सरबजीत | |
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फ़िल्म का प्रचार पोस्टर | |
निर्देशक | ओमंग कुमार |
लेखक |
उत्कर्षिणी वशिष्ठ राजेश बेरी |
निर्माता |
वाशु भागनानी भूषण कुमार संदीप सिंह ओमंग कुमार दीपशिखा देशमुख कृषण कुमार जैकी भगनानी राजेश सिंह |
अभिनेता |
ऐश्वर्या राय रणदीप हूडा ऋचा चड्ढा दर्शन कुमार |
छायाकार | किरण देवहंस |
संपादक | राजेश पांडे |
संगीतकार |
जीत गांगुली अमाल मलिक तनिष्क बागची शैल प्रीतेश शशी शिवम |
निर्माण कंपनियां |
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प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹15 करोड़ (US$2.19 मिलियन)[1][2] |
कुल कारोबार | ₹43.88 करोड़ (US$6.41 मिलियन)[3] (Worldwide Gross) |
सरबजीत २०१६ की एक भारतीय हिन्दी सच्ची घटना पर आधारित एक जीवनी फ़िल्म है जिसका [4][5] निर्देशन ओमंग कुमार ने किया है। फ़िल्म में [6]ऐश्वर्या राय ,रणदीप हूडा [7] तथा ऋचा चड्ढा मुख्य किरदार है। फ़िल्म [8] सरबजीत सिंह पर आधारित है जिसमें सरबजीत सिंह का किरदार रणदीप हूडा ने तथा सरबजीत जीत की बहिन बलबीर कौर का किरदार ऐश्वर्या राय ने निभाया है।
फ़िल्म की शुरुआत सन् १९९३ में होती है जब सरबजीत सिंह (रणदीप हूडा) एक गरीब किसान है जिन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है। इसके बाद वो अपने परिवार का साथ देने हेतु किसान बनकर खेती का धंधा करता है। सरबजीत सिंह (रणदीप हूडा) रोजाना अपनी बहिन दलबीर कौर (ऐश्वर्या राय ) को कार्यालय छोड़ने जाता है। सरबजीत की पत्नी घर का काम सम्भालती है तथा उनके पिता सुलक्षण सिंह सरबजीत की दोनों बेटियों को सम्भालता है।
एक दिन सरबजीत सिंह और एक दोस्त ज्यादा शराब पी लेते है इस कारण अपना आपा खो देते है और सरबजीत नशे में ही अपने घर की तरफ निकल जाता है लेकिन वो नशे में पाकिस्तान की सीमा पार चला जाता है क्योंकि उस वक़्त बोर्डर पर बाड़ा अर्थात तारबंदी नहीं होती थी। देर रात पाकिस्तानी सैनिक इन्हें देख लेते है और उन्हें भारत का जासूस मानकर पाकिस्तान के लाहौर ले जाते है जहां उनको एक छोटी सी कोठरी में रखते है और वहां के कर्नल उनको मंजीत सिंह उगलवाना चाहता है क्योंकि मंजीत सिंह वो सख्स था जिन्होंने १९९३ में कराची तथा कई और जगह और आतंकी हमले करवाए थे।
वहीं घर वाले बहिन दलबीर कौर (ऐश्वर्या राय) उनके उनके पति तथा सरबजीत की पत्नी (ऋचा चड्ढा) उनके खोजते है लेकिन उनका कोई अता-पता नहीं मिलता है इस कारण गुमशुदगी की रिपोर्ट की लिखवाते है लेकिन इस और पुलिस भी ज्यादा ध्यान नहीं देती है।
कुछ समय बाद एक पाकिस्तान से डाक द्वारा चिट्टी आती है जो कि सरबजीत (रणदीप हूडा) की होती है उसमें सरबजीत अपनी आप बीती लिखकर भेजते है तब जाकर घर वालों को पता चलता है कि सरबजीत भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बन्द है।
इसी प्रकार सरबजीत की ख़बरें टीवी और समाचार पत्रों में भी आने लगती है। एक बार एक उर्दू समाचार पत्र में छपा होता कि सरबजीत को सज़ा - ए - मौत। इसके बाद सरबजीत सिंह की बहिन दलबीर कौर (ऐश्वर्या राय) अपने भाई को पाकिस्तान से वापस लाने की भरसक प्रयास करने लगती है इसमें वो सरकार की खूब मदद मांगती है लेकिन सरकार भी इस और ज्यादा ध्यान नहीं देती है। दलबीर सरकार तथा समाचार पत्रकारों से कहती है कि सरबजीत बेगुनाह है आप मेरी मदद करो लेकिन ज्यादा कोई इस और ध्यान नहीं देते है
फिर आगे दलबीर प्रधानमंत्री से मिलना चाहती है और उन्हें मिलने में ८ महीनों लग जाते है लेकिन मिलकर भी ज्यादा कुछ नहीं करते हैं। इधर लाहौर के कोट लखपत जेल में सरबजीत सिंह इंतजार करता है कि कोई तो आएगा। काफी समय गुजरने के बाद आखिर दलबीर कौर (ऐश्वर्या राय) को पाकिस्तान जाने का मौका मिल जाता है और वो सरबजीत (रणदीप हूडा) की पत्नी और उनकी बेटियों को लेकर उनसे मिलने जाती है और उन्हें छोड़ने को कहती है , लेकिन पाकिस्तान की नजरों में सरबजीत एक आतंकी होता है इस कारण छोड़ने की बात तक नहीं करता है।
समय गुजरता है और अंततः सरबजीत को फांसी देने की तारीख तय हो जाती है लेकिन बहिन दलबीर हार नहीं मानती है औए एक अलग पाकिस्तान का वकील ले लेती है। पाकिस्तानी वकील सरबजीत से मिलता है और असली आतंकी मनजीत के खिलाफ सबूत इकट्ठा करता है। तभी भारत में मनजीत सिंह को गिरफ्तार कर लेती है लेकिन वो कुछ दिनों बाद छूट जाता है। बीच - बीच में दलबीर तथा साथी लोग अनशन करते है ताकि सरकार की आँखे खुले।
सरबजीत को फांसी देने की तारीखें नजदीक आती है और दलबीर कौर तथा सरबजीत का पाकिस्तान वकील इन्हें बा-इज्जत वापस भारत लाने की कोशिश करते है।
इसी प्रकार एक दिन यह ख़बर आती है कि आज सरबजीत (रणदीप हूडा) को बरी कर दिया जाएगा ,और फिर बड़ी संख्या में सरबजीत के परिवार सहित गाँव के लोग वाघा बॉर्डर (भारत - पाक बॉर्डर) पर स्वागत करने के लिए इकठ्ठे हो जाते है तभी वापस समाचार मिलता है सरबजीत नहीं अपितु सुरजीत सिंह को रिहा किया है। इस कारण सरबजीत के परिवार वालें निराश होकर घर चले जाते है और फिर दलबीर कौर खुद को अपने को खत्म करने का प्रयास करती है लेकिन घर वाले बचा लेते है। कुछ दिनों बाद कोट लखपद जेल में पाकिस्तानी कैदी मिलकर सरबजीत सिंह (रणदीप हूडा) पर हमला करते है और उनको वहां के अस्पताल में भर्ती करवाते है लेकिन सही तरीके से इलाज नहीं करते है साथ ही सरबजीत का परिवार भी उनसे मिलने आता है। घर वाले सरबजीत को भारत में लाने की बात करती है लेकिन तभी सरबजीत की लाश भारत आती है और पूरे भारत भर में शोक चाह जाता है।