सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम १८८२ (Transfer of Property Act 1882) भारत का एक अधिनियम है जो भारत के अन्दर सम्पत्तियों के अन्तरण (ट्रान्सफर) का नियमन करता है।
इसमें संपत्ति के अंतरण और इससे जुड़ी शर्तों के बारे में विशिष्ट प्रावधान हैं। यह 1 जुलाई 1882 को लागू हुआ।
अधिनियम के अनुसार, 'संपत्ति के अंतरण' का अर्थ एक ऐसा कार्य है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति एक या एक से अधिक व्यक्तियों, या स्वयं और एक या एक से अधिक व्यक्तियों को संपत्ति प्रदान करता है। संपत्ति हस्तांतरण का कार्य वर्तमान या भविष्य के लिए किया जा सकता है। संपत्ति का ट्रांसफर एक व्यक्ति, कंपनी या एसोसिएशन या व्यक्तियों के समूह के द्वारा हो सकता है, और किसी भी प्रकार की संपत्ति को स्थानांतरित किया जा सकता है, जिसमें अचल संपत्ति का हस्तांतरण भी शामिल है।
भारतीय विधि |
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अधिनियम |
- सूचना का अधिकार अधिनियम
- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम
- कम्पनी अधिनियम, 1956
- दहेज प्रतिबंध अधिनियम
- मानवाधिकार की रक्षा अधिनियम, 1993
- घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005
- बाल-विवाह निषेध अधिनियम, 2006
- अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956
- गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निषेध) अधिनियम, 1995
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
- हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955
- हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956
- भारतीय इसाई विवाह अधिनियम, 1872
- बंधुआ मजदूर प्रथा (समापन) अधिनियम, 1976
- संविदा श्रम (नियमन एवं समापन) अधिनियम, 1970
- कारखाना अधिनियम, 1948
- औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
- असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008
- महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम, 2005
- न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
- माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007
- सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम १८८२
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, २०१९
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