
(१) शक्तिसूत्रम् अगस्त्यकृतम्
(२) सौदामिनीकला ईश्वरकृता
(३) शुद्धिविद्याकलापम् आश्वलायनकृतम्
(४) ब्रह्माण्डसारः व्यासप्रणीतः
(५) अंशुज्ञानम् 'अंशुमत्तन्त्रम्' भरद्वाजकृतम्
(६) छन्दःकौस्तुभः पराशरप्रणीतः
(७) कौमुदी सिंहकोठकृता
(८) रूपशक्तिंप्रकरणम् अङ्गिरसकृतम्
(९) करकप्रकरणम्‌ अङ्गिरसकृतम्
(१०) आकाशशास्त्रम्‌ भरद्वाजकृतम्‌
(११) लोकसंग्रहः विसरणकृतः
(१२ ) अगतत्त्वलहरी आश्वलायनकृता
(१३) प्रपञ्चलहरी वसिष्ठकृता
(१४) यन्त्रसर्वस्वम् भरद्वाजकृतम्
(१५) लोहशास्त्रम्‌ शाकटायनकृतम्
(१६) जीवसर्वस्वम् जैमिनिकृतम्
(१७) कर्माब्धिपारः आपस्तम्बकृतः
(१८) धातुसर्वस्वम् ‌ बौधायनकृतम्
(१९) रुक्-हृदयम् अत्रिकृतम्‌
(२०) नामार्थकल्पः अत्रिकृतः
(२१) वायुतत्त्वप्रकरणम्‌ शाकटायनक्रतम्‌
(२२) वैश्वानरतन्त्रम् नारदकृतम्
(२३) धूमप्रकरणम् नारदकृतम्
(२४) ओषधिकल्पः अत्रिकृतः
(२५) वाल्मीकिगणितम्‌ वाल्मीकिकृतम्

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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सन्दर्भ

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  1. विमान शास्त्र (सम्पादक एवं अनुवादक - प्रिय रत्न आर्ष ; प्रकाशन वर्ष -१९४३)