सरिय्या ज़ैद बिन हारिसा रज़ि० (तर्फ़) | |||||||
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मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग | |||||||
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सेनानायक | |||||||
ज़ैद बिन हारिसा | अनजान | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
15 | अनजान |
सरिय्या ज़ैद बिन हारिसा रज़ि० (तर्फ़) या बनू सालबा पर तीसरा धावा (अंग्रेज़ी: Third Raid on Banu Thalabah प्रारंभिक इस्लाम में ज़ैद बिन हारिसा का सैन्य अभियान था जो सितंबर, 627AD, इस्लामिक कैलेंडर के 6AH के 6वें महीने में हुआ। इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद के द्वारा अपने दत्तक पुत्र और आज़ाद किये गये ग़ुलाम ज़ैद बिन हारिसा के नेतृत्व में 15 आदमियों के कमांडर के रूप में बनू सालबा जनजाति पर छापा मारा और उनके 20 ऊंटों पर कब्जा कर लिया, लेकिन जनजाति के सदस्य भाग गए थे। वह वहां चार दिन रहे और फिर मदीना लौट आए।
बनू सालबा पर पहला धावा दो महीने पहले सरिय्या मुहम्मद बिन मसलमा (ज़ुल क़िस्सा) हुआ था। दूसरा धावा सरिय्या अबू उबैदाह इब्न अल-जर्राह का था।[2]
इस घटना का उल्लेख इब्न साद , किताब अल-तबाक़त अल-कबीर, खंड 2 में किया गया है।[3]
अरबी शब्द ग़ज़वा [4] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया, इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[5] [6]
Sariyyah of Zayd ibn Haritha towards al-Taraf