शतरंज के नियम

शतरंज के नियम (जिसे शतरंज के सिद्धांत भी कहते हैं), शतरंज के खेल को विनियमित करने वाले नियम होते हैं। यद्यपि शतरंज की ठीक-ठीक उत्पत्ति निश्चित नहीं है किंतु यह ज्ञात है कि इसके आधुनिक नियम पहली बार 16वीं शताब्दी के दौरान भारत में विकसित हुए. 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक, अपने आधुनिक रूप में आने तक, नियम लगातार थोड़े-थोड़े बदलते रहे। शतरंज के नियमों में स्थानों के आधार पर भी अलग-अलग परिवर्तन हुए. आज Fédération Internationale des Échecs (एफआईडीई (FIDE)), जिसे विश्व शतरंज संगठन (वर्ल्ड चेस ऑर्गेनाइजेशन) भी कहा जाता है, कुछ राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अपने लिए किए गए हल्के परिवर्तनों के साथ, मानक नियम तय करता है। त्वरित शतरंज, पत्राचार शतरंज, ऑनलाइन शतरंज तथा चेस वैरिएंट्स (रूपांतर शतरंज) के नियमों में अंतर पाया जाता है।

शतरंज दो लोगों द्वारा 6 प्रकार के 32 मोहरों (प्रत्येक खिलाड़ी के लिए 16) के साथ बिसात पर खेला जाने वाला एक खेल है। प्रत्येक प्रकार का मोहरा खास तरीके से आगे बढ़ता है। खेल का लक्ष्य शह और मात होता है अर्थात विरोधी खिलाड़ी के बादशाह को अपरिहार्य रूप से बंदी बना लेना होता है। यह आवश्यक नहीं कि खेल शह देकर मात की स्थिति में ही खत्म हो, बल्कि खिलाड़ी प्राय:, अपनी हार में यकीन हो जाने पर हार मान कर खेल छोड़ भी सकता है। इसके अतिरिक्त खेल की ड्रॉ स्थिति में खत्म होने के भी कई तरीके होते हैं।

मोहरों के मौलिक चालों के अलावा खेल में प्रयुक्त होने वाले उपकरण, समय नियंत्रण, खिलाड़ियों के आचार-व्यवहार, शारीरिक अक्षमता वाले खिलाड़ियों के समायोजन, शतरंज की संकेत पद्धति में चालों का ब्योरा रखने तथा खेल के दौरान की जाने वाली अनियमितताओं के लिए बरती जाने वाली प्रक्रियाओं को भी नियमों द्वारा विनियमित किया जाता है।

Photo shows two men playing chess while two more look on.
शतरंज घड़ी का उपयोग कर कीव के एक पब्लिक पार्क में खेल
Photo shows the six types of chess pieces in the Staunton style.
स्टॉन्टन स्टाइल के शतरंज के मोहरेबाएं से दाएं : बादशाह, किश्ती, वज़ीर/रानी, प्यादा, घोड़ा, फील (बिशप)

प्रारंभिक सज्जा

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8
a8 black rook
b8 black knight
c8 black bishop
d8 black queen
e8 black king
f8 black bishop
g8 black knight
h8 black rook
a7 black pawn
b7 black pawn
c7 black pawn
d7 black pawn
e7 black pawn
f7 black pawn
g7 black pawn
h7 black pawn
a2 white pawn
b2 white pawn
c2 white pawn
d2 white pawn
e2 white pawn
f2 white pawn
g2 white pawn
h2 white pawn
a1 white rook
b1 white knight
c1 white bishop
d1 white queen
e1 white king
f1 white bishop
g1 white knight
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प्रारम्भिक सज्जा

शतरंज को शतरंज के बिसात पर खेला जाता है जो एकांतर रंगों के 64 वर्गों (8×8) में बंटा हुआ एक वर्गाकार बोर्ड होता है जो ड्राफ्ट्स (चेकर्स) के खेल में प्रयुक्त होने वाले बोर्ड जैसा होता है।(FIDE 2008) बिसात के वास्तविक रंग चाहे कोई भी हों, हल्के रंग वाले वर्ग ‘लाइट’ अथवा ‘सफेद’ तथा गहरे रंग वाले वर्ग ‘डार्क’ अथवा ‘काले’ कहलाते हैं। 16 "सफेद" और 16 "काले" मोहरे बिसात पर, खेल की शुरुआत में, रखे जाते हैं। बिसात इस प्रकार बिछाया जाता है कि एक सफेद वर्ग प्रत्येक खिलाड़ी के दाहिने कोने में पड़े और एक काला वर्ग बाएं कोने में. प्रत्येक खिलाड़ी के अधिकार में 16 मोहरे होते हैं।

मोहरा [[राजा]K] [[वज़ीर/रानी]Q] [[किश्ती]R] [[फील]B] [[घोड़ा]N] प्यादा
संख्या 1 1 2 2 2 8
सिम्बल (चिन्ह)






खेल की शुरुआत में दाहिनी ओर दिखाए गए चित्र के अनुसार मोहरों को व्यवस्थित किया जाता है। खिलाड़ी की ओर से दूसरी पंक्ति में 8 प्यादे होते हैं; खिलाड़ी की निकटतम पंक्ति में बाकी मोहरे होते हैं। मोहरों की व्यवस्था को याद रखने के लिए लोकप्रिय वाक्यांश जो प्राय: नए खिलाड़ियों में प्रचलित होते हैं “क्वीन ऑन ओन कलर” ("queen on own color") तथा “व्हाइट ऑन राइट” ("white on right"). बाद वाला वाक्यांश बिसात बिछाने से संबंधित है जिसके अनुसार प्रत्येक खिलाड़ी का निकटतम दायां वर्ग सफेद होना चाहिए। (Schiller 2003:16–17)

वर्गों की पहचान

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Diagram showing how squares are named - columns are a through h, rows are 1 through 8
बीजगणितीय अंकनपद्धति में वर्गों/वर्गों का नामकरण

बिसात का प्रत्येक वर्ग एक अक्षर और एक संख्या के एक विशिष्ट युग्म द्वारा पहचाना जाता है। खड़ी पंक्तियों (फाइल्स) को सफेद के बाएं (अर्थात वज़ीर/रानी वाला हिस्सा) से सफेद के दाएं ए (a) से लेकर एच (h) तक के अक्षर से सूचित किया जाता है। इसी प्रकार क्षैतिज पंक्तियों (रैंक्स) को बिसात के निकटतम सफेद हिस्से से शुरू कर 1 से लेकर 8 की संख्या से निरूपित करते हैं। इसके बाद बिसात का प्रत्येक वर्ग अपने फाइल अक्षर तथा रैंक संख्या द्वारा विशिष्ट रूप से पहचाना जाता है। सफेद बादशाह, उदाहरण के लिए, खेल की शुरुआत में ई1 (e1) वर्ग में रहेगा. बी8 (b8) वर्ग में स्थित काला घोड़ा पहली चाल में ए6 (a6) अथवा सी6 (c6) पर पहुंचेगा.

प्रत्येक खिलाड़ी के नियंत्रण में रंगीन मोहरों के दो में से एक सेट होता है और इसका नाम खिलाड़ी के संबंधित मोहरों के रंग पर होता है अर्थात सफेद या काला. सफेद मोहरों की चलने की बारी पहली होती है और जैसा कि अधिकतर बिसात खेलों में होता है, एक खिलाड़ी के बाद दूसरा खिलाड़ी चलता है। चाल चलना अनिवार्य होता है; चाल चलने से बचना यानि "पास" होना वैध नहीं होता है- यहां तक कि तब भी जब चाल चलना खिलाड़ी के लिए खतरनाक है। जैसा कि आगे बताया गया है, खेल, बादशाह के शह पाकर मात होने, किसी खिलाड़ी के हार मान लेने अथवा खेल ड्रॉ घोषित होने तक जारी रहता है। इसके अतिरिक्त, यदि खेल नियंत्रित समय के अंतर्गत खेला जा रहा हो तो जो खिलाड़ी समय सीमा का उल्लंघन करेगा, उसकी हार हो जाएगी.

शतरंज के औपचारिक नियमों में, कौन सा खिलाड़ी सफेद मोहरों से खेलेगा, यह तय करना शामिल नहीं होता। बजाए इसके, यह फैसला टूर्नामेंट के अपने विशिष्ट नियमों (उदाहरण के लिए, स्विस प्रणाली टूर्नामेंट अथवा राउंड-रोबिन टूर्नामेंट) के अधीन होता है अथवा गैर-प्रतियोगी खेल की स्थिति में यह खिलाड़ियों की आपसी सहमति पर निर्भर करता है, कुछ स्थितियों में यादृच्छिक चयन का सहारा भी लिया जाता है।

मौलिक चाल

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राजा की बुनियादी चाल
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8
e6 black cross
f6 black cross
g6 black cross
e5 black cross
f5 white king
g5 black cross
e4 black cross
f4 black cross
g4 black cross
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रूक के चाल
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d8 black cross
d7 black cross
d6 black cross
a5 black cross
b5 black cross
c5 black cross
d5 white rook
e5 black cross
f5 black cross
g5 black cross
h5 black cross
d4 black cross
d3 black cross
d2 black cross
d1 black cross
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बिषॉप के चाल
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a8 black cross
g8 black cross
b7 black cross
f7 black cross
c6 black cross
e6 black cross
d5 white bishop
c4 black cross
e4 black cross
b3 black cross
f3 black cross
a2 black cross
g2 black cross
h1 black cross
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रानी के चाल
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8
d8 black cross
h8 black cross
a7 black cross
d7 black cross
g7 black cross
b6 black cross
d6 black cross
f6 black cross
c5 black cross
d5 black cross
e5 black cross
a4 black cross
b4 black cross
c4 black cross
d4 white queen
e4 black cross
f4 black cross
g4 black cross
h4 black cross
c3 black cross
d3 black cross
e3 black cross
b2 black cross
d2 black cross
f2 black cross
a1 black cross
d1 black cross
g1 black cross
8
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66
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44
33
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घोड़े के चाल
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8
c6 black cross
e6 black cross
b5 black cross
f5 black cross
d4 black knight
b3 black cross
f3 black cross
c2 black cross
e2 black cross
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66
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pawn के चाल
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8
b7 black rook
c7 black cross
d7 black rook
c6 white pawn
e4 black cross
e3 black cross
e2 white pawn
8
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66
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44
33
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The white pawns can move to the squares marked with "X" in front of them. The pawn on the c6 square can also take either black rook.
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शतरंज के प्रत्येक मोहरे का चलने का अलग-अलग तरीका होता है। विरोधी के मोहरे को काटने की स्थिति को छोड़कर चालें हमेशा किसी न किसी रिक्त वर्ग में ही चली जाती हैं।

घोड़े के अपवाद को छोड़कर मोहरे एक-दूसरे के ऊपर से नहीं गुजर सकते. जब कोई मोहरा कटता है (या उठाया जाता है) तो हमलावर मोहरा दुश्मन के मोहरे के उस वर्ग में स्थापित हो जाता है (आंपैसां की अपवाद स्थिति को छोड़कर). काटे हुए मोहरे को इस प्रकार खेल से हटा दिया जाता है और शेष खेल के दौरान ये वापस नहीं आ सकते.[1] बादशाह को शह दिया जा सकता है किंतु उसे काटा नहीं जा सकता (आगे देखें).

  • बादशाह, क्षैतिज, सीधा अथवा तिरछे रूप से किसी भी ओर केवल एक वर्ग चल सकता है। बादशाह को, प्रत्येक बाजी में अधिक से अधिक एक बार विशेष चाल चलने की इजाजत होती है जिसे कैसलिंग कहते हैं (आगे देखें).
  • क्षैतिज तथा सीधी दिशा में किसी भी ओर किसी भी रिक्त वर्ग में किश्ती की चाल चली जा सकती है। इसे कैसलिंग के दौरान भी चला जाता है।
  • फील (बिशप) को तिरछी दिशा में किसी भी रिक्त वर्ग में चला जा सकता है
  • वज़ीर/रानी को किसी भी रिक्त वर्ग में तिरछे, क्षैतिज अथवा सीधा चला जा सकता है।
  • घोड़े को निकटतम समान रैंक, फाइल, अथवा तिरछे वर्ग में नहीं चला जा सकता. दूसरे शब्दों में, घोड़ा दो वर्ग किश्ती की तरह चलकर तब एक वर्ग लंबवत् चलता है। इसकी चाल में कोई भी अन्य मोहरा रुकावट नहीं बन सकता अर्थात नए वर्ग में जाने के लिए यह छलांग लगाता है। घोड़ा दो कदम एक दिशा में, फिर 90° का एक कोण बनाकर एक कदम नई दिशा में "एल" ("L") अथवा "7" की आकृति (अथवा इसकी उल्टी आकृति) बनाकर चलता है।
  • सबसे जटिल नियम प्यादों (पॉन्स) की चाल के लिए होते हैं:
  • यदि वर्ग रिक्त हो तो प्यादा आगे की ओर एक वर्ग चल सकता है। यदि सामने के वर्ग के रिक्त होने पर भी यह न चले तो इसके पास यह विकल्प होता है सामने के दो वर्गों के रिक्त होने की स्थिति में यह दो वर्ग चल सकता है। प्यादा पीछे की ओर नहीं चल सकता.
  • प्यादे एकमात्र ऐसे मोहरे होते हैं जो विरोधी के मोहरे को काटने के लिए अपनी सामान्य चाल से अलग चाल चलते हैं। दुश्मन के किसी मोहरे को वे तभी काट सकते हैं जब वह इसके ठीक सामने वाले वर्ग के दाएं या बाएं आसन्न वर्ग (अर्थात उनके सामने तिरछे रूप से दो वर्ग) में स्थित हो, किंतु इन स्थानों के रिक्त होने की स्थिति में ये उनमें नहीं जा सकते.
प्यादा के चालों में अंपैसां और तरक्की के दो खास चाल भी शामिल होते हैं।(Schiller 2003:17–19)

कैसलिंग

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8
a8 black rook
e8 black king
e1 white king
h1 white rook
8
77
66
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Position of pieces before castling
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8
c8 black king
d8 black rook
f1 white rook
g1 white king
8
77
66
55
44
33
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Positions of the king and rook after kingside (White) and queenside (Black) castling

कैसलिंग के अंतर्गत बादशाह को किश्ती की ओर दो वर्ग बढ़ाकर और किश्ती को बादशाह के दूसरी ओर उसके ठीक बगल में रखकर किया जाता है।[2] कैसलिंग केवल तभी किया जा सकता है जब निम्नलिखित शर्तें पूरी हों:

  1. बादशाह तथा कैसलिंग में शामिल किश्ती की यह पहली चाल होनी चाहिए;
  2. बादशाह तथा किश्ती के बीच कोई मोहरा नहीं होना चाहिए;
  3. बादशाह को इस दौरान कोई शह नहीं पड़ा होना चाहिए न ही वे वर्ग दुश्मन मोहरे के हमले की जद में होने चाहिए, जिनसे होकर कैसलिंग के दौरान बादशाह को गुजरना है अथवा जिस वर्ग में अंतत: उसे पहुंचना है (यद्यपि किश्ती के लिए ऐसी बाध्यता नहीं है);
  4. बादशाह और किश्ती को एक ही क्षैतिज पंक्ति (रैंक) में होना चाहिए(Schiller 2003:19).[3]

अंपैसां

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Three images showing en passant. First a white pawn moves from the a2 square to a4; second the black pawn moves from b4 to a3; third the white pan on a4 is removed
अंपैसां

यदि खिलाड़ी ए (A) का प्यादा दो वर्ग आगे बढ़ता है और खिलाड़ी बी (B) का प्यादा संबंधित खड़ी पंक्ति में 5वीं क्षैतिज पंक्ति में है तो बी (B) का प्यादा ए (A) के प्यादे को, उसके केवल एक वर्ग चलने पर काट सकता है। काटने की यह क्रिया केवल इसके ठीक बाद वाली चाल में की जा सकती है। इस उदाहरण में यदि सफेद प्यादा ए2 (a2) से ए4 (a4) तक आता है, तो बी4 (b4) पर स्थित काला प्यादा इसे अंपैसां विधि से काट कर ए3 (a3) पर पहुंचेगा.

a4, ba3

प्यादे की तरक्की

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यदि प्यादा आगे बढ़ते हुए आपनी 8वीं क्षैतिज पंक्ति में पहुंच जाए, तो यह तरक्की पाकर (रूपांतरित होकर) अपने ही रंग का वज़ीर/रानी, किश्ती, फील अथवा घोड़ा बन सकता है, जो खिलाड़ी की इच्छा पर निर्भर है कि वह क्या बनाना चाहता है (आम तौर पर वज़ीर को ही चुना जाता है,अंतरराष्ट्रीय खेल में). यह चयन पहले के कटे हुए मोहरों तक ही सीमित नहीं होता। अत: सैद्धांतिक रूप से यह संभव है कि खिलाड़ी नौ की संख्या तक वज़ीर अथवा दस की संख्या तक किश्ती, फील अथवा घोड़े बना ले,(यह भारतीय शतरंज में मान्य नहीं है)यदि उसके सभी प्यादों की तरक्की हो जाए तो. यदि खिलाड़ी की पसंद का मोहरा उपलब्ध नहीं है तो खिलाड़ी को निर्णायक (arbiter) से उस मोहरे को उपलब्ध कराने के लिए कहना चाहिए। (Schiller 2003:17–19)[4]

जब कोई खिलाड़ी ऐसी चाल चलता है जिससे विरोधी के बादशाह के कट जाने का खतरा उत्पन्न हो (जरूरी नहीं कि चले जाने वाले मोहरे द्वारा ही), तो बादशाह को शह पड़ा हुआ माना जाता है। शह की परिभाषा यह है कि एक या अधिक विरोधी मोहरे सैद्धांतिक रूप से अगली चाल में बादशाह को काट देंगे (यद्यपि वास्तविक रूप से बादशाह कभी नहीं काटा जा सकता). यदि किसी खिलाड़ी का बादशाह शह की स्थिति में है तो खिलाड़ी को ऐसी चाल चलनी पड़ेगी जो बादशाह कटने के खतरे को खत्म कर दे; खिलाड़ी कभी भी अपने बादशाह को अपनी चाल के अंत में शह की स्थिति में नहीं छोड़ सकता. शह को खत्म करने के संभावित तरीके इस प्रकार हैं:

  • बादशाह को ऐसे वर्ग में ले जाएं जहां इस पर कोई खतरा न हो
  • खतरा उत्पन्न करने वाले मोहरे को काट लें (संभव हो तो बादशाह से, यदि ऐसा करने से बादशाह पर शह नहीं पड़ता हो).
  • बादशाह और विरोधी के शह देने वाले मोहरे के बीच कोई मोहरा रखें. ऐसा करना तब संभव नहीं होता जब शह देने वाला मोहरा घोड़ा अथवा प्यादा हो, अथवा शह पाने वाले बादशाह के ठीक बगल में शह देने वाले वज़ीर/रानी, किश्ती या फील हो।

अनौपचारिक खेलों में, विरोधी के बादशाह को शह देने वाली चाल चलने के दौरान शह की घोषणा करना आवश्यक होता है। यद्यपि औपचारिक प्रतियोगिताओं में शायद ही कभी शह की घोषणा की जाती हो(Just & Burg 2003:28).

खिलाड़ी ऐसी कोई चाल नहीं चल सकता जिससे उसके बादशाह पर शह पड़ता हो अथवा पहले से शह की स्थिति में पड़ा हुआ बादशाह उसी स्थिति में छूट जाता हो, यहां तक कि उस हालात में भी नहीं जब शह देने वाले मोहरे को पिन के कारण नहीं चला जा सकता, अर्थात जब उस मोहरे को चलने से विरोधी के अपने बादशाह पर शह पड़ता हो। इसका यह भी अर्थ है कि खिलाड़ी अपने बादशाह को विरोधी के बादशाह के ठीक बगल वाले किसी भी वर्ग में नहीं रख सकता क्योंकि ऐसा करने से विरोधी बादशाह द्वारा उसके बादशाह पर शह पड़ जाएगा.

खेल का अंत

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शह और मात

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यदि किसी खिलाड़ी के बादशाह पर शह हो और ऐसी कोई वैध चाल न हो जिससे कि वह खिलाड़ी अपने बादशाह को शह से बचा सके तो बादशाह शहमात की स्थिति में माना जाता है, खेल खत्म हो जाता है और वह खिलाड़ी हार जाता है।(Schiller 2003:20–21) क्योंकि शह और मात से खेल का अंत होता है, इसलिए दूसरे मोहरों के विपरीत, बादशाह वास्तव में न तो कभी कटता है और न ही बिसात से हटाया जा सकता है।(Burgess 2000:457)

दाहिनी ओर दिए गए चित्र में शह और मात की स्थिति का एक नमूना दिखाया गया है। सफेद बादशाह को काले वज़ीर/रानी से खतरा है; प्रत्येक वर्ग, जिसमें बादशाह जा सकता है, पर भी खतरा है; बादशाह वज़ीर/रानी को काट नहीं सकता क्योंकि तब इसपर किश्ती का खतरा उत्पन्न हो जाता है।

शहमात से पूर्व हार मान लेना

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कोई भी खिलाड़ी शहमात की स्थिति से पहले ही किसी भी समय हार मान ले सकता है और तब उसके विरोधी की जीत हो जाएगी. ऐसा सामान्यत: तब होता है जब खिलाड़ी को यह विश्वास हो जाता है कि वह खेल हारने वाला है। खिलाड़ी बोलकर हार मान सकता है अथवा अपने स्कोरशीट पर तीन तरीके से लिखकर ऐसा कर सकता है: (1) "resigns" लिखकर, (2) खेल के परिणाम को गोल घेरकर, अथवा (3) यदि काले मोहरे वाले पक्ष ने हार मानी है तो "1–0" लिखकर और यदि सफेद पक्ष ने हार मानी है तो "0–1" लिखकर.(Schiller 2003:21) अपने बादशाह को गिरा देना भी हार मान लेने का संकेत है किंतु इसका अधिक प्रयोग नहीं होता (और इस स्थिति को बादशाह के दुर्घटनावश गिरने की स्थिति से अलग होना चाहिए). दोनों घड़ियों को रोक दिया जाना हार मान लेने की निशानी नहीं है, क्योंकि निर्णायक को बुलाने के लिए भी घड़ियां रोकी जा सकता हैं। हाथ मिलाने का प्रस्ताव भी जरूरी नहीं कि हार मान लेना माना जाए, क्योंकि ऐसा सोचा जा सकता है कि खिलाड़ी ड्रॉ करने को सहमत हुए हैं।(Just & Burg 2003:29)

खेल ड्रॉ की स्थिति में खत्म हो जाएगा यदि इनमें से कोई परिस्थिति उत्पन्न हो जाए.

  • खेल स्वत: ड्रॉ हो जाएगा यदि जिस खिलाड़ी को चाल चलनी है उस पर न तो शह हो और न ही उसके पास चलने को कोई वैध चाल हो। ऐसी स्थिति को जिच (स्टैलमेट) कहते हैं। ऐसी स्थिति का उदाहरण दाहिनी ओर दिए गए चित्र में दिखाया गया है।
  • वैध चालों का कोई भी संभव सिलसिला शह और मात की स्थिति नहीं पैदा कर सकता. आम तौर पर ऐसा अपर्याप्त सामग्री के कारण होता है, उदाहरण के लिए यदि एक खिलाड़ी के पास एक बादशाह और एक फील अथवा घोड़ा हो और दूसरे खिलाड़ी के पास एक बादशाह हो।
  • दोनों खिलाड़ी किसी एक के दिए ड्रॉ के प्रस्ताव को मान लें.

जिस खिलाड़ी को चाल चलनी है वह यह घोषणा करके कि निम्नलिखित में से कोई एक परिस्थिति उत्पन्न हो गई है, अथवा निम्नलिखित स्थितियों में से किसी एक को उत्पन्न करने वाली चाल चलने की मंशा की घोषणा के साथ, ड्रॉ का दावा कर सकता है:

  • प्रत्येक खिलाड़ी द्वारा बिना किसी मोहरे को काटे अथवा बिना किसी भी प्यादे को आगे बढ़ाए 50 चालें पूरी हों.
  • एक ही खिलाड़ी के साथ बिसात पर ऐसी समान स्थिति तीन बार उत्पन्न हो गई हो जिसमें कैसल अथवा काटने की अंपैसां सहित सभी मोहरे को चलने का बराबर अधिकार हो।

यदि दावा सही पाया जाए तो खेल ड्रॉ हो जाता है।(Schiller 2003:21,26–28)

कभी ऐसा नियम था, कि यदि किसी खिलाड़ी के लिए विरोधी बादशाह को लगातार शह देना संभव हो जाए (स्थाई शह) और खिलाड़ी ने ऐसा करते रहने की अपनी मंशा जाहिर कर दी हो, तो खेल ड्रॉ हो जाएगा. यह नियम अब प्रभावी नहीं है; हालांकि, खिलाड़ी ऐसी स्थिति में प्राय: ड्रॉ के लिए सहमत हो जाएंगे क्योंकि ऐसे में अंतत: तीन बार दुहराव वाला नियम अथवा 50 चालों वाला नियम लागू हो जाएगा.(Staunton 1847:21–22),(Reinfeld 1954:175)

ल उस खिलाड़ी की हार के साथ खत्म होगा जिसने अपना संपूर्ण आवंटित समय खत्म कर लिया हो (आगे दिए गए समयावधि वाला सेक्शन देखें). समय नियंत्रण विभिन्न प्रकार के होते हैं। खिलाड़ी को संपूर्ण खेल के लिए समय की एक निश्चित अवधि दी जा सकती है, अथवा एक निश्चित समय के अन्दर उसे चालों की एक निश्चित संख्या चलनी पड़ती है। साथ ही प्रत्येक चाल के लिए समय में एक छोटी-सी वृद्धि की जा सकती है।

प्रतियोगिता के नियम

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ये नियम शतरंज के ऐसे खेलों पर लागू होते हैं जो "बिसात के ऊपर" खेले जाते हैं। पत्राचार शतरंज, ब्लिट्ज शतरंज, कम्प्यूटर शतरंज तथा शारीरिक अक्षमता वाले खिलाड़ियों के खेलने के लिए खास नियम होते हैं।

मोहरों को चलना

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मोहरों को एक हाथ से चलना चाहिए। एक बार मोहरे चलकर हाथ हटा लेने के बाद, यदि चाल अवैध न हो तो उसे वापस नहीं किया जा सकता. जब कैसलिंग किया जाए (आगे देखें), खिलाड़ी को एक हाथ से पहले बादशाह को चलना चाहिए और तब उसी हाथ से किश्ती चलना चाहिए। (Schiller 2003:19–20)

प्यादे की तरक्की की स्थिति में, यदि खिलाड़ी प्यादे को 8वीं क्षैतिज पंक्ति में मुक्त करता है तो खिलाड़ी को प्यादे की तरक्की जरूर करनी होगी। प्यादे को चल लेने के बाद, खिलाड़े को बिसात पर रखे किसी भी मोहरे को नहीं छूना है और तरक्की की प्रक्रिया तब तक संपन्न नहीं होगी जब तक कि तरक्की वाले वर्ग में नया मोहरा न आ जाए.(Just & Burg 2003:18,22)

स्पर्श-चाल नियम

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गंभीर खेल में, यदि कोई खिलाड़ी चाल चलने में अपने किसी मोहरे को इस प्रकार छूता है कि मानो उस मोहरे को चलना हो, तो खिलाड़ी को वैध चाल अवश्य चलनी होगी। जब तक हाथ को नए वर्ग में मोहरे पर से न हटा लिया जाए तब तक उस मोहरे को किसी भी वैध वर्ग में रखा जा सकता है। यदि कोई खिलाड़ी विरोधी के किसी मोहरे को छूता है, तो उसे उस मोहरे को, यदि वह कट सके तो जरूर काटना होगा। यदि छुए गए मोहरों में से कोई भी मोहरा चलने के लिए वैध न हो तो कोई पैनल्टी नहीं होगी, किंतु यह नियम अब भी खिलाड़ी के अपने मोहरों पर लागू होगा। (Schiller 2003:19–20)

कैसलिंग के दौरान सबसे पहले छुआ जाने वाला मोहरा बादशाह होगा। [5] यदि खिलाड़ी एक ही समय में बादशाह के साथ किश्ती को भी छू देता है, तो खिलाड़ी को, यदि ऐसा करना वैध हो, तो उस किश्ती के साथ ही कैसल करना पड़ेगा. यदि खिलाड़ी बिना किश्ती को छुए बादशाह को दो वर्ग खिसका लेता है, तो खिलाड़ी को तदनुसार सही किश्ती जरूर चलनी चाहिए यदि उस दिशा में कैसलिंग करना वैध हो। यदि खिलाड़ी अवैध तरीके से कैसलिंग करने की कोशिश करे, तो यदि संभव हो दूसरी किश्ती के साथ कैसलिंग सहित बादशाह की दूसरी वैध चाल अवश्य चलनी पड़ेगी.(Schiller 2003:20)

जब प्यादे को उसकी 8वीं क्षैतिज पंक्ति में चला जाता है, तब प्यादे पर से खिलाड़ी द्वारा एक बार हाथ हटा लेने पर फिर प्यादे के लिए कोई अन्य चाल नहीं चली जा सकेगी. हालांकि, चाल तब तक पूरी नहीं होगी जब तक तरक्की प्राप्त मोहरा उस वर्ग में न रख दिया जाए.

यदि कोई खिलाड़ी किसी मोहरे को बिसात पर उसकी अवस्थिति को सही करने की नियत से छूता है तो उस खिलाड़ी द्वारा अपने विरोधी खिलाड़ी को अपनी मंशा के बारे में "J'adoube " अथवा "I adjust" कहकर सूचित करना पड़ेगा. खेल के एक बार शुरू हो जाने पर, मोहरे को बिसात पर केवल वही खिलाड़ी छू सकता है जिसके चलने की बारी हो। (Schiller 2003:19–20)

टूर्नामेंट के खेल समय सीमा के अन्दर, जिसे समय नियंत्रण कहते हैं, खेल घड़ी के साथ खेले जाते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी चाल समय नियंत्रण के भीतर चलना होगा अन्यथा वह खेल हार जाएगा. विभिन्न प्रकार के समय नियंत्रण होते हैं। कुछ स्थितियों में प्रत्येक खिलाड़ी के पास एक निश्चित संख्या में चाल चलने के लिए एक निश्चित समयावधि होती है। दूसरी स्थितियों में प्रत्येक खिलाड़ी के पास अपने सभी चालों को चलने के लिए एक निश्चित समयावधि होती है। इसके अलावा, खिलाड़ी को उसके प्रत्येक चाल के लिए, प्रत्येक चली गई चाल का समय बढ़ाकर अथवा हर बार विरोधी के चल लेने के बाद घड़ी की रफ्तार को जरा सा कम कर, थोड़ी मात्रा में अतिरिक्त समय दिया जा सकता है।(Schiller 2003:21–24)

  • यदि कोई खिलाड़ी शह और मात दे तो खेल खत्म हो जाता है और वह खिलाड़ी जीत जाता है, चाहे इसके बाद घड़ी द्वारा कोई भी समय क्यों न दिखाया जा रहा हो।
  • यदि खिलाड़ी ए (A) खिलाड़ी बी (B) का ध्यान उसके निर्धारित समय से अधिक लेने की ओर तब आकृष्ट करता है जब खिलाड़ी ए (A) ने स्वयं समय सीमा उल्लंघन न किया हो तथा कुछ वैध चालों के क्रम खिलाड़ी बी (B) को शहमात की ओर ले जाते हों, तो खिलाड़ी ए (A) की स्वत: जीत हो जाती है।
  • यदि खिलाड़ी ए (A) द्वारा खिलाड़ी बी (B) को शहमात दिए जाने की संभावना नहीं है तो खेल ड्रॉ हो जाएगा.(Schiller 2003:28) (यूएससीएफ (USCF) नियम अलग है। यूएससीएफ (USCF) नियम 14ई (E) “समय रहते खेल जीतने के लिए अपर्याप्त सामग्री”, को परिभाषित करता है जिसका अर्थ है अकेला बादशाह, बादशाह + घोड़ा, बादशाह + फील, तथा बादशाह + दो घोड़े जिनके विरोध में कोई प्यादा न हो और आखिरी स्थिति में कोई आरोपित जीत न हो। इसलिए समय रहते इस सामग्री से जीतने के लिए यूएससीएफ (USCF) नियम के अनुसार उस स्थिति से जीत को आरोपित किया जा सकता है, जबकि एफआईडीई (FIDE) के नियम में केवल इतना आवश्यक है कि जीत संभव होनी चाहिए। ) (इस नियम के प्रसिद्ध उदाहरण के लिए देखें 2008 में मोनिका सोको#नियम अपील तथा वूमंस वर्ल्ड चेस चैम्पियनशिप 2008)
  • यदि एक अचानक मृत्यु समय नियंत्रण (अ डेथ टाइम कंट्रोल) का प्रयोग नहीं किया जा रहा है तो खेल अगले समय नियंत्रण अवधि में जारी रहता है:
    • यदि एक अचानक मृत्यु समय नियंत्रण (अ डेथ टाइम कंट्रोल) का प्रयोग नहीं किया जा रहा है तो खेल अगले समय नियंत्रण अवधि में जारी रहता है।(Schiller 2003:23)
    • यदि खेल किसी अचानक मृत्यु समय नियंत्रण के अंतर्गत खेला जाता है, तो यदि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किस खिलाड़ी का समय पहले खत्म हुआ, तो वह खिलाड़ी खेल हार जाता है; अन्यथा खेल ड्रॉ हो जाता है।(Schiller 2003:29)

यदि किसी खिलाड़ी को यह विश्वास हो जाए कि उसका विरोधी समय रहते खेल जीतने का प्रयास कर रहा है न कि सामान्य उपायों द्वारा (अर्थात शह और मात), यदि यह एक अचानक मृत्यु समय नियंत्रण हो और खिलाड़ी के पास दो मिनट से कम समय बचा हो तो खिलाड़ी द्वारा घड़ियों को रोककर निर्णायक से ड्रॉ करने की मांग की जा सकती है। निर्णायक खेल को ड्रॉ घोषित कर सकता है, अथवा निर्णय को स्थगित कर विरोधी के लिए दो मिनट का अतिरिक्त समय आवंटित कर सकता है (Schiller 2003:21–24,29).[6]

चालों का विवरण रखना

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An image of a paper scoresheet from a game by Capablanca.
कैपेब्लैंका (Capablanca) द्वारा एक खेल से स्कोरशीट, विवरणात्मक अंकनपद्धति

औपचारिक प्रतियोगिता में, प्रत्येक खिलाड़ी हरेक चाल का विवरण शतरंज के संकेत चिह्नों द्वारा रखने के लिए बाध्य होता है ताकि अवैध स्थितियों, समय नियंत्रण के उल्लंघन तथा 50 चालों वाले नियम के द्वारा अथवा स्थिति के दुहराव द्वारा खेल ड्रॉ करने की मांग के बारे में विवादों को सुलझाया जा सके। आजकल खेलों के विवरण रखने के लिए शतरंज के बीजगणितीय अंकनपद्धति को मानक के तौर पर स्वीकार किया गया। दूसरी पद्धतियां भी हैं जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय पत्राचार शतरंज के लिए आईसीसीएफ (ICCF) आंकिक अंकनपद्धति तथा पुराना वर्णनात्मक शतरंज अंकनपद्धति. वर्तमान नियम यह है कि बिसात पर कोई चाल कागज पर इसके लिखित रूप में दर्ज होने अथवा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण द्वारा दर्ज होने से पूर्व ही चली जानी चाहिए। [7][8]

दोनों खिलाड़ियों को अपने स्कोरशीट पर चाल के समय "=" लिखकर ड्रॉ के प्रस्ताव का संकेत देना चाहिए। (Schiller 2003:27) घड़ियों में समय के बारे में अंकन किया जा सकता है। यदि किसी खिलाड़ी के पास उसके सभी चालों के पूरे होने के लिए 5 मिनट से कम समय बचा हो, तो उन्हें चालों के विवरण रखने की आवश्यकता नहीं होती (यदि प्रति चाल कम से कम 30 सेकंड की देरी की जा रही हो). निर्णायक के देखने के लिए स्कोरशीट हर वक्त उपलब्ध रहने चाहिए। खिलाड़ी अपने विरोधी की चाल का जवाब विवरण लिखे जाने से पूर्व दे सकता है।(Schiller 2003:25–26)

अनियमितताएं

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अवैध चाल

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जो खिलाड़ी कोई अवैध चाल चलता है उसे उस चाल को वापस लेकर वैध चाल चलने चाहिए। उस चाल को यदि संभव हो, उसी मोहरे से चलना चाहिए क्योंकि, यहां स्पर्श-चाल नियम लागू हो जाता है। यदि अवैध चाल कैसलिंग के दौरान चली गई हो तो स्पर्श-चाल नियम बादशाह पर लागू होता है, किश्ती पर नहीं। निर्णायक को सर्वोत्तम संकेत के अनुसार घड़ी में समय का समायोजन करना चाहिए। यदि गलती पर बाद में जाकर ही ध्यान दिया गया हो, तो खेल उस स्थिति से पुन: आरंभ किया जाना चाहिए जहां गलती हुई थी।(Schiller 2003:24–25) कुछ क्षेत्रीय संगठनों के अलग नियम होते हैं।[9]

यदि ब्लिट्ज शतरंज खेला जा रहा हो (जिसमें दोनों खिलाड़ियों के पास सीमित समय हो अर्थात 5 मिनट) तो इसमें अलग नियम होता है। खिलाड़ी अवैध चाल को सुधार सकता है यदि उसने अपनी घड़ी न दबाई हो। यदि खिलाड़ी ने अपनी घड़ी दबा दी हो तो विरोधी खिलाड़ी अपनी चाल चलने से पहले जीत का दावा पेश कर सकता है। यदि विरोधी खिलाड़ी अपनी चाल चल देता है तो अवैध चाल बिना किसी पैनल्टी के स्वीकृत हो जाती है।(Schiller 2003:77).[10]

अवैध स्थिति

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यदि खेल के दौरान यह पाया जाए कि खेल के आरंभ की स्थिति गलत थी, तो खेल को दुबारा शुरू किया जाता है। यदि खेल के दौरान यह पाया जाए कि बिसात गलत तरीके से बिछाई गई है, तो सही तरीके से बिछी हुई बिसात पर मोहरों को स्थानांतरित कर खेल को जारी रखा जाता है। यदि खेल विपरीत रंग वाले मोहरों से शुरू किया गया हो, तो खेल जारी रहता है (यदि निर्णायक द्वारा कोई अन्य निर्णय न किया जाए तो).(Schiller 2003:24) कुछ क्षेत्रीय संगठनों के अलग नियम होते हैं।[11]

यदि किसी खिलाड़ी से मोहरे लुढ़क जाते हैं, तो अपनी चाल के समय उन्हें उनकी सही स्थिति में पुन: व्यवस्थित करना उस खिलाड़ी के जिम्मेदारी है। यदि यह पता चले कि अवैध चाल चली गई है, अथवा मोहरों को विस्थापित किया गया है, तो खेल को अनियमितता-पूर्व की स्थिति से दुबारा शुरू किया जाता है। यदि उस स्थिति का निर्धारण संभव नहीं है, तो खेल को अंतिम ज्ञात सही स्थिति से दुबारा शुरू किया जाता है।(Schiller 2003:24–25)

खिलाड़ियों द्वारा सूचना के स्रोतों के बाहर की किसी बात का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए (कंप्यूटर सहित) और न ही उनके द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की सलाह का उपयोग किया जाना चाहिए। दूसरी बिसात पर विश्लेषण करने की अनुमति नहीं होती. स्कोरशीट केवल खेल के वस्तुनिष्ठ तथ्यों के विवरण के लिए होते हैं, जैसे कि घड़ी का समय अथवा ड्रॉ के प्रस्ताव. निर्णायक की अनुमति के बिना खिलाड़ी प्रतियोगिता क्षेत्र से बाहर नहीं जा सकते.(Schiller 2003:30–31)

खिलाड़ियों से ऊंचे स्तर के शिष्टाचार और नैतिकता की अपेक्षा की जाती है। खिलाड़ियों को खेल के पहले और बाद में हाथ मिलाने चाहिए। ड्रॉ प्रस्ताव, हार मानने अथवा अनियमितता की तरफ ध्यान दिलाने की स्थितियों को छोड़कर आम तौर पर खिलाड़ी को खेल के दौरान बोलना नहीं चाहिए। शह की घोषणा शौकिया खेलों में की जाती है किंतु औपचारिक रूप से स्वीकृत खेलों में ऐसा नहीं करना चाहिए। किसी खिलाड़ी को बार-बार ड्रॉ के प्रस्ताव सहित किसी भी तरीके से दूसरे खिलाड़ी का खेल की तरफ से न तो ध्यान भंग करना चाहिए, अथवा न ही उसे तंग करना चाहिए। (Schiller 2003:30–31,49–52)

A photo of the original Staunton chess pieces from about 1849.
शुरुआती स्टॉन्टन शतरंज के मोहरे, 1849 में चलाए गएदाएं से बाएं : प्यादा, किश्ती, घोड़ा, फील, वज़ीर/रानी तथा बादशाह
This photo shows a chessboard with pieces set up on both sides, ready to play. A chess clock is at the side.
खेल की शुरुआत में मोहरे तथा एक ऐनालॉग शतरंज घड़ी

बिसात के वर्गों (वर्गों) की माप बादशाह के आधार के व्यास से लगभग 1.25 – 1.3 गुणा होनी चाहिए, अथवा 50 – 65 मिमी होना चाहिए। लगभग 57 मिमी के वर्ग (2+14 इंच) आम तौर पर बादशाह सहित अन्य मोहरों की वांछित माप के लिए पूर्णत: उपयुक्त रहते हैं। गहरे रंग वाले वर्ग आम तौर पर भूरे या हरे तथा हल्के रंग वाले वर्ग सफेदी लिए हुए अथवा पांडु रंग के होते हैं।

स्टॉन्टन शतरंज सेट डिजायन के मोहरे मानक होते हैं और आम तौर पर लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं। वे प्राय: काले या सफेद होते हैं; दूसरे रंग भी प्रयुक्त हो सकते हैं (जैसे कि गहरे रंग के मोहरे के लिए गहरा काष्ठ रंग अथवा लाल रंग) लेकिन तब भी उन्हें “काले” और “सफेद” मोहरे ही कहा जाएगा (शतरंज में सफेद और काले देखिए). बादशाह की ऊंचाई 85 – 105 मिमी (3.35 – 4.13 इंच).[12] अधिकतर खिलड़ियों द्वारा लगभग 95 – 102 मिमी (3+34–4 इंच) की ऊंचाई पसंद की जाती है। बादशाह का व्यास इसकी ऊंचाई का 40 – 50% होना चाहिए। दूसरे मोहरों का आकार बादशाह के अनुसार अनुपात में होना चाहिए। मोहरों को अच्छी तरह संतुलित होना चाहिए। (Just & Burg 2003:225–27).[13]

समय निय़ंत्रण के अधीन खेले जाने वाले खेल में खेल घड़ी का उपयोग होता है, जिसमें दो घड़ियां एक दूसरे से सटी हुई होती हैं जिनमें एक घड़ी को रोकने के लिए और दूसरे को शुरू करने के लिए बटन इस तरह होते हैं कि दोनों घड़ियां कभी भी एकसाथ न चले. घड़ी ऐनालॉग अथवा डिजिटल हो सकती है।

शतरंज के नियमों का विकास शताब्दियों में हुआ। आधुनिक नियम पहली बार 16वीं शताब्दी के दौरान इटली में बने। (Ruch 2004) बादशाह, किश्ती तथा घोड़े की चालें नहीं बदली हैं। प्यादों के पास मूलत: पहली चाल में दो वर्ग चलने का विकल्प नहीं था और न ही अपनी 8वीं क्षैतिज पंक्ति में पहुंचने पर उनकी तरक्की होती थी। वज़ीर/रानी मूल रूप से फर्स अथवा फर्जिन था जो तिरछे रूप से किसी भी दिशा में एक वर्ग चल सकता था, अथवा पहली चाल में क्षैतिज रूप से सामने की ओर अथवा दाएं-बाएं दो वर्ग की छलांग लगा सकता था। फारसी खेल में बिशप फील अथवा अलफिल था, जो तिरछे रूप से एक या दो वर्ग चल सकता था। अरबी शतरंज में बिशप तिरछे रूप से किसी भी दिशा में दो वर्ग छलांग लगा सकता था।(Davidson 1981:13) मध्य युगों में प्यादों को अपनी 8वीं क्षैतिज पंक्ति में पहुंचकर वज़ीर/रानी (जो उस जमाने में सबसे कमजोर मोहरा था) के रूप में तरक्की पाने का अधिकार मिला। (Davidson 1981:59–61) 12वीं शताब्दी के दौरान बिसात के वर्ग कभी-कभी एकांतर रंगों वाले होते थे और 13वीं शताब्दी में यही मानक हो गया।(Davidson 1981:146)

An image of Philidor, who published rules in 1749
फिलिडोर (Philidor)

1200 से 1600 के बीच अनेक नियमों का जन्म हुआ जिससे खेल में भारी परिवर्तन आया। जीतने के लिए शह और मात एक आवश्यकता बन गई; खिलाड़ी अपने विरोधी के सारे मोहरे काटकर जीत नहीं सकता था। खेल में जिच भी जुड़ गया, यद्यपि परिणाम में कई गुणा परिवर्तन आया (देखिए जिच#जिच नियम का इतिहास). प्यादों को अपनी पहली चाल में दो वर्ग चलने का विकल्प प्राप्त हुआ और उस नए विकल्प का एक स्वाभाविक परिणाम हुआ अंपैसां नियम. बादशाह और किश्ती को कैसलिंग का अधिकार मिला (देखिए कैसलिंग#विभिन्न प्रकार के नियमों में इतिहास में भिन्नताएं).

1475 से 1500 के बीच वज़ीर/रानी तथा फील (बिशप) ने आधुनिक चालें अपना लीं जिससे वे पहले से अधिक ताकतवर मोहरे बन गए।[14](Davidson 1981:14–17). जब ये सारे परिवर्तन स्वीकार कर लिए गए, तब जाकर खेल तत्वत: अपने आधुनिक रूप में आया।(Davidson 1981:14–17)

प्यादे की तरक्की के नियम कई बार बदले. जैसा कि ऊपर बताया गया, आरंभ में प्यादा केवल वज़ीर/रानी के रूप में तरक्की पा सकता था जो उस समय एक कमजोर मोहरा था। जब वज़ीर/रानी ने आधुनिक चाल पा ली और सबसे ताकतवर मोहरा बन गया तब प्यादा वज़ीर/रानी अथवा किश्ती, फील अथवा घोड़े के रूप में तरक्की पाने लगा। 18वीं शताब्दी में नियम यह था कि प्यादे की तरक्की केवल उन्हीं मोहरों में हो सकती थी जो पहले से कटे हुए हैं, उदाहरण के लिए वे नियम जो 1749 में फ्रैंको-एन्द्रे डैनिकन फिलिदोर (François-André Danican Philidor) द्वारा प्रकाशित किए गए। 19वीं शताब्दी में यह प्रतिबंध हटा लिया गया, जो खिलाड़ी को एक से अधिक वज़ीर/रानी रखने की अनुमति देता था, उदाहरण के लिए जैकब सैरट (Jacob Sarratt) द्वारा 1828 के नियम.(Davidson 1981:59–61)

ड्रॉ से संबंधित दो नए नियम शामिल किए गए, जिनमें से प्रत्येक कई वर्षों के दौरान बदल गए:

नए नियमों के दूसरे समूह में शामिल हुए (1) स्पर्श-चाल नियम तथा इसका अनुवर्ती "j'adoube/adjust" नियम; (2) पहली चाल सफेद मोहरे की; (3) बिसात बिछाने के नियम; (4) अवैध चाल चलने पर होने वाली प्रक्रिया; (5) बादशाह के कुछ चालों तक शह पड़ने से संबंधित प्रक्रिया; तथा (6) खिलाड़ियों तथा दर्शकों के आचरण से संबंधित मुद्दे. स्टॉन्टन शतरंज सेट को 1849 में आरंभ किया गया और यह मोहरों का मानक स्टाइल बन गया। मोहरों तथा बिसात के वर्गों के माप को मानक बनाया गया।(Hooper & Whyld 1992:220-21,laws, history of)

19वीं शताब्दी के मध्य तक शतरंज के खेल बिना किसी समय सीमा के खेले जाते थे। एलैक्जेंडर मैकडॉनेल (Alexander McDonnell) तथा लुई-चार्ल्स माहे डी ला बॉर्दोन (Louis-Charles Mahé de La Bourdonnais) के बीच खेले गए 1834 के मैच में मैकडॉनेल ने चाल चलने में अत्यधिक समय लगाया, कभी-कभी तो डेढ़ घंटे तक. 1836 में पीयरे चार्ल्स फॉर्नियर डी सेंट-एमंट (Pierre Charles Fournier de Saint-Amant) ने समय सीमा की सलाह दी लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई। 1851 के लंदन टूर्नामेंट में स्टॉन्टन ने एलिजा विलियम (Elijah Williams) से इसलिए हार मान ली क्योंकि विलियम चाल चलने में बहुत अधिक समय ले रहा था। अगले साल डेनियल हार्वित्ज (Daniel Harrwitz) तथा जोहान लॉएन्थल (Johann Löwenthal) ने प्रति चाल 20 मिनट की समय सीमा क प्रयोग किया। आधुनिक प्रकार की समय सीमा का पहला प्रयोग 1861 के मैच में एडोल्फ एंडरसेन (Adolph Anderssen) तथा इग्नैक कोलिस्क (Ignác Kolisch) के बीच किया गया।(Sunnucks 1970:459)

संहिताकरण

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A photo of the book "Official Chess Rulebook" by Kenneth Harkness
शतरंज की आधिकारिक नियम पुस्तिका, हार्कनेस (Harkness) द्वारा (1970 का संस्करण)

शतरंज के नियमों का पहला ज्ञात प्रकाशन लुई रेमिरेज डी ल्युसिना (Luis Ramírez de Lucena) द्वारा एक पुस्तक के रूप में वर्ष 1497 के आस-पास, वज़ीर/रानी, फील तथा प्यादे के आधुनिक रूप में परिवर्तित होने के तुरंत बाद किया गया था।(Just & Burg 2003:xxi) 16वीं तथा 17वीं शाताब्दियों में कैसलिंग, प्यादे की तरक्की, जिच, तथा अंपैसां से संबंधित नियमों के बारे में लोगों की अलग-अलग राय थी। इनमें से कुछ अंतर 19वीं शताब्दी तक अस्तित्व में रहे। (Harkness 1967:3) Ruy López de Segura ने 1561 की अपनी पुस्तक Libro de la invencion liberal y arte del juego del axedrez में शतरंज के नियम दिए। (Sunnucks 1970:294)

जब शतरंज के क्लब बने और टूर्नामेंट आम होने लगे तब नियमों के औपचारीकरण की आवश्यकता हुई। 1749 में फिलीडोर (1726 – 1795) ने व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाले नियमों का एक सेट लिखा. बाद के लेखकों द्वारा भी नियमों को संग्रहित कर लिखा गया जैसे 1828 में जैकब सैरट (1772 – 1819) के नियम तथा जॉर्ज वाकर (George Walker 1803–1879) के नियम. 19वीं शताब्दी में अनेक प्रमुख क्लबों ने अपने-अपने नियम प्रकाशित किए जिनमें 1803 में द हेग, 1807 में लंदन, 1836 में पेरिस तथा 1854 में सेंटपीटर्सबर्ग शामिल थे। 1851 में हॉवर्ड स्टॉन्टन (Howard Staunton 1810–1874) ने “शतरंज के नियमों के पुनर्गठन हेतु संविधान सभा” की बैठक करवाया और Tassilo von Heydebrand und der Lasa (1818–1889) द्वारा दिए गए प्रस्ताव 1854 में प्रकाशित हुए. स्टॉन्टन ने 1847 में चेस प्लेयर्स हैंडबुक में नियमों को प्रकाशित किया और उसके नए प्रस्ताव 1860 में चेस प्रैक्सिस (Chess Praxis) में प्रकाशित हुए जो आम तौर पर अंग्रेजी बोलने वाले देशों में स्वीकृत हुए. जर्मन बोलने वाले देशों ने आम तौर पर शतरंज के ज्ञाता जोहान बर्गर (Johann Berger 1845–1933) अथवा Handbuch des Schachspiels by Paul Rudolf von Bilguer (1815–1840) के लेखनों का प्रयोग किया, जो पहली बार 1843 में प्रकाशित हुए थे।

rulebook by FIDE, the World Chess Organization, who sets the international rules.
एफआईडीई (FIDE) नियम पुस्तिका, 1989

1924 में Fédération Internationale des Échecs (एफआईडीई (FIDE)) की स्थापना हुई और 1929 में इसने नियमों के मानकीकरण का कार्य हाथ में लिया। शुरू में एफआईडीई (FIDE) ने नियमों का एक सार्वभौमिक संग्रह तैयार करने की कोशिश की, लेकिन विभिन्न भाषाओं में हुए इसके अनुवादों में थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन आ गया। यद्यपि एफआईडीई (FIDE) के नियम उनके नियंत्रण में होने वाली अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रयुक्त किए जाते थे, कुछ देशों ने अपने-अपने नियमों का अपने देश में प्रयोग करना जारी रखा। (Hooper & Whyld 1992:220–21) 1952 में एफआईडीई (FIDE) ने शतरंज के नियमों के लिए स्थाई समिति (जिसे नियम समिति भी कहते हैं) का गठन किया और नियमों का एक नया संस्करण प्रकाशित किया गया। नियमों का तीसरा औपचारिक संस्करण 1966 में प्रकाशित हुआ। आधिकारिक संस्करण के साथ नियमों के पहले तीन संस्करण फ्रेंच में प्रकाशित हुए. 1974 में एफआईडीई (FIDE) द्वारा नियमों का अंग्रेजी संस्करण प्रकाशित किया गया (जो 1955 के अधिकृत अनुवाद पर आधारित था). उस संस्करण के साथ ही अंग्रेजी नियमों की आधिकारिक/औपचारिक भाषा बन गई। 1979 में दूसरा संस्करण छपा. इस दौरान, नियम समिति द्वारा प्रकाशित पूरक नियमों और संशोधनों की बार-बार व्याख्या (भाष्य) के कारण नियमों में अस्पष्टता बनी रही। 1982 में नियम समिति ने व्याख्याओं और सुधारों को शामिल करते हुए नियमों को दुबारा लिखा.(FIDE 1989:7-8) 1984 में एफआईडीई (FIDE) ने सार्वभौमिक नियम संग्रह के विचार को त्याग दिया, यद्यपि एफआईडीई (FIDE) के नियम उच्च स्तरीय खेलों के लिए मानक हैं।(Hooper & Whyld 1992:220–21) 1984 के संस्करण के साथ, एफआईडीई (FIDE) ने नियमों के परिवर्तन पर चार साल की एक रोक लगा दी। दूसरे संस्करण 1988 तथा 1992 में जारी किए गए(FIDE 1989:5),(Just & Burg 2003:xxix)

राष्ट्रीय एफआईडीई (FIDE) एफिलिएट्स (जैसे यूनाइटेड स्टेट्स चेस फेडरेशन, अथवा यूएससीएफ (USCF)) के नियम, हल्की भिन्नता के साथ एफआईडीई (FIDE) के नियमों पर आधारित होते हैं।(Just & Burg 2003).[15] केनेथ हार्कनेस (Kenneth Harkness) अमेरिका में 1956 में शुरू होने वाले लोकप्रिय नियमों की नियम पुस्तिका प्रकाशित की और यूएससीएफ (USCF) ने अपनी स्वीकृति के अधीन होने वाले टूर्नामेंटों में प्रयोग के लिए नियम पुस्तिकाओं का प्रकाशन जारी रखा है।

विभिन्नताएं

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8–15 दिसम्बर 2009, ओलम्पिया, लंदन के ‘लंदन चेस क्लासिक’ में “पहली 30 चालों के दौरान न ड्रॉ न ही हार मान लेने का नियम” किसी मैच विशेष के लिए एक छोटे से अतिरिक्त नियम को शामिल किए जाने का एक उदाहरण है।[16]

नियमों के बारे में लेख

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इन्हें भी देखें

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  1. प्यादे की तरक्की के संदर्भ में, बिसात से हटाया गया एक वास्तविक भौतिक मोहरा प्राय: नए तरक्की प्राप्त मोहरे के रूप में प्रयुक्त होता है। नया मोहरा हालांकि मूल रूप से कटे हुए मोहरे से खास माना जाता है; भौतिक मोहरा साधारणत: सुविधा के लिए प्रयुक्त होता है। इसके अतिरिक्त तरक्की के बारे में खिलाड़ी की पसंद पहले से कटे हुए मोहरों तक सीमित नहीं होता.
  2. बादशाह और किश्ती को एक साथ चलने की अनुमति नहीं होती क्योंकि “प्रत्येक चाल केवल एक ही हाथ से चला जाना चाहिए” (एफआईडीई (FIDE) के शतरंज नियम की धारा 4.1).
  3. बिना इस अतिरिक्त प्रतिबंध के, खड़ी पंक्ति (file) e के प्यादे को किश्ती में तरक्की देना संभव था और तब बिसात पर कहीं भी उदग्र रूप से कैसलिंग किया जा सकता था (यदि अन्य शर्ते पूरी होतीं तो). 1972 में इसे निरस्त करने के लिए एफआईडीई (FIDE) के नियमों में संशोधन से पूर्व एक शतरंज पहेली (chess puzzle) के दौरान कैसलिंग का यह तरीका मैक्स पैम (Max Pam) द्वारा खोजा गया था और टिम क्रैब (Tim Krabbé) द्वारा प्रयोग में लाया गया था। देखिए क्रैब की चेस क्यूरोसिटिज़ (Chess Curiosities), साथ ही de:Pam-Krabbé-Rochade ऑनलाइन चित्र भी देखिए.
  4. अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक एरिक शिलर (Eric Schiller) के अनुसार, यदि सही मोहरा उपलब्ध न हो, तो उल्टा कर रखी गई किश्ती का प्रयोग वज़ीर/रानी को प्रदर्शित करने में किया जा सकता है, अथवा लिटाकर रखा गया प्यादा यह काम कर सकता है और खिलाड़ी द्वारा यह बता दिया जाना चाहिए कि कौन सा मोहरा इस काम में प्रयुक्त हो रहा है। निर्णायक की उपस्थिति वाले किसी औपचारिक शतरंज मैच में निर्णायक द्वारा प्यादे अथवा उल्टी किश्ती को सही मोहरे से बदल दिया जाना चाहिए (Schiller 2003:18–19).
  5. यूनाइटेड स्टेट्स चेस फेडरेशन (यूएससीएफ (USCF)) का नियम अलग है। यदि कैसलिंग की मंशा रखने वाला खिलाड़ी पहले किश्ती को छूता है, तो कोई पैनल्टी नहीं होती. हालांकि यदि कैसलिंग अवैध हो तो किश्ती पर स्पर्श-चाल नियम लागू होगा.(Just & Burg 2003:23)
  6. यूएससीएफ (USCF) के पास हूबहू ऐसा नियम नहीं है। हालांकि यह यूएससीएफ (USCF) नियमों के अंतर्गत यदि किसी खिलाड़ी के पास किसी अचानक मृत्यु समय नियंत्रण में 5 मिनट से कम का समय बचा हो तो वह "हारने के अपर्याप्त अवसरों" ("insufficient losing chances") के कारण ड्रॉ का दावा कर सकता है। यदि निर्देशक उसके दावे का समर्थन कर दे, तो खेल ड्रॉ हो जाता है। इसे उस स्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एक C क्लास (1400 – 1599 रेटिंग) खिलाड़ी के पास, मास्टर (2200 तथा उससे अधिक का रेटिंग) के हाथों, यदि दोनों के पास पर्याप्त समय है, स्थिति खोने की संभावना 10% से भी कम हो.(Just & Burg 2003:49–52)
  7. नियमों की भिन्नता में, यूएससीएफ (USCF) का निर्देशक खिलाड़ियों को कागज के स्कोरशीट पर, चाल चलने से पूर्व अपनी-अपनी चाल लिखने की (लेकिन इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज करने की नहीं) अनुमति दे सकता है। संदर्भ: अगस्त 2007 में हुए यूएससीएफ (USCF) नियम Archived 2015-06-10 at the वेबैक मशीन परिवर्तन के अनुसार (रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता), अथवा पीडीएफ (PDF) Archived 2013-04-09 at the वेबैक मशीन रिट्रीव्ड दिसम्बर 4, 2009. "नियम 15ए (A). (भिन्नता I) कागजी स्कोरशीट भिन्नता. कागज का स्कोरशीट प्रयोग करने वाला खिलाड़ी पहले चाल चलकर तब इसे स्कोरशीट पर लिख सकता है, अथवा इसकी विपरीत प्रक्रिया अपना सकता है। इस भिन्नता को पहले से बताने की जरूरत नहीं होती.
  8. इस नियम से पहले, मिखाइल ताल (Mikhail Tal) तथा अन्य, बिसात पर चलने से पहले चाल को लिखा करते थे। अन्य खिलाड़ियों के विपरीत चाल लिख लेने के बाद वे चाल को छुपाया नहीं करते थे- वे चाल चलने से पूर्व अपने विरोधी की प्रतिक्रिया का अवलोकन करना पसंद करते थे। कभी-कभी वे अपने लिखी हुई चाल को काटकर उसके बदले कोई अलग चाल लिख देते थे।(Timman 2005:83)
  9. यूएससीएफ (USCF) के अनुसार अंतिम दस चालों के दौरान चली गई एक अवैध चाल को ही केवल सुधारने की आवश्यकता होती है। यदि वह अवैध चाल दस मिनट से अधिक पहले चली गई हो तो खेल जारी रहता है।(Just & Burg 2003:23–24)
  10. यदि खिलाड़ी ने घड़ी का बटन दबा दिया हो तो मानक यूएससीएफ (USCF) नियम यह है कि विरोधी की घड़ी में दो मिनट अतिरिक्त जोड़ दिए जाएं. एक वैकल्पिक यूएससीएफ (USCF) नियम यह है कि विरोधी खिलाड़ी, यदि उसने मोहरे को न छुआ हो, तो जुर्माने के द्वारा वह जीत का दावा कर सकता है। यदि खिलाड़ी ने अपने बादशाह को शह की स्थिति में छोड़ दिया हो, तो विरोधी उस मोहरे को छू सकता है जो शह दे रहा हो और विरोधी के बादशाह को हटाकर जीत का दावा कर सकता है।(Just & Burg 2003:291–92)
  11. यूएससीएफ (USCF) के नियम अलग होते हैं। यदि काले मोहरे की दशवीं चाल के पूर्ण होने से पहले यह पता चले कि शुरुआती स्थिति गलत थी अथवा यह कि रंग उल्टे हो गए थे तो खेल को सही शुरुआती स्थिति और रंग के साथ दोबारा शुरू किया जाता है। यदि यही बात दशवीं चाल के बाद मालूम होती है तो खेल जारी रहता है।(Just & Burg 2003:26)
  12. 1988 और 2006 के एफआईडीई (FIDE) के नियम 85–105 मिमी विनिर्दिष्ट करते है; (FIDE 1989:121) 2008 के नियम में बस लगभग 95 मिमी कहा गया है।
  13. द यूएस चेस फेडरेशन बादशाह की ऊंचाई 86 – 114 मिमी तक रखने की अनुमति देता है (3+38-4+12 इंच)(Just & Burg 2003:225–27).
  14. शतरंज का इतिहास
  15. शिलर बताते हैं कि अमेरिका वह एकमात्र देश है जो एफआईडीई (FIDE) के नियमों को नहीं मानता. यूएस (US) चेस फेडरेशन के नियमों की कुछ भिन्नताएं इस प्रकार हैं (1) समय सीमा संबंधी दंड के दावे के लिए खिलाड़ी के पास उचित प्रकार से पूरा किया हुआ स्कोरशीट होना चाहिए तथा (2) खिलाड़ी यह चयन कर सकता है कि प्रत्येक चाल के लिए होने वाली देरी के समय के लिए घड़ी का प्रयोग किया जाए या नहीं.(Schiller 2003:123–24) कुछ अन्य अंतर ऊपर लिखे गए हैं।
  16. 21 नवम्बर 2009 के डेली टेलिग्राफ अखबार के “वीकेंड” सप्लिमेंट के पृष्ठ डबल्यू1 (W1) तथा डबल्यू2 W2

सन्दर्भ

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अतिरिक्त जानकारी के लिए

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बाहरी कड़ियाँ

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