नंजुंदेश्वर मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | नंजुंदेश्वर स्वामी (शिव) |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | नंजनगुड़ |
ज़िला | मैसूर |
राज्य | कर्नाटक |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 12°7′8″N 76°41′33″E / 12.11889°N 76.69250°Eनिर्देशांक: 12°7′8″N 76°41′33″E / 12.11889°N 76.69250°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | मंदिर |
वेबसाइट | |
https://nanjangudtemple.kar.nic.in |
नंजुंदेश्वर मंदिर (जिसे श्रीकांतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है) एक प्राचीन मंदिर है। यह भारत के कर्नाटक में स्थित प्राचीन हिंदू तीर्थस्थल नंजनगुडु में भगवान शिव को समर्पित है।[1] यह कपिला नदी के दाहिने तट पर स्थित है जो कावेरी की सहायक नदी है। नंजनगुडु को "दक्षिण प्रयाग" या "दक्षिण का प्रयाग" के रूप में भी जाना जाता है।[2][3]
कन्नड़ में "नंजू" का अर्थ जहर होता है; नंजुंदेश्वर नाम का अर्थ है— ईश्वर जिसने जहर (हलाहल) पिया। "एक ऐसा शब्द जिसकी उत्पत्ति दूध के महासागर के महान मंथन की कथा में हुई है"; इस प्रकार शहर को 'नंजनगुडु' नाम मिला, जिसका अर्थ है- "भगवान नंजुंदेश्वर का निवास"।[4][5]
मंदिर के निकटतम ही नंजनगुडु में डोड्डा जात्रे[6] नामक उत्सव होता है जो हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। मेले में इस पर्व पर पांच रंगीन रथ शामिल होते हैं जो रास्ते में भक्तों द्वारा खींचे जाते हैं जिन्हें 'रथ बीड़ी' कहा जाता है। इसके अलावा परशुराम मंदिर नंजुंदेश्वर मंदिर के पास ही है।
नौ मंजिला और 120 फीट लंबा यह मंदिर गोपुरम और इसके व्यापक बाहरी हिस्से का निर्माण मैसूर के राजा मुम्मडि कृष्णराज ओडेयरु की रानी देवराजम्मन्नी ने करवाया था।[7]
नंजनगुडु का उल्लेख शिव पुराण में श्री गरलपुरी के रूप में किया गया है।[8] ऐसी मान्यता है कि पौराणिक पवित्र स्थान दक्षिण भारत में शिव का निवास स्थान है। इसे 'दक्षिण काशी' के रूप में भी जाना जाता है, जहां भगवान अपने भक्तों, देवों और ऋषि नारद की प्रार्थना करने पर प्रकट हुए थे।