शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी شمس الرحمٰن فاروقی | |
---|---|
जन्म | शम्सुर्रहमान फारुकी 30 सितंबर 1935 आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश |
मौत | 25 दिसम्बर 2020 इलाहाबाद | (उम्र 85 वर्ष)
पेशा | कवि, आलोचक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शम्सुर्रहमान फारुकी सरस्वती सम्मान से सम्मानित साहित्यकार और उर्दू ज़बान व अदब के नामवर आलोचक थे। उनको उर्दू आलोचना के टी. एस. एलियट के रूप में माना जाता है और उन्होंने साहित्यिक समीक्षा के नए मॉडल तैयार किए हैं।[1] इनके द्वारा रचित एक समालोचना तनक़ीदी अफ़कार के लिये उन्हें सन् 1986 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से सम्मानित किया गया।[2]निधन 25 दिसंबर 2020।[3]
शम्सुर्रहमान का जन्म 30 सितंबर 1935 को भारत में हुआ था। उन्होंने अंग्रेजी में (एमए) की डिग्री 1955 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उनके माता-पिता अलग अलग पृष्ठभूमि के थे - पिता देवबंदी मुसलमान थे जबकि मां का घर काफी उदार था। उनकी परवरिश उदार वातावरण में हुई, वह मुहर्रम और शबे बारात के साथ होली भी मना लिया करता था।[4]
यह जीवनचरित लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |