संघर्ष | |
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संघर्ष का पोस्टर | |
निर्देशक | एच॰ एस॰ रवैल |
लेखक |
अबरार अलवी महाश्वेता देवी |
अभिनेता |
दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला, बलराज साहनी, संजीव कुमार, जयंत |
संगीतकार | नौशाद |
प्रदर्शन तिथि |
1968 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
संघर्ष 1968 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है।[1] इसका निर्देशन एच॰ एस॰ रवैल ने किया है और इसमें दिलीप कुमार, वैजयन्ती माला, बलराज साहनी और संजीव कुमार हैं।
भवानी प्रसाद (जयंत) बनारस का एक बहुत बड़ा ठग है, जो एक पुजारी का वेश बनाकर रहता है। उसका पुत्र शंकर (इफ़्तेख़ार) उसके रास्ते पर चलने से मना कर देता है इसलिए वो अपने पोते कुंदन (दिलीप कुमार) को अपनी विरासत देना चाहता है। जब उसका बेटा शंकर अपने बेटे कुंदन को लेने आता है तो गुस्से में आकर भवानी प्रसाद अपने बेटे शंकर का कत्ल करवा देता है उसका इल्जाम अपने पुश्तैनी दुश्मन उसके चचेरे भाई नौबत लाल के माथे मड़ देता है। जब नौबत लाल गंगा में नहाने जाता है और डुबकी लगाता है तब वह उसे भी मार जाता है, जिससे पारिवारिक दुश्मनी और भड़क जाती है।
कुंदन एक संवेदनशील व्यक्ति के रूप में बढ़ा होता है जो अपने दादा की विरासत को आगे नहीं बढ़ाना चाहता है। नौबत लाल के बेटे गणेशीप्रसाद (बलराज साहनी) और द्वारिका (संजीव कुमार) अपने पिता का बदला लेना चाहते है और भवानी प्रसाद के वंश को खत्म करना चाहते है। इन सभी के बीच एक और पात्र है मुन्नी (वैजयन्ती माला) जो कुंदन की बचपन की दोस्त है, दुर्भाग्यवश कोठे वालों के हाथों पड़ जाती है और लैला-ए-आसमां के नाम से, जो किसी ओर से नहीं नवाब वाजि़द अली शाह से मिला है, मशहूर है। हालांकि गणेशीप्रसाद लैला-ए-आसमां पर मोहित होते हुए भी उसका इस्तेमाल कुंदन को फसाने के लिए करता है। दोनों अपने बचपन की दोस्ती को आगे बढ़ाते हैं।
सभी गीत शकील बदायूनी द्वारा लिखित; सारा संगीत नौशाद द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "मेरे पास आओ नज़र तो मिलाओ" | लता मंगेशकर | 3:39 |
2. | "मेरे पैरों में घुंघुरू" | मोहम्मद रफ़ी | 5:00 |
3. | "इश्क़ दीवाना हुस्न भी घायल" | मोहम्मद रफ़ी | 4:02 |
4. | "तस्वीर-ए-मोहब्बत" | आशा भोंसले | 4:18 |
5. | "छेड़ों ना दिल की बात" | लता मंगेशकर | 3:45 |
6. | "जब दिल से दिल टकराता है" | मोहम्मद रफ़ी | 4:21 |
7. | "अगर ये हुस्न मेरा" | लता मंगेशकर | 4:54 |