सिद्धमुख Sidhmukh | |
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निर्देशांक: 28°53′17″N 75°17′10″E / 28.888°N 75.286°Eनिर्देशांक: 28°53′17″N 75°17′10″E / 28.888°N 75.286°E | |
ज़िला | चूरू ज़िला |
प्रान्त | राजस्थान |
देश | भारत |
जनसंख्या (2019) | |
• कुल | 25,697 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | राजस्थानी, हिन्दी , मारवाड़ी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
सिद्धमुख (Sidhmukh) भारत के राजस्थान राज्य के चूरू ज़िले में स्थित एक शहर है।[1][2]
जब राठौर राव बीका के नेतृत्व में पंद्रहवीं शताब्दी के अंत में जांगलदेश में अपना शासन फैला रहे थे। उस समय कस्वां जाट जंगलदेश के लगभग 400 गांवों में शासन कर रहे थे। कंवरपाल कस्वां उनका राजा था और उनकी राजधानी सिद्धमुख शहर में थी। कस्वां लोग धैर्य से लड़ने वाले योद्धा के रूप में जाने जाते थे। उनके पास 2000 ऊंट थे और 500 सवार हमेशा रक्षा के लिए तैयार रहते थे।
वर्तमान में सिद्धमुख एक उभरता हुआ कस्बा है। जो अब एक तहसील बन गया है। यह भादरा, राजगढ़, तारानगर, सिवाणी (हरियाणा) चार शहरों से जुड़ा हुआ है। रेलवे लाइन के माध्यम से यह श्री गंगानगर, सीकर, जयपुर व मुंबई जैसे बड़े शहरों से भी जुड़ा हुआ है।
वहा एक प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ मंदिर स्थित हैं। जहा पर मां बाछल को गुरु गोरखनाथ ने वरदान दिया था। आपका भाई असित यदुवंशी UP 75