सहचर पूँजीवाद या सुहृद पूँजीवाद या क्रोनी कैपिटलिज़्म (Crony Capitalism) अर्थव्यवस्था की उस अवस्था का सूचक है जहाँ व्यापार-वाणिज्य में सफलता व्यापारी और सरकारी अधिकारियों के आपसी संबंध से तय होने लगती है। इसके तहत सरकारी तंत्र द्वारा व्यापारियों-उद्योगपतियों को कानूनी स्वीकृति (legal permits) के आवंटन में पक्ष लेकर, उन्हें सरकारी अनुदान देकर, कर संबंधी सहूलियतें देकर तथा अन्य आर्थिक अनियमितताओं के ज़रिये लाभ पहुँचाया जाता है।[1] सार्वजनिक मानस पटल पर सहचर पूँजीवाद एक पद के तौर पर एशियाई वित्तीय संकट की व्याख्या के दौरान सामने आया।[2]
Japan’s dismal performance in the 1990s and the East Asian collapses of 1997 indicate that dirigisme can only boost economies in the short run and at high cost. It breaks down in the long run (Lindsey and Lukas 1998).
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद); |magazine=
में बाहरी कड़ी (मदद)
Focused only on explaining successful outcomes, the conventional model provided no analytic way to explain the 1997 crisis. Countries previously regarded as miracles now were nothing more than havens for crony capitalists (p.3)
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