भाषा दर्शन और तत्वमीमांसा में, सत्यता का संवादिता सिद्धांत या अनुरूपरता सिद्धांत (Correspondence theory of truth) कहता है कि किसी कथन की सत्यता या असत्यता केवल इस बात से निर्धारित होती है कि यह दुनिया से कैसे संबंधित है और क्या यह उस दुनिया का सटीक वर्णन करता है (यानी, इसके साथ मेल खाता व तदनुरूपी है या नहीं)। [1]
संवादिता सिद्धांतों का दावा है कि सच्ची विश्वासें और सच्चे कथन मामलों की वास्तविक स्थिति से मेल खाते हैं। इस प्रकार का सिद्धांत एक ओर विचारों या कथनों और दूसरी ओर चीज़ों या तथ्यों के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास करता है।