हिंदू पौराणिक कथाओं में सिंहिका नाम की कई राक्षसी पात्र हैं। प्रायः सिंहिका से आशय हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के दूसरे नाम के रूप में देखा जाता है। इसके विपरीत, कुछ कथाओं में सिंहिका हिरण्यकश्यप की पुत्री और प्रह्लाद की बहन थी।
रामायण में एक और सिंहिका का उल्लेख मिलता है। जब हनुमान लंका जाने के लिये समुद्र पार कर रहे थे तब सिंहिका समुद्र में छिपी थी और उसने हनुमान की छाया को पकड़ लिया । हनुमान ने उसके मुंह में गोता लगाया और उसका पेट फाड़ कर बाहर आ गये, जिससे सिंहिका का जीवनलीला समाप्त हो गयी।
रामायण में वर्णित सिंहिका दिति के गर्भ से उत्पन्न तीन संतानों में से एक थी। सिंहिका का विवाह दानव श्रेष्ठ विप्रचित्ति से हुआ था। विप्रचित्ति तथा सिंहिका के राहु आदि 101 पुत्र हुए। सिंहिका लंका के समीप समुद्र में रहती थी। वह उड़ते हुए जीवों को खींच लेती थी और उन्हें अपना ग्रास बनाती थी। लंका जाते समय हनुमान को भी सिंहिका ने अपना भोजन बनाना चाहा, किन्तु हनुमान द्वारा वह मारी गई।