शैक्षिक सॉफ्टवेयर एक प्रकार का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर होता है जिसका उपयोग लोगों को पढ़ाने के लिए और स्वयं उससे शिक्षा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका विकास 20वीं सदी में देखने को मिलता है। विज्ञान के विकास के साथ इसका भी विकास एक सतत् प्रक्रिया का परिणाम है।[1]
इसका उपयोग शिक्षा में 1940 के बाद आया, जब अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक कम्प्युटर का निर्माण किया जिसके द्वारा यह जानकारी को रखा जा सकता है। शैक्षिक सॉफ्टवेयर का उपयोग सीधे सीधे हार्डवेयर के द्वारा किया जाता था, जो मुख्यतः मुख्यफ़लक कम्प्युटर होता था। वर्ष 1972 के बाद इसमें कई विशेषता जुड़ चुकी थी और यह घरेलू कम्प्युटर के रूप में भी मिलने लगा। इस विशेषताओं में छवि, ध्वनि और गैर-कुंजीपटल के जानकारी डालने वाले साधन भी शामिल है।[2][3]
घरेलू या निजी कम्प्युटर के बाजार में और लोगों के घर में आने से वर्ष 1975 तक इसमें कई सामान्य और कोई विशेष कार्य के लिए बने शैक्षिक सॉफ्टवेयर आने लगे। वर्ष 1975 से पहले लोग विवि या सरकारी कार्यालयों में निर्भर करते थे, जो एक ही कम्प्युटर से जुड़े होते थे। यह कम्प्युटर उस समय के अनुसार लगभग ₹50,000 रुपये में मिलते थे।
शैक्षिक सॉफ्टवेयर का सबसे अधिक विकास 1990 के मध्य में हुआ था। इसमें छवि और आवाज का उपयोग शिक्षा कार्यक्रमों में बहुत बढ़ गया था। सीडी-रोम्स जानकारी को भेजने का एक बहुत आसान तरीका बन गया था। इसमें कई अनुप्रयोग होते थे। इसके अलावा इसमें इंटरनेट की सुविधा भी 1990 के मध्य में मिलने लगा था। वर्तमान में लगभग सभी शिक्षा संस्थान कम्प्युटर और इंटरनेट का उपयोग शिक्षा प्रदान करने में करते हैं।
इस तरह के सॉफ्टवेयर का निर्माण मुख्यतः शिक्षक या सिखाने वालों के लिए किया जाता है। इसके द्वारा वे विद्यार्थियों को कम्प्यूटर के उपयोग से आसानी से कुछ भी सीखा सकते हैं। इसके अलावा किसी के अर्थ और उपयोग को और भी अच्छी तरह से विस्तार करके भी इसके द्वारा समझाया जा सकता है। इसका उपयोग कम्प्यूटर आधारित पाठ्यक्रम द्वारा पढ़ाए जाने वाले शिक्षा संस्थानों में किया जाता है।
विद्यालय में किसी कक्षा विशेष के लिए भी इस तरह के सॉफ्टवेयर का निर्माण किया जाता है। इसके द्वारा एक बड़े पर्दे में कम्प्युटर द्वारा संचालित कर जानकारी दिखाया जाता है।